अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रभाव: आम आदमी का जीवन अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग निश्चित रूप से आम आदमी के जीवन को गहराई से प्रभावित कर रहा है। नकारात्मक प्रभाव: सुरक्षा: हिंसा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है, जिससे लोगों में असुरक्षा का भाव पैदा होता है। आर्थिक बोझ: हथियारों पर खर्च बढ़ने से सरकारोंRead more
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रभाव: आम आदमी का जीवन
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग निश्चित रूप से आम आदमी के जीवन को गहराई से प्रभावित कर रहा है।
नकारात्मक प्रभाव:
सुरक्षा: हिंसा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है, जिससे लोगों में असुरक्षा का भाव पैदा होता है।
आर्थिक बोझ: हथियारों पर खर्च बढ़ने से सरकारों को अन्य आवश्यक सेवाओं पर कम खर्च करना पड़ता है, जिसका बोझ आम जनता पर पड़ता है।
स्वास्थ्य: युद्ध और हिंसा से मृत्यु, चोट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
सामाजिक ताना-बाना: सामाजिक विभाजन और अविश्वास बढ़ता है, जिससे समुदाय कमजोर होते हैं।
सकारात्मक प्रभाव:
रक्षा: कुछ मामलों में, हथियार देश की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
रोजगार: हथियारों के निर्माण और रखरखाव से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
प्रौद्योगिकी: हथियारों के विकास से नई तकनीकों का जन्म हो सकता है, जिनका उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग एक जटिल मुद्दा है जिसके आम आदमी के जीवन पर both positive and negative प्रभाव पड़ते हैं। हमें शांति और सुरक्षा के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने होंगे, और साथ ही हथियारों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए भी प्रभावी नीतियां बनानी होंगी।
भारतीय संस्कृति में ‘स्व’ के बंधन को आवश्यक माना गया है क्योंकि यह आत्म-अनुशासन, नैतिकता, और समाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण है। 'स्व' का बंधन हमें हमारे कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। उदाहरण के रूप में,Read more
भारतीय संस्कृति में ‘स्व’ के बंधन को आवश्यक माना गया है क्योंकि यह आत्म-अनुशासन, नैतिकता, और समाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण है। ‘स्व’ का बंधन हमें हमारे कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
उदाहरण के रूप में, भगवद गीता में अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद को देख सकते हैं। अर्जुन युद्ध से पहले मानसिक द्वंद्व में फंस जाता है और अपने स्वजनों के विरुद्ध लड़ने से हिचकिचाता है। श्रीकृष्ण उसे उसके कर्तव्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा देते हैं, और बताते हैं कि आत्म-संयम और अनुशासन (स्व बंधन) ही सच्चे योद्धा का धर्म है। यह आत्म-अनुशासन अर्जुन को मानसिक स्पष्टता और दृढ़ता प्रदान करता है, जिससे वह अपने कर्तव्य का पालन कर पाता है।
इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि ‘स्व’ के बंधन से व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और नैतिकताओं का पालन करने की प्रेरणा मिलती है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर आवश्यक है। इससे व्यक्ति आत्म-संयम, आत्म-ज्ञान, और आत्म-विकास की ओर अग्रसर होता है, जो भारतीय संस्कृति का मूलभूत सिद्धांत है।
(क) गांधी जी उन सुखों को मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ मानते थे जो आत्मिक और नैतिक उन्नति से जुड़े होते हैं। उनके विचार में सच्चा सुख भौतिक संपत्ति या ऐश्वर्य में नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा, और आत्म-संयम में निहित है। गांधी जी का मानना था कि वास्तविक सुख सादगी, संयम, और स्वावलंबन में है, जो मनुष्य को आंतरिRead more
(क) गांधी जी उन सुखों को मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ मानते थे जो आत्मिक और नैतिक उन्नति से जुड़े होते हैं। उनके विचार में सच्चा सुख भौतिक संपत्ति या ऐश्वर्य में नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा, और आत्म-संयम में निहित है। गांधी जी का मानना था कि वास्तविक सुख सादगी, संयम, और स्वावलंबन में है, जो मनुष्य को आंतरिक शांति और संतोष प्रदान करता है। उनके अनुसार, बाहरी सुख क्षणिक होते हैं और मनुष्य को भटकाते हैं, जबकि आंतरिक सुख स्थायी और सार्थक होते हैं।
