ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है: (ख) बचेंद्री का जन्म सन् 1954 में चमोली जिले के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ। (क) अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बचेंद्री ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिले। (घ) बड़े भाई द्वारा तिरस्कार से बचेंद्री का पर्वतारोहण का संकल्प और दृढ़ होता गया। (ग) 2Read more
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है:
(ख) बचेंद्री का जन्म सन् 1954 में चमोली जिले के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ।
(क) अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बचेंद्री ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिले।
(घ) बड़े भाई द्वारा तिरस्कार से बचेंद्री का पर्वतारोहण का संकल्प और दृढ़ होता गया।
(ग) 23 मई, 1984 को दिन के 1 बजकर 7 मिनट पर बचेंद्री ने माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा लहरा दिया।
(ङ) संसार के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने वाली वह प्रथम भारतीय महिला बन गई।
इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवि कहते हैं- अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपRead more
इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवि कहते हैं- अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपनों की दुनिया से बाहर निकालो और कुछ काम करो।
ये पंक्तियाँ कविता की प्रथम चार पंक्तियों से मिलती जुलती हैं।
कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं। इसी तरह वह कहता है कि क्या अलग-अलग प्रकार के फूलों को इकट्ठा करके एक माला नहीं बनाई जा सकती? आशय है, बनाई जा सकती है। जिस प्रकार यह हो सकता है, वैसे ही हम सब भी एक हो सकते हैं।
कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं। इसी तरह वह कहता है कि क्या अलग-अलग प्रकार के फूलों को इकट्ठा करके एक माला नहीं बनाई जा सकती? आशय है, बनाई जा सकती है। जिस प्रकार यह हो सकता है, वैसे ही हम सब भी एक हो सकते हैं।
इस अंश में कवि कहता है- देशवासियो! माना कि हम अलग-अलग जातियों व संप्रदायों से जुड़े हुए हैं, पर भारत के नागरिक होने के नाते हम सब भाई-भाई हैं। इसलिए आओ, सब मिलकर देश को एकता के सूत्रा में बाँधो और सुख-शांतिमय उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करें। सुख कैसे मिलेगा? आज़ादी से। शांति कैसे आएगी? गरीबी दRead more
इस अंश में कवि कहता है- देशवासियो! माना कि हम अलग-अलग जातियों व संप्रदायों से जुड़े हुए हैं, पर भारत
के नागरिक होने के नाते हम सब भाई-भाई हैं। इसलिए आओ, सब मिलकर देश को एकता के सूत्रा में बाँधो और सुख-शांतिमय उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करें। सुख कैसे मिलेगा? आज़ादी से। शांति कैसे आएगी? गरीबी दूर होने से। गरीबी दूर कैसे होगी? गरीबी दूर होगी अपना शासन स्थापित करके। इसके लिए हमें एक होकर संघर्ष करना पड़ेगा। समृद्धि और शांति लाने के लिए आओ, हम मिलजुल कर कठिन परिश्रम करें। कवि कुछ प्रश्नों के रूप में देश की जनता को एक होने के लिए कहता है। वह पूछता है कि क्या हम लोगों की जाति, धर्म, संप्रदाय अलग-अलग होने पर भी हम एक नहीं हो सकते? कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधाक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं।
अगर अपने दुखों से मुक्ति पाना चाहते हो तो उठो और सफलता की चोटी छूने के लिए चल पड़ो। सफलता पाने अर्थात् जीवन में कुछ सार्थक या अच्छा काम करने के लिए चलना ही पड़ता है, परिश्रम करना ही पड़ता है। अब भाग्य के बदलने या परिस्थितियाँ सुधाारने की प्रतीक्षा में बैठे रहना छोड़ो। केवल कर्म या पुरुषार्थ के मार्गRead more
अगर अपने दुखों से मुक्ति पाना चाहते हो तो उठो और सफलता की चोटी छूने के लिए चल पड़ो। सफलता पाने अर्थात्
जीवन में कुछ सार्थक या अच्छा काम करने के लिए चलना ही पड़ता है, परिश्रम करना ही पड़ता है। अब भाग्य के बदलने या परिस्थितियाँ सुधाारने की प्रतीक्षा में बैठे रहना छोड़ो। केवल कर्म या पुरुषार्थ के मार्ग पर चलो क्योंकि परिस्थितियाँ अपने आप नहीं बदलतीं, उन्हें मनुष्य अपने उद्यम से बदलता है। भारतीयों के मन में फैली हुई निराशा और आलसीपन को देखकर कवि को दुख होता है। देशवासियों का उद्बोधन करते हुए कवि एक उदाहरण देते हुए कहता है- तुम जानते हो कि सामने रखा निवाला भी अपने-आप मुँह में नहीं जाता, उसके लिए प्रयास करना पड़ता है यानी हाथ बढ़ाकर उसे उठाना होता है।
