इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं।Read more
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं। वह भी सुई में धागा पिरोने लगा उसकी समस्या का समाधान हो गया और उसने पुनः कर्मरत होने का निर्णय ले लिया। आजादी को जीवित रखने के लिए श्रम परम आवश्यक है, यह आप भी समझ गए होंगे।
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता। "हम पंछी उन्मुक्त गगन के": यहाँ कवि ने पक्षीRead more
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता।
“हम पंछी उन्मुक्त गगन के”: यहाँ कवि ने पक्षी का उदाहरण लिया है, जो खुले आकाश में उड़ता है और उसे कोई सीमा नहीं होती। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है।
“पिंजरबद्ध न गा पाएँगे”: जब पक्षी पिंजरे में बंद होते हैं, तो वे अपने गाने की स्वाभाविक आदत को नहीं निभा सकते। यह बंधन में जकड़े जाने की स्थिति को दर्शाता है।
“कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे!”: यहाँ कवि यह कह रहा है कि यदि पक्षी स्वर्ण (सोने) के तीलियों से घिरा हो, तो वह अपनी उड़ान को नहीं भर सकता और उसके पंख टूट सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भौतिक सुख और समृद्धि भी स्वतंत्रता की कीमत पर सच्ची खुशी और सशक्तता नहीं ला सकते।
“स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले”: यह पंक्ति यह बताती है कि यदि किसी को भौतिक बंधनों (जैसे सोने की शृंखला) से जकड़ा जाता है, तो वह अपनी प्राकृतिक गति और उद्देश्य से भटक जाता है। वह अपने आत्म-निर्णय, उद्दीपन, और स्वतंत्रता को भूल जाता है।
“बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले”: जब पक्षी बंधन में होते हैं, तो वे बस सपने में अपने स्वाभाविक कर्मों, जैसे झूलने और उन्मुक्त रूप से उड़ने, को देख सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो लोग बंधन में रहते हैं, वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन नहीं कर सकते, वे सिर्फ उन सपनों का कल्पना ही कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि यह संदेश दे रहे हैं कि स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है और बंधनों में रहते हुए हम अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों और सपनों को पूरा नहीं कर सकते।
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है: (च) हरियाणा राज्य के करनाल शहर के एक सामान्य व्यापारी बनवारी लाल के घर में एक साधारण गृहिणी संयोगिता ने सन् 1961 की पहली जुलाई को एक बिटिया को जन्म दिया, जो कल्पना कहलाई। (ङ) कल्पना चावला ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉRead more
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है:
(च) हरियाणा राज्य के करनाल शहर के एक सामान्य व्यापारी बनवारी लाल के घर में एक साधारण गृहिणी संयोगिता ने सन् 1961 की पहली जुलाई को एक बिटिया को जन्म दिया, जो कल्पना कहलाई।
(ङ) कल्पना चावला ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से ली।
(घ) बोल्डर में कोलराडो विश्वविद्यालय से कल्पना चावला ने सन् 1988 में एअरोस्पेस में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
(ख) ‘कोलंबिया मिशन’ के लिए कल्पना भी चुन ली गईं।
(क) 16 जनवरी 2003 को ‘केनेडी अंतरिक्ष केंद्र’ से आसमान में उड़े अंतरिक्ष-यान में बैठे लोगों में से एक कल्पना चावला भी थीं।
(ग) अपने सात साथियों के साथ 1 फ़रवरी, 2003 की शाम अंतरिक्ष की बेटी अंतरिक्ष में समा गई।