(ख) हाँ, मैं गांधी जी से सहमत हूँ। तर्क यह है कि बाहरी सुख, जैसे भौतिक संपत्ति, शक्ति, और ऐश्वर्य, अस्थायी होते हैं और उन्हें प्राप्त करने के बाद भी मनुष्य का मन संतुष्ट नहीं होता। इसके विपरीत, आंतरिक सुख, जो आत्म-संयम, नैतिकता, और सादगी से प्राप्त होते हैं, स्थायी और संतोषजनक होते हैं। उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति जिसने अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना और सादगी को अपनाना सीख लिया है, वह छोटी-छोटी बातों में भी खुशी पा सकता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है। इसके अलावा, ऐसे आंतरिक सुख से न केवल व्यक्तिगत स्तर पर शांति मिलती है, बल्कि यह समाज में भी सौहार्द और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, आत्मिक और नैतिक सुख ही वास्तविक और स्थायी सुख होते हैं, जो मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ हैं।
मैं अपने भविष्य को निर्मित करने के लिए जिन दो मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूंगा, वे हैं: ईमानदारी और करुणा। इन मूल्यों का पालन न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है। 1. ईमानदारी ईमानदारी का मतलब सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और विश्वसनीयता से हRead more
मैं अपने भविष्य को निर्मित करने के लिए जिन दो मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूंगा, वे हैं: ईमानदारी और करुणा। इन मूल्यों का पालन न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है।
1. ईमानदारी
ईमानदारी का मतलब सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और विश्वसनीयता से है। इसे अपनाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
विश्वास: ईमानदारी से व्यक्ति के प्रति अन्य लोगों का विश्वास बढ़ता है। यह संबंधों को मजबूत और स्थायी बनाता है।
आत्म-सम्मान: जब व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है, तो उसका आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है। उसे अपने निर्णयों और कर्मों पर गर्व महसूस होता है।
पेशेवर सफलता: कार्यस्थल पर ईमानदारी से काम करने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और करियर में प्रगति होती है। नियोक्ता और सहयोगी ऐसे व्यक्तियों पर भरोसा करते हैं और उन्हें अधिक जिम्मेदारियां सौंपते हैं।
2. करुणा
करुणा का अर्थ है दूसरों के प्रति सहानुभूति और दया का भाव रखना। इसे अपनाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
समाज में सुधार: करुणा से प्रेरित व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करता है। वह दूसरों की मदद करने, जरूरतमंदों की सहायता करने, और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा पाता है।
आंतरिक शांति: दूसरों की सहायता करने और उनके दुख को कम करने का प्रयास करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
बेहतर संबंध: करुणा से प्रेरित व्यक्ति दूसरों के साथ सहानुभूति और समझदारी के साथ व्यवहार करता है, जिससे संबंधों में मधुरता और सामंजस्य बढ़ता है।
इन दोनों मूल्यों को अपनाने से न केवल मेरा व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगा। ईमानदारी और करुणा से जीवन में संतोष, शांति, और सफलता प्राप्त होती है, जो मेरे भविष्य को उज्ज्वल और सुखद बनाने में सहायक होंगे।
(i) लोहा लेना अर्थ: मुकाबला करना, चुनौती का सामना करना वाक्य: वीर शिवाजी ने मुगलों से लोहा लेकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की। (ii) कीचड़ में घसीटना अर्थ: किसी की छवि को खराब करना, बदनाम करना वाक्य: चुनाव के दौरान विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री को कीचड़ में घसीटने की कोशिश की, लेकिन वह अपने कार्यों से निर्Read more
(i) लोहा लेना
अर्थ: मुकाबला करना, चुनौती का सामना करना
वाक्य: वीर शिवाजी ने मुगलों से लोहा लेकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की।
(ii) कीचड़ में घसीटना
अर्थ: किसी की छवि को खराब करना, बदनाम करना
वाक्य: चुनाव के दौरान विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री को कीचड़ में घसीटने की कोशिश की, लेकिन वह अपने कार्यों से निर्दोष साबित हुए।
(iii) कमर कसना
अर्थ: पूरी तैयारी करना, दृढ़ निश्चय के साथ काम में जुटना
वाक्य: परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए उसने पूरी मेहनत से पढ़ाई करने की ठान ली और कमर कस ली।
अस्त्र-शस्त्रों के बढ़ते हुए प्रयोग ने आम आदमी के जीवन को प्रभावित किया है- इस संबंध में अपने विचार लगभग सौ शब्दों में लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रभाव: आम आदमी का जीवन अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग निश्चित रूप से आम आदमी के जीवन को गहराई से प्रभावित कर रहा है। नकारात्मक प्रभाव: सुरक्षा: हिंसा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है, जिससे लोगों में असुरक्षा का भाव पैदा होता है। आर्थिक बोझ: हथियारों पर खर्च बढ़ने से सरकारोंRead more
