टीके (वैक्सीन) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं ताकि वह भविष्य में वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सके। 1. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्तेजना: टीकों में रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) के मृत या कमजोर रूप, या उनके हिस्से शामिल होते हैं, जो शरीर में प्रवRead more
टीके (वैक्सीन) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं ताकि वह भविष्य में वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सके।
1. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्तेजना: टीकों में रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) के मृत या कमजोर रूप, या उनके हिस्से शामिल होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करने पर प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं।
2. स्मृति कोशिकाओं का निर्माण: टीका लगने पर प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी और स्मृति कोशिकाएं बनाती है, जो विशेष रूप से उस रोगजनक को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होती हैं।
3. भविष्य की सुरक्षा: यदि भविष्य में वास्तविक संक्रमण होता है, तो यह स्मृति कोशिकाएं जल्दी से सक्रिय हो जाती हैं और संक्रमण को प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करती हैं, जिससे बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है या उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है।
इस प्रकार, टीके हमें बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं और महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
’टीके’ लगवाना क्यों ज़रूरी है: 1. रोगों की रोकथाम: टीके कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हैं। 2. सामुदायिक सुरक्षा: व्यापक टीकाकरण से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त होती है, जिससे संक्रामक रोगों का प्रसार रुकता है। 3. महामारियों की रोकथाम: टीकाकरण महामारी के फैलाव को रोकने में मदद करता है। 4. स्वाRead more
’टीके’ लगवाना क्यों ज़रूरी है:
1. रोगों की रोकथाम: टीके कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हैं।
2. सामुदायिक सुरक्षा: व्यापक टीकाकरण से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त होती है, जिससे संक्रामक रोगों का प्रसार रुकता है।
3. महामारियों की रोकथाम: टीकाकरण महामारी के फैलाव को रोकने में मदद करता है।
4. स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम करना: टीके गंभीर बीमारियों की संख्या को कम करते हैं, जिससे अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम होता है।
5. लंबे समय तक स्वास्थ्य: टीकाकरण से बीमारियों के कारण होने वाले दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है।
6. आर्थिक बचत: बीमारियों से बचने से उपचार और अस्पताल के खर्चों में कमी आती है।
7. मृत्यु दर में कमी: टीके कई जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं, जिससे मृत्यु दर कम होती है।
8. अंतर्राष्ट्रीय यात्रा: कुछ देशों में यात्रा के लिए विशेष टीकों की आवश्यकता होती है।
ऐसे आठ रोग जिनके टीके उपलब्ध हैं:
1. खसरा
2. इन्फ्लुएंजा
3. डिप्थीरिया
4. टेटनस
5. काली खांसी
6. हेपेटाइटिस बी
7. पोलियो
8. टीबी (तपेदिक)
टीकाकरण से हम इन बीमारियों से बच सकते हैं और स्वास्थ्य का बेहतर संरक्षण कर सकते हैं।
एड्स, जिसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम कहा जाता है, एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर से लड़ने में अक्षम हो जाता है। एड्स का संक्रमण कैसे होता है: संक्रमRead more
एड्स, जिसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम कहा जाता है, एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर से लड़ने में अक्षम हो जाता है।
एड्स का संक्रमण कैसे होता है:
संक्रमित रक्त: संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से, जैसे कि रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) के दौरान।
असुरक्षित यौन संबंध: संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, जिसमें योनि, गुदा या मुख मैथुन शामिल हैं।
संक्रमित सुईंया: नशीली दवाओं के उपयोग के दौरान संक्रमित सुईंयों और सिरिंजों का साझा उपयोग करने से।
मां से बच्चे में संक्रमण: संक्रमित मां से गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान बच्चे में वायरस का संक्रमण हो सकता है।
संक्रमित रक्त उत्पाद: यदि रक्त उत्पादों का सही तरीके से परीक्षण नहीं किया गया हो और उसमें एचआईवी हो।