शागिर्द ने सुई में धागा पिरोने का निर्णय क्यों ले लिया? NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं।Read more
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं। वह भी सुई में धागा पिरोने लगा उसकी समस्या का समाधान हो गया और उसने पुनः कर्मरत होने का निर्णय ले लिया। आजादी को जीवित रखने के लिए श्रम परम आवश्यक है, यह आप भी समझ गए होंगे।
See lessनिम्नलिखित कविता को ध्यान से पढि़ए और इसके भावार्थ लिखिए- हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे! स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता। "हम पंछी उन्मुक्त गगन के": यहाँ कवि ने पक्षीRead more
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता।
See less“हम पंछी उन्मुक्त गगन के”: यहाँ कवि ने पक्षी का उदाहरण लिया है, जो खुले आकाश में उड़ता है और उसे कोई सीमा नहीं होती। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है।
“पिंजरबद्ध न गा पाएँगे”: जब पक्षी पिंजरे में बंद होते हैं, तो वे अपने गाने की स्वाभाविक आदत को नहीं निभा सकते। यह बंधन में जकड़े जाने की स्थिति को दर्शाता है।
“कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे!”: यहाँ कवि यह कह रहा है कि यदि पक्षी स्वर्ण (सोने) के तीलियों से घिरा हो, तो वह अपनी उड़ान को नहीं भर सकता और उसके पंख टूट सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भौतिक सुख और समृद्धि भी स्वतंत्रता की कीमत पर सच्ची खुशी और सशक्तता नहीं ला सकते।
“स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले”: यह पंक्ति यह बताती है कि यदि किसी को भौतिक बंधनों (जैसे सोने की शृंखला) से जकड़ा जाता है, तो वह अपनी प्राकृतिक गति और उद्देश्य से भटक जाता है। वह अपने आत्म-निर्णय, उद्दीपन, और स्वतंत्रता को भूल जाता है।
“बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले”: जब पक्षी बंधन में होते हैं, तो वे बस सपने में अपने स्वाभाविक कर्मों, जैसे झूलने और उन्मुक्त रूप से उड़ने, को देख सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो लोग बंधन में रहते हैं, वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन नहीं कर सकते, वे सिर्फ उन सपनों का कल्पना ही कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि यह संदेश दे रहे हैं कि स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है और बंधनों में रहते हुए हम अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों और सपनों को पूरा नहीं कर सकते।
जो कपड़े नहीं सिएगा पंक्ति किसकी ओर संकेत करती हैः
(क) ‘जो कपड़े नहीं सिएगा’ पंक्ति दर्जी के शागिर्द की ओर ओर संकेत करती है।
(क) ‘जो कपड़े नहीं सिएगा’ पंक्ति दर्जी के शागिर्द की ओर ओर संकेत करती है।
See lessआजादी किसके लिए क्या है- एक रेखा खींचकर मिलान कीजिएः भयभीत ज्ञान जीवन तीर शिकारी बिस्तर तनहाई बलिदान अज्ञानी पनाह थका-माँदा महफि़ल
आजादी इनके लिए यह है: भयभीत पनाह जीवन बलिदान शिकारी तीर तनहाई महफि़ल अज्ञानी ज्ञान थका-माँदा बिस्तर
आजादी इनके लिए यह है:
See lessभयभीत पनाह
जीवन बलिदान
शिकारी तीर
तनहाई महफि़ल
अज्ञानी ज्ञान
थका-माँदा बिस्तर
दर्जी एक प्रकार का व्यवसाय है। नीचे दिए शब्दों में कौन-सा व्यवसाय नहीं है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
(घ) दर्जी एक प्रकार का व्यवसाय है। राजगिरी व्यवसाय नहीं है।
(घ) दर्जी एक प्रकार का व्यवसाय है। राजगिरी व्यवसाय नहीं है।
See lessनिम्नलिखित शब्दों में से किस शब्द में ‘ई’ प्रत्यय नहीं है। NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
