द्विवेदी जी की भाषा में तत्सम शब्दों की प्रधाानता भी मिलती है। जैसे- वृहत्तर, आत्मतोषण, सहजात वृत्ति, वर्तुलाकार, नखदंतावलबी, अधाोगामनी आदि। दूसरी ओर आम बोलचाल के शब्दों के प्रयोग से उन्होंने विषय को सरल, सहज एवं स्पष्ट बना दिया है। जैसे- झगड़े-टंटे, पछाड़ना, अभागे, बेहया। उसी तरह उनकी भाषा में मुहाRead more
द्विवेदी जी की भाषा में तत्सम शब्दों की प्रधाानता भी मिलती है। जैसे- वृहत्तर, आत्मतोषण, सहजात वृत्ति, वर्तुलाकार, नखदंतावलबी, अधाोगामनी आदि। दूसरी ओर आम बोलचाल के शब्दों के प्रयोग से उन्होंने विषय को सरल, सहज एवं स्पष्ट बना दिया है। जैसे- झगड़े-टंटे, पछाड़ना, अभागे, बेहया। उसी तरह उनकी भाषा में मुहावरों और लोकोक्तियों के भी सुंदर प्रयोग हुए हैं। जैसे- लोहा लेना, कमर कसना, कीचड़ में घसीटना इत्यादि। लेखक निबंधा में अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे प्रश्न पूछकर हमारी जिज्ञासा और उत्सुकता को निरंतर बनाए रखता है। जैसे- मेरा मन पूछता है किस ओर? और उनके उत्तर विषय को आगे ही नहीं बढ़ाते बल्कि समस्या का समाधाान भी करते हैं। लेखक शब्दों के प्रयोग में अत्यंत सिद्धहस्त है। उसके कहने का ढंग अनोखा एवं निराला है।
कविता "बीती विभावरी जाग री" में "जाग री" सम्बोधन एक प्रेयसी या सखी के लिए आया है। कवि उसे इसलिए जगाना चाहता है क्योंकि: प्रकृति जाग चुकी है: कवि प्रेयसी को याद दिलाता है कि तारे छिप चुके हैं, भोर हो चुकी है, पक्षी गा रहे हैं, और हवा चल रही है। प्रकृति के जागने का यह सुंदर समय है, और प्रेयसी को भी इसRead more
कविता “बीती विभावरी जाग री” में “जाग री” सम्बोधन एक प्रेयसी या सखी के लिए आया है। कवि उसे इसलिए जगाना चाहता है क्योंकि:
प्रकृति जाग चुकी है:
कवि प्रेयसी को याद दिलाता है कि तारे छिप चुके हैं, भोर हो चुकी है, पक्षी गा रहे हैं, और हवा चल रही है। प्रकृति के जागने का यह सुंदर समय है, और प्रेयसी को भी इस सौंदर्य का आनंद लेना चाहिए।
नींद व्यर्थ गंवा रही है:
कवि का मानना है कि प्रेयसी अपनी नींद में जीवन के अनमोल क्षणों को व्यर्थ गंवा रही है। जब चारों ओर प्रकृति सजग और जीवंत है, तो वह सो क्यों रही है?