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रभाव: आम आदमी का जीवन
See lessअस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग निश्चित रूप से आम आदमी के जीवन को गहराई से प्रभावित कर रहा है।
नकारात्मक प्रभाव:
सुरक्षा: हिंसा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है, जिससे लोगों में असुरक्षा का भाव पैदा होता है।
आर्थिक बोझ: हथियारों पर खर्च बढ़ने से सरकारों को अन्य आवश्यक सेवाओं पर कम खर्च करना पड़ता है, जिसका बोझ आम जनता पर पड़ता है।
स्वास्थ्य: युद्ध और हिंसा से मृत्यु, चोट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
सामाजिक ताना-बाना: सामाजिक विभाजन और अविश्वास बढ़ता है, जिससे समुदाय कमजोर होते हैं।
सकारात्मक प्रभाव:
रक्षा: कुछ मामलों में, हथियार देश की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो सकते हैं।
रोजगार: हथियारों के निर्माण और रखरखाव से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
प्रौद्योगिकी: हथियारों के विकास से नई तकनीकों का जन्म हो सकता है, जिनका उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ता प्रयोग एक जटिल मुद्दा है जिसके आम आदमी के जीवन पर both positive and negative प्रभाव पड़ते हैं। हमें शांति और सुरक्षा के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने होंगे, और साथ ही हथियारों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए भी प्रभावी नीतियां बनानी होंगी।
भारतीय संस्कृति में ‘स्व’ के बंधन को क्यों आवश्यक माना गया है? एक उदाहरण देते हुए अपने विचारों की पुष्टि कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
भारतीय संस्कृति में ‘स्व’ के बंधन को आवश्यक माना गया है क्योंकि यह आत्म-अनुशासन, नैतिकता, और समाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण है। 'स्व' का बंधन हमें हमारे कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। उदाहरण के रूप में,Read more
भारतीय संस्कृति में ‘स्व’ के बंधन को आवश्यक माना गया है क्योंकि यह आत्म-अनुशासन, नैतिकता, और समाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण है। ‘स्व’ का बंधन हमें हमारे कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
See lessउदाहरण के रूप में, भगवद गीता में अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद को देख सकते हैं। अर्जुन युद्ध से पहले मानसिक द्वंद्व में फंस जाता है और अपने स्वजनों के विरुद्ध लड़ने से हिचकिचाता है। श्रीकृष्ण उसे उसके कर्तव्य और धर्म का पालन करने की शिक्षा देते हैं, और बताते हैं कि आत्म-संयम और अनुशासन (स्व बंधन) ही सच्चे योद्धा का धर्म है। यह आत्म-अनुशासन अर्जुन को मानसिक स्पष्टता और दृढ़ता प्रदान करता है, जिससे वह अपने कर्तव्य का पालन कर पाता है।
इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि ‘स्व’ के बंधन से व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और नैतिकताओं का पालन करने की प्रेरणा मिलती है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर आवश्यक है। इससे व्यक्ति आत्म-संयम, आत्म-ज्ञान, और आत्म-विकास की ओर अग्रसर होता है, जो भारतीय संस्कृति का मूलभूत सिद्धांत है।
(क) गांधी जी किस प्रकार के सुखों को मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ मानते थे? (ख) क्या आप उनसे समहत हैं, तर्क सहित उत्तर दीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
(क) गांधी जी उन सुखों को मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ मानते थे जो आत्मिक और नैतिक उन्नति से जुड़े होते हैं। उनके विचार में सच्चा सुख भौतिक संपत्ति या ऐश्वर्य में नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा, और आत्म-संयम में निहित है। गांधी जी का मानना था कि वास्तविक सुख सादगी, संयम, और स्वावलंबन में है, जो मनुष्य को आंतरिRead more
(क) गांधी जी उन सुखों को मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ मानते थे जो आत्मिक और नैतिक उन्नति से जुड़े होते हैं। उनके विचार में सच्चा सुख भौतिक संपत्ति या ऐश्वर्य में नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा, और आत्म-संयम में निहित है। गांधी जी का मानना था कि वास्तविक सुख सादगी, संयम, और स्वावलंबन में है, जो मनुष्य को आंतरिक शांति और संतोष प्रदान करता है। उनके अनुसार, बाहरी सुख क्षणिक होते हैं और मनुष्य को भटकाते हैं, जबकि आंतरिक सुख स्थायी और सार्थक होते हैं।