किसी भी विषय पर बोलते या लिखते समय उस विषय की आवश्यकता के अनुसार भाषा के रूप में कुछ परिवर्तन आ जाता है, पर विज्ञान के विषय का विश्लेषण करने के लिए हमें विज्ञान-संबंधाी वस्तुओं, संकल्पनाओं, परिभाषाओं और अवधाारणाओं के लिए विशेष प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है। विषय-संबंधाी इन अवधाारणापरक शब्Read more
किसी भी विषय पर बोलते या लिखते समय उस विषय की आवश्यकता के अनुसार भाषा के रूप में कुछ परिवर्तन आ जाता है, पर विज्ञान के विषय का विश्लेषण करने के लिए हमें विज्ञान-संबंधाी वस्तुओं, संकल्पनाओं, परिभाषाओं और अवधाारणाओं के लिए विशेष प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है। विषय-संबंधाी इन अवधाारणापरक शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते हैं। प्रायः पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग उसी विषय या उससे संबंधिात मिलते-जुलते विषयों में ही किया जाता है।
इस पाठ में विज्ञान और आयुर्विज्ञान या चिकित्साशास्त्रा के अनेक पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उदाहरण के लिएः आमाशय, अवशोषित, रोगाणु, वायुनली, बलगम, आहारनली, विषाणु, श्वेत-कणिकाएँ, ऊतक-तरल, टान्सिल, भक्षक कोशिकाएँ, जीवाणु, टॉक्सिन, प्रतिपिंड, लसिका-ग्रंथि, इन्फ़्लूएंजा, चेचक, टीका, पोलियो, टिटेनेRead more
इस पाठ में विज्ञान और आयुर्विज्ञान या चिकित्साशास्त्रा के अनेक पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उदाहरण के लिएः आमाशय, अवशोषित, रोगाणु, वायुनली, बलगम, आहारनली, विषाणु, श्वेत-कणिकाएँ, ऊतक-तरल, टान्सिल, भक्षक कोशिकाएँ, जीवाणु, टॉक्सिन, प्रतिपिंड, लसिका-ग्रंथि, इन्फ़्लूएंजा, चेचक, टीका, पोलियो, टिटेनेस, डिफ़्थीरिया, हैजा, टाइफ़ाइड, क्षय रोग, एलर्जी, प्रोटीन, पित्ती, दमा, कैंसर आदि।
कुछ वैज्ञानिक शब्दावली आपने पढ़ी, अब कुछ पारिभाषिक शब्दावली देखिएः
ऊतक – एक जैसा काम करने वाली कोशिकाओं के समूह से बने पिंड।
प्रजनन – अपने जैसे जीवों को जन्म देने की प्रक्रिया।
श्लेष्मा – चिपचिपा लसदार पदार्थ, जो नाक से बहकर निकलता है।
प्रतिपिंड – विशेष प्रकार के रोगाणुओं से लड़ने के लिए शरीर में बने पिंड।
टीके किस सिद्धांत पर कार्य करते हैं, कुछ वाक्यों में समझाइए।
टीके (वैक्सीन) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं ताकि वह भविष्य में वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सके। 1. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्तेजना: टीकों में रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) के मृत या कमजोर रूप, या उनके हिस्से शामिल होते हैं, जो शरीर में प्रवRead more
टीके (वैक्सीन) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं ताकि वह भविष्य में वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सके।
See less1. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्तेजना: टीकों में रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) के मृत या कमजोर रूप, या उनके हिस्से शामिल होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करने पर प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं।
2. स्मृति कोशिकाओं का निर्माण: टीका लगने पर प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी और स्मृति कोशिकाएं बनाती है, जो विशेष रूप से उस रोगजनक को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होती हैं।
3. भविष्य की सुरक्षा: यदि भविष्य में वास्तविक संक्रमण होता है, तो यह स्मृति कोशिकाएं जल्दी से सक्रिय हो जाती हैं और संक्रमण को प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करती हैं, जिससे बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है या उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है।
इस प्रकार, टीके हमें बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं और महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
टीके लगवाना क्यों ज़रूरी है ? ऐसे आठ रोगों के नाम लिखिए, जिनके टीके उपलब्ध हैं। NIOS Class 10 Hindi Chapter 16
’टीके’ लगवाना क्यों ज़रूरी है: 1. रोगों की रोकथाम: टीके कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हैं। 2. सामुदायिक सुरक्षा: व्यापक टीकाकरण से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त होती है, जिससे संक्रामक रोगों का प्रसार रुकता है। 3. महामारियों की रोकथाम: टीकाकरण महामारी के फैलाव को रोकने में मदद करता है। 4. स्वाRead more
’टीके’ लगवाना क्यों ज़रूरी है:
See less1. रोगों की रोकथाम: टीके कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाव करते हैं।
2. सामुदायिक सुरक्षा: व्यापक टीकाकरण से हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त होती है, जिससे संक्रामक रोगों का प्रसार रुकता है।
3. महामारियों की रोकथाम: टीकाकरण महामारी के फैलाव को रोकने में मदद करता है।