इन्हीं कारणों से हमारा देश पीछे हो गया तथा पिछड़े देश एवं समाज हमसे आगे निकल गए और प्रगति के पथ पर अग्रसर हुए। मेरे विचार से पिछड़े देश एवं समाज का हमसे आगे निकल जाने का मुख्य कारण उनके बीच की आपसी एकता एवं कर्मठता थी। वहाँ के लोग परिश्रम और अभ्यास के बल पर अपने देश में औद्योगिक क्रांति ले आए और विकRead more
इन्हीं कारणों से हमारा देश पीछे हो गया तथा पिछड़े देश एवं समाज हमसे आगे निकल गए और प्रगति के पथ पर अग्रसर हुए। मेरे विचार से पिछड़े देश एवं समाज का हमसे आगे निकल जाने का मुख्य कारण उनके बीच की आपसी एकता एवं कर्मठता थी। वहाँ के लोग परिश्रम और अभ्यास के बल पर अपने देश में औद्योगिक क्रांति ले आए और विकास करते गए।
विषय: सांप्रदायिक समस्या के समाधान के लिए सुझाव माननीय संपादक महोदय, मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से देश में बढ़ रही सांप्रदायिक समस्या के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। यह एक गंभीर मुद्दा है जिससे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को खतरा है। इस समस्या के समाधान के लिए मैं दRead more
विषय: सांप्रदायिक समस्या के समाधान के लिए सुझाव
माननीय संपादक महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से देश में बढ़ रही सांप्रदायिक समस्या के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। यह एक गंभीर मुद्दा है जिससे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को खतरा है। इस समस्या के समाधान के लिए मैं दो महत्वपूर्ण उपाय सुझाना चाहता हूं:
1. शिक्षा और जागरूकता:
सांप्रदायिक हिंसा और अशांति अक्सर अज्ञानता और गलतफहमी से पैदा होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, शिक्षा और जागरूकता महत्वपूर्ण है। हमें लोगों को विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। हमें उन्हें सहिष्णुता और स्वीकार्यता का महत्व समझाना चाहिए। इसके लिए, स्कूलों और कॉलेजों में धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सामाजिक संगठनों और मीडिया को भी इस दिशा में काम करना चाहिए।
2. कठोर कानून और सख्त कार्यान्वयन:
सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों को कड़ी सजा देना जरूरी है। हमें ऐसे कठोर कानून बनाने चाहिए जो सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में मदद करें। साथ ही, मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अपराधियों को बख्शा न जाए।
निष्कर्ष:
सांप्रदायिक समस्या एक जटिल मुद्दा है, लेकिन इसे शिक्षा, जागरूकता, कठोर कानूनों और सख्त कार्यान्वयन के माध्यम से हल किया जा सकता है। हमें सभी को मिलकर काम करना चाहिए और एक सहिष्णु और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए।
भवदीय,
(नीरज कुमार)
एवरेस्ट अभियान-दल में बचेंद्री के साथ निम्न में से कौन था? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
(घ) एवरेस्ट अभियान-दल में बचेंद्री के साथ अंग दोरजी था।
(घ) एवरेस्ट अभियान-दल में बचेंद्री के साथ अंग दोरजी था।
See lessपाठ के आधार पर निम्नलिखित घटनाओं को सही क्रम में लिखिएः (क) अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बचेंद्री ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिले। (ख) बचेंद्री का जन्म सन् 1954 में चमोली जिले के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ। (ग) 23 मई, 1984 को दिन के 1 बजकर 7 मिनट पर बचेंद्री ने माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा लहरा दिया। (घ) बड़े भाई द्वारा तिरस्कार से बचेंद्री का पर्वतारोहण का संकल्प और दृढ़ होता गया। (ङ) संसार के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने वाली वह प्रथम भारतीय महिला बन गई।
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है: (ख) बचेंद्री का जन्म सन् 1954 में चमोली जिले के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ। (क) अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बचेंद्री ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिले। (घ) बड़े भाई द्वारा तिरस्कार से बचेंद्री का पर्वतारोहण का संकल्प और दृढ़ होता गया। (ग) 2Read more