See less(ख) हाँ, मैं गांधी जी से सहमत हूँ। तर्क यह है कि बाहरी सुख, जैसे भौतिक संपत्ति, शक्ति, और ऐश्वर्य, अस्थायी होते हैं और उन्हें प्राप्त करने के बाद भी मनुष्य का मन संतुष्ट नहीं होता। इसके विपरीत, आंतरिक सुख, जो आत्म-संयम, नैतिकता, और सादगी से प्राप्त होते हैं, स्थायी और संतोषजनक होते हैं। उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति जिसने अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना और सादगी को अपनाना सीख लिया है, वह छोटी-छोटी बातों में भी खुशी पा सकता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है। इसके अलावा, ऐसे आंतरिक सुख से न केवल व्यक्तिगत स्तर पर शांति मिलती है, बल्कि यह समाज में भी सौहार्द और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, आत्मिक और नैतिक सुख ही वास्तविक और स्थायी सुख होते हैं, जो मानव-जाति के लिए श्रेष्ठ हैं।
आप ऐसे कौन से दो मानवीय मूल्य को अपनाना चाहेंगे जिससे आपका भविष्य निर्मित हो। वर्णन कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
मैं अपने भविष्य को निर्मित करने के लिए जिन दो मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूंगा, वे हैं: ईमानदारी और करुणा। इन मूल्यों का पालन न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है। 1. ईमानदारी ईमानदारी का मतलब सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और विश्वसनीयता से हRead more
मैं अपने भविष्य को निर्मित करने के लिए जिन दो मानवीय मूल्यों को अपनाना चाहूंगा, वे हैं: ईमानदारी और करुणा। इन मूल्यों का पालन न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है।
See less1. ईमानदारी
ईमानदारी का मतलब सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और विश्वसनीयता से है। इसे अपनाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
विश्वास: ईमानदारी से व्यक्ति के प्रति अन्य लोगों का विश्वास बढ़ता है। यह संबंधों को मजबूत और स्थायी बनाता है।
आत्म-सम्मान: जब व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है, तो उसका आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है। उसे अपने निर्णयों और कर्मों पर गर्व महसूस होता है।
पेशेवर सफलता: कार्यस्थल पर ईमानदारी से काम करने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और करियर में प्रगति होती है। नियोक्ता और सहयोगी ऐसे व्यक्तियों पर भरोसा करते हैं और उन्हें अधिक जिम्मेदारियां सौंपते हैं।
2. करुणा
करुणा का अर्थ है दूसरों के प्रति सहानुभूति और दया का भाव रखना। इसे अपनाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
समाज में सुधार: करुणा से प्रेरित व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करता है। वह दूसरों की मदद करने, जरूरतमंदों की सहायता करने, और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा पाता है।
आंतरिक शांति: दूसरों की सहायता करने और उनके दुख को कम करने का प्रयास करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
बेहतर संबंध: करुणा से प्रेरित व्यक्ति दूसरों के साथ सहानुभूति और समझदारी के साथ व्यवहार करता है, जिससे संबंधों में मधुरता और सामंजस्य बढ़ता है।
इन दोनों मूल्यों को अपनाने से न केवल मेरा व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगा। ईमानदारी और करुणा से जीवन में संतोष, शांति, और सफलता प्राप्त होती है, जो मेरे भविष्य को उज्ज्वल और सुखद बनाने में सहायक होंगे।
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए- (i) लोहा लेना (ii) कीचड़ में घसीटना (iii) कमर कसना NIOS Class 10 Hindi Chapter 18
(i) लोहा लेना अर्थ: मुकाबला करना, चुनौती का सामना करना वाक्य: वीर शिवाजी ने मुगलों से लोहा लेकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की। (ii) कीचड़ में घसीटना अर्थ: किसी की छवि को खराब करना, बदनाम करना वाक्य: चुनाव के दौरान विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री को कीचड़ में घसीटने की कोशिश की, लेकिन वह अपने कार्यों से निर्Read more
(i) लोहा लेना
See lessअर्थ: मुकाबला करना, चुनौती का सामना करना
वाक्य: वीर शिवाजी ने मुगलों से लोहा लेकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की।
(ii) कीचड़ में घसीटना
अर्थ: किसी की छवि को खराब करना, बदनाम करना
वाक्य: चुनाव के दौरान विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री को कीचड़ में घसीटने की कोशिश की, लेकिन वह अपने कार्यों से निर्दोष साबित हुए।
(iii) कमर कसना
अर्थ: पूरी तैयारी करना, दृढ़ निश्चय के साथ काम में जुटना
वाक्य: परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए उसने पूरी मेहनत से पढ़ाई करने की ठान ली और कमर कस ली।