"अंधेर नगरी" की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है, जो दर्शकों और पाठकों को सहज ही आकर्षित करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों और घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण होता है। व्यंग्यात्मक शैली का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिससे नाटक की सामाजिक औRead more
“अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है, जो दर्शकों और पाठकों को सहज ही आकर्षित करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों और घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण होता है। व्यंग्यात्मक शैली का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिससे नाटक की सामाजिक और राजनीतिक आलोचना अधिक प्रभावी बनती है। संवादों में हास्य और व्यंग्य का समावेश करके उन्होंने गंभीर मुद्दों को भी रोचक और समझने योग्य बनाया है। कुल मिलाकर, “अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरलता, सहजता और व्यंग्यात्मकता का उत्कृष्ट मिश्रण है।
(क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है। (√) (ख) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है। (x) (ग) भारतेन्दु ने ‘अंधेर नगरी’ में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं। (√) (घ) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की ज़रूरत है। (√)
(क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है। (√)
(ख) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है। (x)
(ग) भारतेन्दु ने ‘अंधेर नगरी’ में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं। (√)
(घ) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की ज़रूरत है। (√)
अंधेर नगरी की भाषा-शैली पर एक टिप्पणी लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 15
"अंधेर नगरी" की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है, जो दर्शकों और पाठकों को सहज ही आकर्षित करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों और घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण होता है। व्यंग्यात्मक शैली का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिससे नाटक की सामाजिक औRead more
“अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है, जो दर्शकों और पाठकों को सहज ही आकर्षित करती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पात्रों और घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण होता है। व्यंग्यात्मक शैली का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिससे नाटक की सामाजिक और राजनीतिक आलोचना अधिक प्रभावी बनती है। संवादों में हास्य और व्यंग्य का समावेश करके उन्होंने गंभीर मुद्दों को भी रोचक और समझने योग्य बनाया है। कुल मिलाकर, “अंधेर नगरी” की भाषा-शैली सरलता, सहजता और व्यंग्यात्मकता का उत्कृष्ट मिश्रण है।
See lessटके सेर भाजी टके सेर खाजा में निहित व्यंग्यार्थ है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 15
(ग) ‘टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ में निहित व्यंग्यार्थ है- गुणों और मूल्यों की कदर नहीं है।
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See lessइस नाटक में अंधेर नगरी और चौपट्ट राजा की कल्पना का कारण क्या है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 15
(क) इस नाटक में ‘अंधेर नगरी और चौपट्ट राजा’ की कल्पना का कारण ब्रिटिश शासन की सीधे तौर पर आलोचना न कर पाने की स्थिति है।
(क) इस नाटक में ‘अंधेर नगरी और चौपट्ट राजा’ की कल्पना का कारण ब्रिटिश शासन की सीधे तौर पर आलोचना न कर पाने की स्थिति है।
See lessनिम्नलिखित विकल्पों में से सही के आगे (√) और गलत के आगे (x) का निशान लगाइए- (क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है। (ख) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है। (ग) भारतेन्दु ने ‘अंधेर नगरी’ में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं। (घ) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की ज़रूरत है।
(क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है। (√) (ख) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है। (x) (ग) भारतेन्दु ने ‘अंधेर नगरी’ में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं। (√) (घ) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की ज़रूरत है। (√)
(क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है। (√)
See less(ख) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है। (x)
(ग) भारतेन्दु ने ‘अंधेर नगरी’ में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं। (√)
(घ) ‘अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की ज़रूरत है। (√)
अंधेर नगरी के बारे में क्या सच नहीं है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 15
(घ) अंधेर नगरी के बारे में यह सच नहीं है- राजा बहुत न्यायप्रिय है।
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