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है:
See less(ख) बचेंद्री का जन्म सन् 1954 में चमोली जिले के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ।
(क) अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बचेंद्री ने सिलाई का काम सीखा और कपड़े सिले।
(घ) बड़े भाई द्वारा तिरस्कार से बचेंद्री का पर्वतारोहण का संकल्प और दृढ़ होता गया।
(ग) 23 मई, 1984 को दिन के 1 बजकर 7 मिनट पर बचेंद्री ने माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा लहरा दिया।
(ङ) संसार के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने वाली वह प्रथम भारतीय महिला बन गई।
देह उनकी कोई पैंतालीस बसंत देखी के माध्यम से लेखक क्या बताना चाहता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
(घ) ‘देह उनकी कोई पैंतालीस बसंत देखी’ के माध्यम से लेखक चुस्ती-फुर्ती बताना चाहता है।
(घ) ‘देह उनकी कोई पैंतालीस बसंत देखी’ के माध्यम से लेखक चुस्ती-फुर्ती बताना चाहता है।
See lessकाम यों कि मशीन मात माने का आशय है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
(घ) ‘काम यों कि मशीन मात माने’ का आशय है मशीनों से भी तेज़ काम करना।
(घ) ‘काम यों कि मशीन मात माने’ का आशय है मशीनों से भी तेज़ काम करना।
See lessमैथिलीशरण गुप्त की एक अन्य कविता की नीचे लिखी पंक्तियों का अर्थ लिखिए। बताइए ये पंक्तियाँ कविता की किन पंक्तियों से मिलती जुलती हैं? नर हो न निराश करो मन को। कुछ काम करो, कुछ काम करो। जग में रहकर कुछ नाम करो।। यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो, समझो जिससे यह व्यर्थ न हो। NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवि कहते हैं- अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपRead more
इस कविता में जीवन के संघर्षों से निराश हो चुके लोगों से कवि कहते हैं- अपने मन को निराश मत करो। कुछ काम करो। कुछ ऐसा काम करो जिससे इस विश्व में नाम हो। तुम्हारे जीवन का क्या उद्देश्य है उसे समझो। बैठे बैठे अपने जीवन की यूं ना गवाओ। अच्छा काम हमेश लाभ ही पहुँचाता है। निराश होकर यूं ना बैठो बल्कि और सपनों की दुनिया से बाहर निकालो और कुछ काम करो।
See lessये पंक्तियाँ कविता की प्रथम चार पंक्तियों से मिलती जुलती हैं।
विविध सुमनों की एक माला से क्या तात्पर्य है और यह उदाहरण क्यों दिया गया है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं। इसी तरह वह कहता है कि क्या अलग-अलग प्रकार के फूलों को इकट्ठा करके एक माला नहीं बनाई जा सकती? आशय है, बनाई जा सकती है। जिस प्रकार यह हो सकता है, वैसे ही हम सब भी एक हो सकते हैं।
कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं। इसी तरह वह कहता है कि क्या अलग-अलग प्रकार के फूलों को इकट्ठा करके एक माला नहीं बनाई जा सकती? आशय है, बनाई जा सकती है। जिस प्रकार यह हो सकता है, वैसे ही हम सब भी एक हो सकते हैं।
See lessकवि देशवासियों का आह्वान कर उनसे क्या आशा करता है?
इस अंश में कवि कहता है- देशवासियो! माना कि हम अलग-अलग जातियों व संप्रदायों से जुड़े हुए हैं, पर भारत के नागरिक होने के नाते हम सब भाई-भाई हैं। इसलिए आओ, सब मिलकर देश को एकता के सूत्रा में बाँधो और सुख-शांतिमय उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करें। सुख कैसे मिलेगा? आज़ादी से। शांति कैसे आएगी? गरीबी दRead more
इस अंश में कवि कहता है- देशवासियो! माना कि हम अलग-अलग जातियों व संप्रदायों से जुड़े हुए हैं, पर भारत
See lessके नागरिक होने के नाते हम सब भाई-भाई हैं। इसलिए आओ, सब मिलकर देश को एकता के सूत्रा में बाँधो और सुख-शांतिमय उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करें। सुख कैसे मिलेगा? आज़ादी से। शांति कैसे आएगी? गरीबी दूर होने से। गरीबी दूर कैसे होगी? गरीबी दूर होगी अपना शासन स्थापित करके। इसके लिए हमें एक होकर संघर्ष करना पड़ेगा। समृद्धि और शांति लाने के लिए आओ, हम मिलजुल कर कठिन परिश्रम करें। कवि कुछ प्रश्नों के रूप में देश की जनता को एक होने के लिए कहता है। वह पूछता है कि क्या हम लोगों की जाति, धर्म, संप्रदाय अलग-अलग होने पर भी हम एक नहीं हो सकते? कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधाक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं।