उसके सौंदर्य का प्रदर्शन करने का समय आ गया है:
कवि प्रेयसी की सुंदरता की तुलना प्रकृति से करता है। जैसे-जैसे सूरज उगता है, वैसे-वैसे प्रेयसी का सौंदर्य भी खिलता है। कवि चाहता है कि वह उठे और अपनी सुंदरता को जगमगाए।
प्रेम का आनंद लेने का समय है:
सुबह का समय प्रेम का आनंद लेने का होता है। कवि प्रेयसी को जगाकर उसके साथ प्रेम के पल बिताना चाहता है।
इस प्रकार, “जाग री” का प्रयोग प्रेयसी को जगाने और उसे प्रकृति के सौंदर्य, जीवन के आनंद और प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया गया है।
‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में भोर के समय का चित्रण करते हुए कवि ने तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को सुंदरता से प्रस्तुत किया है। तारों के डूबने की कल्पना: कवि ने भोर के समय को इस तरह से चित्रित किया है कि जैसे रात के तारे धीरे-धीरे डूब रहे हैं और आकाश में धीरे-धीरे प्रकाश फैल रहा है। यह दर्शाRead more
‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में भोर के समय का चित्रण करते हुए कवि ने तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को सुंदरता से प्रस्तुत किया है।
तारों के डूबने की कल्पना:
कवि ने भोर के समय को इस तरह से चित्रित किया है कि जैसे रात के तारे धीरे-धीरे डूब रहे हैं और आकाश में धीरे-धीरे प्रकाश फैल रहा है। यह दर्शाता है कि रात्रि का अंधकार समाप्त हो रहा है और दिन का उजाला फैलने वाला है। तारे, जो रात में चमकते हैं, अब डूब रहे हैं, अर्थात उनका प्रकाश धीरे-धीरे फीका पड़ रहा है और सूरज की किरणें आ रही हैं।
पक्षियों के कलरव की कल्पना:
कवि ने भोर के समय पक्षियों के कलरव का भी उल्लेख किया है। पक्षियों का चहचहाना एक नई शुरुआत और जीवन के जागरण का प्रतीक है। जैसे ही सुबह होती है, पक्षी जाग जाते हैं और अपनी मधुर ध्वनि से वातावरण को गुंजायमान कर देते हैं। यह प्रकृति का एक सुंदर दृश्य है, जो नई उम्मीद और उत्साह को जन्म देता है।
बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि ने नायिका और प्रकृति दोनों को बहुत ही सुंदरता से चित्रित किया है। कवि की सौंदर्य-दृष्टि में नायिका और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध देखा जा सकता है। नायिका का चित्रण: कवि ने नायिका को मानवीय रूप में चित्रित किया है, जो सोई हुई है और जिसे जगाना चाहते हैं। नायिका की नRead more
बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि ने नायिका और प्रकृति दोनों को बहुत ही सुंदरता से चित्रित किया है। कवि की सौंदर्य-दृष्टि में नायिका और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध देखा जा सकता है।
नायिका का चित्रण:
कवि ने नायिका को मानवीय रूप में चित्रित किया है, जो सोई हुई है और जिसे जगाना चाहते हैं। नायिका की नींद और उसके जागने की प्रतीक्षा को कवि ने अत्यंत कोमलता और संवेदनशीलता से व्यक्त किया है। नायिका के रूप में कवि ने उस सुंदरता और माधुर्य को प्रस्तुत किया है जो दिन और रात के परिवर्तन के साथ जागृत होती है।
प्रकृति का चित्रण:
कवि ने भोर के समय की प्रकृति का चित्रण बहुत ही जीवंतता और सुंदरता के साथ किया है। तारों के डूबने, पक्षियों के कलरव, और भोर की पहली किरणों को कवि ने जिस तरह से प्रस्तुत किया है, उससे पाठक प्रकृति की खूबसूरती और ताजगी का अनुभव कर सकते हैं।
