1. (क) लार भोजन को सुपाच्य तो बनाती ही है, रोगाणुओं को भी समाप्त कर देती है। (√) (ख) हमारी त्वचा पसीने द्वारा शरीर की नमी को नष्ट कर देती है। (×) (ग) बहुत-सी कोशिकाएँ मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं। (√) (घ) नाक में रहने वाले श्लेष्मा के सहारे रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। (×) (ङ) पानी पीनेRead more

    (क) लार भोजन को सुपाच्य तो बनाती ही है, रोगाणुओं को भी समाप्त कर देती है। (√)
    (ख) हमारी त्वचा पसीने द्वारा शरीर की नमी को नष्ट कर देती है। (×)
    (ग) बहुत-सी कोशिकाएँ मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं। (√)
    (घ) नाक में रहने वाले श्लेष्मा के सहारे रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। (×)
    (ङ) पानी पीने से शरीर में रोगाणुओं की उपस्थिति कम हो जाती है। (√)
    (च) शौचालय जाने के बाद गुप्तांगों को साफ़ पानी से धोकर सुखाने से संक्रमण से बचा जा सकता है। (√)

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  2. (घ) नसों की दीवार तरल ऊतकों से बनी होती है। ।

    (घ) नसों की दीवार तरल ऊतकों से बनी होती है।

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  3. (ग) रक्त की श्वेत कणिकाएँ रोगाणुओं से लड़ती हैं।

    (ग) रक्त की श्वेत कणिकाएँ रोगाणुओं से लड़ती हैं।

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  4. (ख) टीकों के माधयम से शरीर में रोगाणुओं के विष पहुँचाए जाते हैं।

    (ख) टीकों के माधयम से शरीर में रोगाणुओं के विष पहुँचाए जाते हैं।

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  5. (घ) डिफ़्थीरिया रोग गले में होता है।

    (घ) डिफ़्थीरिया रोग गले में होता है।

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