4. स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम करना: टीके गंभीर बीमारियों की संख्या को कम करते हैं, जिससे अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम होता है।
5. लंबे समय तक स्वास्थ्य: टीकाकरण से बीमारियों के कारण होने वाले दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है।
6. आर्थिक बचत: बीमारियों से बचने से उपचार और अस्पताल के खर्चों में कमी आती है।
7. मृत्यु दर में कमी: टीके कई जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं, जिससे मृत्यु दर कम होती है।
8. अंतर्राष्ट्रीय यात्रा: कुछ देशों में यात्रा के लिए विशेष टीकों की आवश्यकता होती है।
ऐसे आठ रोग जिनके टीके उपलब्ध हैं:
1. खसरा
2. इन्फ्लुएंजा
3. डिप्थीरिया
4. टेटनस
5. काली खांसी
6. हेपेटाइटिस बी
7. पोलियो
8. टीबी (तपेदिक)
टीकाकरण से हम इन बीमारियों से बच सकते हैं और स्वास्थ्य का बेहतर संरक्षण कर सकते हैं।
एड्स किस वायरस से और कैसे संक्रमित होता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 16
एड्स, जिसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम कहा जाता है, एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर से लड़ने में अक्षम हो जाता है। एड्स का संक्रमण कैसे होता है: संक्रमRead more
एड्स, जिसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम कहा जाता है, एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे शरीर संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर से लड़ने में अक्षम हो जाता है।
See lessएड्स का संक्रमण कैसे होता है:
संक्रमित रक्त: संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से, जैसे कि रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) के दौरान।
असुरक्षित यौन संबंध: संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, जिसमें योनि, गुदा या मुख मैथुन शामिल हैं।
संक्रमित सुईंया: नशीली दवाओं के उपयोग के दौरान संक्रमित सुईंयों और सिरिंजों का साझा उपयोग करने से।
मां से बच्चे में संक्रमण: संक्रमित मां से गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान बच्चे में वायरस का संक्रमण हो सकता है।
संक्रमित रक्त उत्पाद: यदि रक्त उत्पादों का सही तरीके से परीक्षण नहीं किया गया हो और उसमें एचआईवी हो।
पारिभाषिक शब्दावली से आप क्या समझते हैं? NIOS Class 10 Hindi Chapter 16
किसी भी विषय पर बोलते या लिखते समय उस विषय की आवश्यकता के अनुसार भाषा के रूप में कुछ परिवर्तन आ जाता है, पर विज्ञान के विषय का विश्लेषण करने के लिए हमें विज्ञान-संबंधाी वस्तुओं, संकल्पनाओं, परिभाषाओं और अवधाारणाओं के लिए विशेष प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है। विषय-संबंधाी इन अवधाारणापरक शब्Read more
किसी भी विषय पर बोलते या लिखते समय उस विषय की आवश्यकता के अनुसार भाषा के रूप में कुछ परिवर्तन आ जाता है, पर विज्ञान के विषय का विश्लेषण करने के लिए हमें विज्ञान-संबंधाी वस्तुओं, संकल्पनाओं, परिभाषाओं और अवधाारणाओं के लिए विशेष प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है। विषय-संबंधाी इन अवधाारणापरक शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते हैं। प्रायः पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग उसी विषय या उससे संबंधिात मिलते-जुलते विषयों में ही किया जाता है।
See lessअपना-पराया पाठ में प्रयुक्त किन्हीं आठ पारिभाषिक शब्दों का उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 16
इस पाठ में विज्ञान और आयुर्विज्ञान या चिकित्साशास्त्रा के अनेक पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उदाहरण के लिएः आमाशय, अवशोषित, रोगाणु, वायुनली, बलगम, आहारनली, विषाणु, श्वेत-कणिकाएँ, ऊतक-तरल, टान्सिल, भक्षक कोशिकाएँ, जीवाणु, टॉक्सिन, प्रतिपिंड, लसिका-ग्रंथि, इन्फ़्लूएंजा, चेचक, टीका, पोलियो, टिटेनेRead more
इस पाठ में विज्ञान और आयुर्विज्ञान या चिकित्साशास्त्रा के अनेक पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उदाहरण के लिएः आमाशय, अवशोषित, रोगाणु, वायुनली, बलगम, आहारनली, विषाणु, श्वेत-कणिकाएँ, ऊतक-तरल, टान्सिल, भक्षक कोशिकाएँ, जीवाणु, टॉक्सिन, प्रतिपिंड, लसिका-ग्रंथि, इन्फ़्लूएंजा, चेचक, टीका, पोलियो, टिटेनेस, डिफ़्थीरिया, हैजा, टाइफ़ाइड, क्षय रोग, एलर्जी, प्रोटीन, पित्ती, दमा, कैंसर आदि।
See lessकुछ वैज्ञानिक शब्दावली आपने पढ़ी, अब कुछ पारिभाषिक शब्दावली देखिएः
ऊतक – एक जैसा काम करने वाली कोशिकाओं के समूह से बने पिंड।
प्रजनन – अपने जैसे जीवों को जन्म देने की प्रक्रिया।
श्लेष्मा – चिपचिपा लसदार पदार्थ, जो नाक से बहकर निकलता है।
प्रतिपिंड – विशेष प्रकार के रोगाणुओं से लड़ने के लिए शरीर में बने पिंड।