पाठ पौरुष का पढ़ो कथन से कवि का क्या आशय है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
अगर अपने दुखों से मुक्ति पाना चाहते हो तो उठो और सफलता की चोटी छूने के लिए चल पड़ो। सफलता पाने अर्थात् जीवन में कुछ सार्थक या अच्छा काम करने के लिए चलना ही पड़ता है, परिश्रम करना ही पड़ता है। अब भाग्य के बदलने या परिस्थितियाँ सुधाारने की प्रतीक्षा में बैठे रहना छोड़ो। केवल कर्म या पुरुषार्थ के मार्गRead more
अगर अपने दुखों से मुक्ति पाना चाहते हो तो उठो और सफलता की चोटी छूने के लिए चल पड़ो। सफलता पाने अर्थात्
See lessजीवन में कुछ सार्थक या अच्छा काम करने के लिए चलना ही पड़ता है, परिश्रम करना ही पड़ता है। अब भाग्य के बदलने या परिस्थितियाँ सुधाारने की प्रतीक्षा में बैठे रहना छोड़ो। केवल कर्म या पुरुषार्थ के मार्ग पर चलो क्योंकि परिस्थितियाँ अपने आप नहीं बदलतीं, उन्हें मनुष्य अपने उद्यम से बदलता है। भारतीयों के मन में फैली हुई निराशा और आलसीपन को देखकर कवि को दुख होता है। देशवासियों का उद्बोधन करते हुए कवि एक उदाहरण देते हुए कहता है- तुम जानते हो कि सामने रखा निवाला भी अपने-आप मुँह में नहीं जाता, उसके लिए प्रयास करना पड़ता है यानी हाथ बढ़ाकर उसे उठाना होता है।
पिछडे़ देश और समाज भी हमसे आगे निकल गए, आपके विचार से इसका क्या कारण हो सकता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
इन्हीं कारणों से हमारा देश पीछे हो गया तथा पिछड़े देश एवं समाज हमसे आगे निकल गए और प्रगति के पथ पर अग्रसर हुए। मेरे विचार से पिछड़े देश एवं समाज का हमसे आगे निकल जाने का मुख्य कारण उनके बीच की आपसी एकता एवं कर्मठता थी। वहाँ के लोग परिश्रम और अभ्यास के बल पर अपने देश में औद्योगिक क्रांति ले आए और विकRead more
इन्हीं कारणों से हमारा देश पीछे हो गया तथा पिछड़े देश एवं समाज हमसे आगे निकल गए और प्रगति के पथ पर अग्रसर हुए। मेरे विचार से पिछड़े देश एवं समाज का हमसे आगे निकल जाने का मुख्य कारण उनके बीच की आपसी एकता एवं कर्मठता थी। वहाँ के लोग परिश्रम और अभ्यास के बल पर अपने देश में औद्योगिक क्रांति ले आए और विकास करते गए।
See lessसांप्रदायिक समस्या के समाधान के लिए कोई दो उपाय सुझाते हुए किसी प्रतिष्ठित दैनिक समाचारपत्र के संपादक को पत्र लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
विषय: सांप्रदायिक समस्या के समाधान के लिए सुझाव माननीय संपादक महोदय, मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से देश में बढ़ रही सांप्रदायिक समस्या के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। यह एक गंभीर मुद्दा है जिससे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को खतरा है। इस समस्या के समाधान के लिए मैं दRead more
विषय: सांप्रदायिक समस्या के समाधान के लिए सुझाव
See lessमाननीय संपादक महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से देश में बढ़ रही सांप्रदायिक समस्या के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं। यह एक गंभीर मुद्दा है जिससे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को खतरा है। इस समस्या के समाधान के लिए मैं दो महत्वपूर्ण उपाय सुझाना चाहता हूं:
1. शिक्षा और जागरूकता:
सांप्रदायिक हिंसा और अशांति अक्सर अज्ञानता और गलतफहमी से पैदा होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, शिक्षा और जागरूकता महत्वपूर्ण है। हमें लोगों को विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। हमें उन्हें सहिष्णुता और स्वीकार्यता का महत्व समझाना चाहिए। इसके लिए, स्कूलों और कॉलेजों में धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सामाजिक संगठनों और मीडिया को भी इस दिशा में काम करना चाहिए।
2. कठोर कानून और सख्त कार्यान्वयन:
सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों को कड़ी सजा देना जरूरी है। हमें ऐसे कठोर कानून बनाने चाहिए जो सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में मदद करें। साथ ही, मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अपराधियों को बख्शा न जाए।
निष्कर्ष:
सांप्रदायिक समस्या एक जटिल मुद्दा है, लेकिन इसे शिक्षा, जागरूकता, कठोर कानूनों और सख्त कार्यान्वयन के माध्यम से हल किया जा सकता है। हमें सभी को मिलकर काम करना चाहिए और एक सहिष्णु और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए।
भवदीय,
(नीरज कुमार)