कवि की सौंदर्य-दृष्टि:
कवि की सौंदर्य-दृष्टि बहुत ही संवेदनशील और गहरी है। उन्होंने न केवल बाहरी सुंदरता को बल्कि आंतरिक भावनाओं और परिवर्तन को भी महत्व दिया है। नायिका के जागरण और प्रकृति के परिवर्तन के माध्यम से कवि ने एक नई शुरुआत, आशा, और जीवन के उत्साह को प्रस्तुत किया है।
त्व तथा ता प्रत्यय वाले चार-चार शब्द लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
‘त्व’ प्रत्यय वाले शब्द: ‘ता’ प्रत्यय वाले शब्द: 1. मधुरत्व मित्रता 2. मूल्यवानत्व सुंदरता 3. गौरवत्व वास्तविकता 4. गंभीरत्व स्वच्छता
‘त्व’ प्रत्यय वाले शब्द: ‘ता’ प्रत्यय वाले शब्द:
See less1. मधुरत्व मित्रता
2. मूल्यवानत्व सुंदरता
3. गौरवत्व वास्तविकता
4. गंभीरत्व स्वच्छता
पाठ से उदाहरण देते हुए हजारीप्रसाद द्विवेदी की भाषा-शैली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
द्विवेदी जी की भाषा में तत्सम शब्दों की प्रधाानता भी मिलती है। जैसे- वृहत्तर, आत्मतोषण, सहजात वृत्ति, वर्तुलाकार, नखदंतावलबी, अधाोगामनी आदि। दूसरी ओर आम बोलचाल के शब्दों के प्रयोग से उन्होंने विषय को सरल, सहज एवं स्पष्ट बना दिया है। जैसे- झगड़े-टंटे, पछाड़ना, अभागे, बेहया। उसी तरह उनकी भाषा में मुहाRead more
द्विवेदी जी की भाषा में तत्सम शब्दों की प्रधाानता भी मिलती है। जैसे- वृहत्तर, आत्मतोषण, सहजात वृत्ति, वर्तुलाकार, नखदंतावलबी, अधाोगामनी आदि। दूसरी ओर आम बोलचाल के शब्दों के प्रयोग से उन्होंने विषय को सरल, सहज एवं स्पष्ट बना दिया है। जैसे- झगड़े-टंटे, पछाड़ना, अभागे, बेहया। उसी तरह उनकी भाषा में मुहावरों और लोकोक्तियों के भी सुंदर प्रयोग हुए हैं। जैसे- लोहा लेना, कमर कसना, कीचड़ में घसीटना इत्यादि। लेखक निबंधा में अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे प्रश्न पूछकर हमारी जिज्ञासा और उत्सुकता को निरंतर बनाए रखता है। जैसे- मेरा मन पूछता है किस ओर? और उनके उत्तर विषय को आगे ही नहीं बढ़ाते बल्कि समस्या का समाधाान भी करते हैं। लेखक शब्दों के प्रयोग में अत्यंत सिद्धहस्त है। उसके कहने का ढंग अनोखा एवं निराला है।
See lessइस कविता में जाग री किसके लिए आया है? कवि उसे क्यों जगाना चाहता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
कविता "बीती विभावरी जाग री" में "जाग री" सम्बोधन एक प्रेयसी या सखी के लिए आया है। कवि उसे इसलिए जगाना चाहता है क्योंकि: प्रकृति जाग चुकी है: कवि प्रेयसी को याद दिलाता है कि तारे छिप चुके हैं, भोर हो चुकी है, पक्षी गा रहे हैं, और हवा चल रही है। प्रकृति के जागने का यह सुंदर समय है, और प्रेयसी को भी इसRead more
कविता “बीती विभावरी जाग री” में “जाग री” सम्बोधन एक प्रेयसी या सखी के लिए आया है। कवि उसे इसलिए जगाना चाहता है क्योंकि:
See lessप्रकृति जाग चुकी है:
कवि प्रेयसी को याद दिलाता है कि तारे छिप चुके हैं, भोर हो चुकी है, पक्षी गा रहे हैं, और हवा चल रही है। प्रकृति के जागने का यह सुंदर समय है, और प्रेयसी को भी इस सौंदर्य का आनंद लेना चाहिए।
नींद व्यर्थ गंवा रही है:
कवि का मानना है कि प्रेयसी अपनी नींद में जीवन के अनमोल क्षणों को व्यर्थ गंवा रही है। जब चारों ओर प्रकृति सजग और जीवंत है, तो वह सो क्यों रही है?