(ग) पानी शब्द में ‘ई’ प्रत्यय नहीं है।
(ग) पानी शब्द में ‘ई’ प्रत्यय नहीं है।
See lessनिम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय छाँटिएः अनंत, गतिमान, शिकारी, अज्ञानी, चमकीली, बोनेवाला
अनंत - ‘अन्’ उपसर्ग गतिमान - ‘मान’ प्रत्यय शिकारी - ‘ई’ प्रत्यय चमकीली - ‘ईला’ और ‘ई’ प्रत्यय (चमक ⟶ चमकीला ⟶ चमकीली) बोनेवाला - ‘वाला’ प्रत्यय
अनंत – ‘अन्’ उपसर्ग
See lessगतिमान – ‘मान’ प्रत्यय
शिकारी – ‘ई’ प्रत्यय
चमकीली – ‘ईला’ और ‘ई’ प्रत्यय (चमक ⟶ चमकीला ⟶ चमकीली)
बोनेवाला – ‘वाला’ प्रत्यय
दर्जी के अनुसार आज़ादी को भोगने का अधिकार किसे होना चाहिए? NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
दर्जी के अनुसार आज़ादी को भोगने का अधिकार उसे होना चाहिए जो देश से प्रेम करता है।
दर्जी के अनुसार आज़ादी को भोगने का अधिकार उसे होना चाहिए जो देश से प्रेम करता है।
See lessजब पहली बार कल्पना चावला अंतरिक्ष में थीं, तब भारत के प्रधानमंत्री ने – NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
(घ) जब पहली बार कल्पना चावला अंतरिक्ष में थीं, तब भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें इस अंतरिक्ष अभियान के लिए बधाई दी।
(घ) जब पहली बार कल्पना चावला अंतरिक्ष में थीं, तब भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें इस अंतरिक्ष अभियान के लिए बधाई दी।
See lessपढ़े हुए अंश के आधार पर निम्नलिखित घटनाओं को सही क्रम में लिखिएः (क) 16 जनवरी 2003 को केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आसमान में उड़े अंतरिक्ष-यान में बैठे लोगों में से एक कल्पना चावला भी थीं। (ख) कोलंबिया मिशन के लिए कल्पना भी चुन ली गईं। (ग) अपने सात साथियों के साथ 1 फ़रवरी, 2003 की शाम अंतरिक्ष की बेटी अंतरिक्ष में समा गई। (घ) बोल्डर में कोलराडो विश्वविद्यालय से कल्पना चावला ने सन् 1988 में एअरोस्पेस में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। (ङ) कल्पना चावला ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से ली। (च) हरियाणा राज्य के करनाल शहर के एक सामान्य व्यापारी बनवारी लाल के घर में एक साधारण गृहिणी संयोगिता ने सन् 1961 की पहली जुलाई को एक बिटिया को जन्म दिया, जो कल्पना कहलाई।
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है: (च) हरियाणा राज्य के करनाल शहर के एक सामान्य व्यापारी बनवारी लाल के घर में एक साधारण गृहिणी संयोगिता ने सन् 1961 की पहली जुलाई को एक बिटिया को जन्म दिया, जो कल्पना कहलाई। (ङ) कल्पना चावला ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉRead more
ऊपर प्रश्न में दी गई घटनाओं का सही क्रम निम्नलिखित है:
See less(च) हरियाणा राज्य के करनाल शहर के एक सामान्य व्यापारी बनवारी लाल के घर में एक साधारण गृहिणी संयोगिता ने सन् 1961 की पहली जुलाई को एक बिटिया को जन्म दिया, जो कल्पना कहलाई।
(ङ) कल्पना चावला ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से ली।
(घ) बोल्डर में कोलराडो विश्वविद्यालय से कल्पना चावला ने सन् 1988 में एअरोस्पेस में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
(ख) ‘कोलंबिया मिशन’ के लिए कल्पना भी चुन ली गईं।
(क) 16 जनवरी 2003 को ‘केनेडी अंतरिक्ष केंद्र’ से आसमान में उड़े अंतरिक्ष-यान में बैठे लोगों में से एक कल्पना चावला भी थीं।
(ग) अपने सात साथियों के साथ 1 फ़रवरी, 2003 की शाम अंतरिक्ष की बेटी अंतरिक्ष में समा गई।