उसके सौंदर्य का प्रदर्शन करने का समय आ गया है:
कवि प्रेयसी की सुंदरता की तुलना प्रकृति से करता है। जैसे-जैसे सूरज उगता है, वैसे-वैसे प्रेयसी का सौंदर्य भी खिलता है। कवि चाहता है कि वह उठे और अपनी सुंदरता को जगमगाए।
प्रेम का आनंद लेने का समय है:
सुबह का समय प्रेम का आनंद लेने का होता है। कवि प्रेयसी को जगाकर उसके साथ प्रेम के पल बिताना चाहता है।
इस प्रकार, “जाग री” का प्रयोग प्रेयसी को जगाने और उसे प्रकृति के सौंदर्य, जीवन के आनंद और प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया गया है।
भोर के समय तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को लेकर कवि ने क्या कल्पना की है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में भोर के समय का चित्रण करते हुए कवि ने तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को सुंदरता से प्रस्तुत किया है। तारों के डूबने की कल्पना: कवि ने भोर के समय को इस तरह से चित्रित किया है कि जैसे रात के तारे धीरे-धीरे डूब रहे हैं और आकाश में धीरे-धीरे प्रकाश फैल रहा है। यह दर्शाRead more
‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में भोर के समय का चित्रण करते हुए कवि ने तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को सुंदरता से प्रस्तुत किया है।
See lessतारों के डूबने की कल्पना:
कवि ने भोर के समय को इस तरह से चित्रित किया है कि जैसे रात के तारे धीरे-धीरे डूब रहे हैं और आकाश में धीरे-धीरे प्रकाश फैल रहा है। यह दर्शाता है कि रात्रि का अंधकार समाप्त हो रहा है और दिन का उजाला फैलने वाला है। तारे, जो रात में चमकते हैं, अब डूब रहे हैं, अर्थात उनका प्रकाश धीरे-धीरे फीका पड़ रहा है और सूरज की किरणें आ रही हैं।
पक्षियों के कलरव की कल्पना:
कवि ने भोर के समय पक्षियों के कलरव का भी उल्लेख किया है। पक्षियों का चहचहाना एक नई शुरुआत और जीवन के जागरण का प्रतीक है। जैसे ही सुबह होती है, पक्षी जाग जाते हैं और अपनी मधुर ध्वनि से वातावरण को गुंजायमान कर देते हैं। यह प्रकृति का एक सुंदर दृश्य है, जो नई उम्मीद और उत्साह को जन्म देता है।
नायिका और प्रकृति में कवि क्या देखता है? उसकी सौंदर्य-दृष्टि आपको कितना प्रभावित करती है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि ने नायिका और प्रकृति दोनों को बहुत ही सुंदरता से चित्रित किया है। कवि की सौंदर्य-दृष्टि में नायिका और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध देखा जा सकता है। नायिका का चित्रण: कवि ने नायिका को मानवीय रूप में चित्रित किया है, जो सोई हुई है और जिसे जगाना चाहते हैं। नायिका की नRead more
बीती विभावरी जाग री’ कविता में कवि ने नायिका और प्रकृति दोनों को बहुत ही सुंदरता से चित्रित किया है। कवि की सौंदर्य-दृष्टि में नायिका और प्रकृति के बीच एक गहरा संबंध देखा जा सकता है।
See lessनायिका का चित्रण:
कवि ने नायिका को मानवीय रूप में चित्रित किया है, जो सोई हुई है और जिसे जगाना चाहते हैं। नायिका की नींद और उसके जागने की प्रतीक्षा को कवि ने अत्यंत कोमलता और संवेदनशीलता से व्यक्त किया है। नायिका के रूप में कवि ने उस सुंदरता और माधुर्य को प्रस्तुत किया है जो दिन और रात के परिवर्तन के साथ जागृत होती है।
प्रकृति का चित्रण:
कवि ने भोर के समय की प्रकृति का चित्रण बहुत ही जीवंतता और सुंदरता के साथ किया है। तारों के डूबने, पक्षियों के कलरव, और भोर की पहली किरणों को कवि ने जिस तरह से प्रस्तुत किया है, उससे पाठक प्रकृति की खूबसूरती और ताजगी का अनुभव कर सकते हैं।
कवि की सौंदर्य-दृष्टि:
कवि की सौंदर्य-दृष्टि बहुत ही संवेदनशील और गहरी है। उन्होंने न केवल बाहरी सुंदरता को बल्कि आंतरिक भावनाओं और परिवर्तन को भी महत्व दिया है। नायिका के जागरण और प्रकृति के परिवर्तन के माध्यम से कवि ने एक नई शुरुआत, आशा, और जीवन के उत्साह को प्रस्तुत किया है।