कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़ कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। तीन-चार मास में उसके स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लRead more
कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो
गया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़ कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा।
तीन-चार मास में उसके स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं।
यह दोहा हमें सिखाता है कि आलोचना और निंदा को नकारात्मक रूप से नहीं, बल्कि सकारात्मक रूप से ग्रहण करना चाहिए। आलोचक हमें हमारे अंदर मौजूद कमियों को पहचानने और उनमें सुधार करने का मौका देते हैं। जैसे दर्पण हमारा प्रतिबिंब दिखाकर हमें सुंदर बनाने में मदद करता है, वैसे ही आलोचक भी हमारे चरित्र को निखारनRead more
यह दोहा हमें सिखाता है कि आलोचना और निंदा को नकारात्मक रूप से नहीं, बल्कि सकारात्मक रूप से ग्रहण करना चाहिए। आलोचक हमें हमारे अंदर मौजूद कमियों को पहचानने और उनमें सुधार करने का मौका देते हैं।
जैसे दर्पण हमारा प्रतिबिंब दिखाकर हमें सुंदर बनाने में मदद करता है, वैसे ही आलोचक भी हमारे चरित्र को निखारने में सहायक होते हैं। हमें सदैव खुले विचारों वाले रहना चाहिए और आलोचना को आत्म-सुधार का साधन समझना चाहिए।
यह दोहा हमें सच्चे ज्ञान और विनम्रता का मार्ग दिखाता है।
इस पंक्ति में, शिष्य को "कुंभ" (मिट्टी का घड़ा) और गुरु को "कुम्हार" (घड़ा बनाने वाला) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे कुम्हार घड़े को बनाने के लिए मिट्टी को गढ़ता है, उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को ज्ञान और अनुशासन देकर उसे एक बेहतर इंसान बनाता है। "गढि़-गढि़ काढ़ै खोट" का अर्थ है कि गुरु धीरे-धीरे, शRead more
इस पंक्ति में, शिष्य को “कुंभ” (मिट्टी का घड़ा) और गुरु को “कुम्हार” (घड़ा बनाने वाला) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे कुम्हार घड़े को बनाने के लिए मिट्टी को गढ़ता है, उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को ज्ञान और अनुशासन देकर उसे एक बेहतर इंसान बनाता है।
“गढि़-गढि़ काढ़ै खोट” का अर्थ है कि गुरु धीरे-धीरे, शिष्य के अंदर मौजूद खामियों और अवगुणों को दूर करता है। यह प्रक्रिया कठिन और धीमी हो सकती है, लेकिन गुरु धैर्य और प्रेम के साथ शिष्य को सही दिशा दिखाता है।
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि यदि नाव में पानी भरने लगे और घर में पैसे की अधिकता होने लगे, तो समझदारी इसी में है कि दोनों हाथों से उलीचना शुरू कर दीजिए। इस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से अभिप्राय है कि समझदार व्यक्ति को अंजुरी भर-भर कर उसे बाहर कर देना चाहिए अर्थात् दान कर देना चाहिए, क्Read more
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि यदि नाव में पानी भरने लगे और घर में पैसे की अधिकता होने लगे, तो समझदारी इसी में है कि दोनों हाथों से उलीचना शुरू कर दीजिए।
इस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से अभिप्राय है कि समझदार व्यक्ति को अंजुरी भर-भर कर उसे बाहर कर देना चाहिए अर्थात् दान कर देना चाहिए, क्योंकि धन की अधिकता अपने साथ ऐसी विकृतियाँ लेकर आती है, जिससे घर का विनाश होना निश्चित होता है।
इस दोहे में, "जड़मति" शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान नहीं है, या जिसे सीखने में कठिनाई होती है। हालांकि, यह दोहा हमें सिखाता है कि निरंतर अभ्यास और प्रयासों के द्वारा, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मूर्ख क्यों न हो, ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकता है।Read more
इस दोहे में, “जड़मति” शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान नहीं है, या जिसे सीखने में कठिनाई होती है।
हालांकि, यह दोहा हमें सिखाता है कि निरंतर अभ्यास और प्रयासों के द्वारा, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मूर्ख क्यों न हो, ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकता है।
“जड़मति” शब्द का प्रयोग यहां केवल यह दर्शाने के लिए किया गया है कि शुरुआत में व्यक्ति की बुद्धि कम है, लेकिन अभ्यास से उसका ज्ञान बढ़ता है।
कबीर दास इस शब्द का प्रयोग यह बताने के लिए करते हैं कि लगातार अभ्यास से साधारण या कम बुद्धि वाला व्यक्ति भी कुशल और समझदार बन सकता है। “जड़मति” से यह भी संकेत मिलता है कि व्यक्ति चाहे कितना भी अज्ञानी या कमजोर हो, निरंतर प्रयास और अभ्यास के बल पर वह अपने ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर सकता है। इस दोहे का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपनी कमियों से निराश न हो, बल्कि अभ्यास के जरिए उन पर विजय प्राप्त करे।
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सRead more
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता कि कब मृत्यु आ जाएगी।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
घाव ठीक होने के पश्चात गिल्लू में कैसा परिवर्तन दिखाई पड़ा- उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 3
कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़ कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। तीन-चार मास में उसके स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लRead more
कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो
See lessगया कि मेरी उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़ कर, नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा।
तीन-चार मास में उसके स्निग्ध रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको विस्मित करने लगीं।
अभ्यास करने का अर्थ होता है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
(ग) अभ्यास करने का अर्थ होता है निरंतर कार्य करके उसमें कुशलता पाना।
(ग) अभ्यास करने का अर्थ होता है निरंतर कार्य करके उसमें कुशलता पाना।
See lessहिंदी की किस उपभाषा को संविधाान की आठवीं अनुसूची में स्वतंत्र भाषा का दर्जा प्राप्त है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
(ग) हिंदी की मैथिली उपभाषा को संविधाान की आठवीं अनुसूची में स्वतंत्रा भाषा का दर्जा प्राप्त है।
(ग) हिंदी की मैथिली उपभाषा को संविधाान की आठवीं अनुसूची में स्वतंत्रा भाषा का दर्जा प्राप्त है।
See lessनिम्नलिखित दोहे का भाव स्पष्ट करते हुए अपनी टिप्पणी कीजिएः निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करत सुभाय।।
यह दोहा हमें सिखाता है कि आलोचना और निंदा को नकारात्मक रूप से नहीं, बल्कि सकारात्मक रूप से ग्रहण करना चाहिए। आलोचक हमें हमारे अंदर मौजूद कमियों को पहचानने और उनमें सुधार करने का मौका देते हैं। जैसे दर्पण हमारा प्रतिबिंब दिखाकर हमें सुंदर बनाने में मदद करता है, वैसे ही आलोचक भी हमारे चरित्र को निखारनRead more
यह दोहा हमें सिखाता है कि आलोचना और निंदा को नकारात्मक रूप से नहीं, बल्कि सकारात्मक रूप से ग्रहण करना चाहिए। आलोचक हमें हमारे अंदर मौजूद कमियों को पहचानने और उनमें सुधार करने का मौका देते हैं।
See lessजैसे दर्पण हमारा प्रतिबिंब दिखाकर हमें सुंदर बनाने में मदद करता है, वैसे ही आलोचक भी हमारे चरित्र को निखारने में सहायक होते हैं। हमें सदैव खुले विचारों वाले रहना चाहिए और आलोचना को आत्म-सुधार का साधन समझना चाहिए।
यह दोहा हमें सच्चे ज्ञान और विनम्रता का मार्ग दिखाता है।
गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढि़-गढि़ काढ़ै खोट- पंक्ति में गढि़-गढि़ काढ़ै खोट का आशय स्पष्ट कीजिए। गुरु-शिष्य के संबंध का आदर्श रूप क्या है?
इस पंक्ति में, शिष्य को "कुंभ" (मिट्टी का घड़ा) और गुरु को "कुम्हार" (घड़ा बनाने वाला) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे कुम्हार घड़े को बनाने के लिए मिट्टी को गढ़ता है, उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को ज्ञान और अनुशासन देकर उसे एक बेहतर इंसान बनाता है। "गढि़-गढि़ काढ़ै खोट" का अर्थ है कि गुरु धीरे-धीरे, शRead more
इस पंक्ति में, शिष्य को “कुंभ” (मिट्टी का घड़ा) और गुरु को “कुम्हार” (घड़ा बनाने वाला) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे कुम्हार घड़े को बनाने के लिए मिट्टी को गढ़ता है, उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को ज्ञान और अनुशासन देकर उसे एक बेहतर इंसान बनाता है।
See less“गढि़-गढि़ काढ़ै खोट” का अर्थ है कि गुरु धीरे-धीरे, शिष्य के अंदर मौजूद खामियों और अवगुणों को दूर करता है। यह प्रक्रिया कठिन और धीमी हो सकती है, लेकिन गुरु धैर्य और प्रेम के साथ शिष्य को सही दिशा दिखाता है।
जो जल बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़ै दाम।। दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम।। – इस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से क्या अभिप्राय है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि यदि नाव में पानी भरने लगे और घर में पैसे की अधिकता होने लगे, तो समझदारी इसी में है कि दोनों हाथों से उलीचना शुरू कर दीजिए। इस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से अभिप्राय है कि समझदार व्यक्ति को अंजुरी भर-भर कर उसे बाहर कर देना चाहिए अर्थात् दान कर देना चाहिए, क्Read more
इस दोहे में कबीर कहते हैं कि यदि नाव में पानी भरने लगे और घर में पैसे की अधिकता होने लगे, तो समझदारी इसी में है कि दोनों हाथों से उलीचना शुरू कर दीजिए।
See lessइस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से अभिप्राय है कि समझदार व्यक्ति को अंजुरी भर-भर कर उसे बाहर कर देना चाहिए अर्थात् दान कर देना चाहिए, क्योंकि धन की अधिकता अपने साथ ऐसी विकृतियाँ लेकर आती है, जिससे घर का विनाश होना निश्चित होता है।
करत-करत अभ्यास तें… दोहे में मूर्ख के लिए जड़मति शब्द का प्रयोग क्यों किया गया? NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
इस दोहे में, "जड़मति" शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान नहीं है, या जिसे सीखने में कठिनाई होती है। हालांकि, यह दोहा हमें सिखाता है कि निरंतर अभ्यास और प्रयासों के द्वारा, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मूर्ख क्यों न हो, ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकता है।Read more
इस दोहे में, “जड़मति” शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान नहीं है, या जिसे सीखने में कठिनाई होती है।
See lessहालांकि, यह दोहा हमें सिखाता है कि निरंतर अभ्यास और प्रयासों के द्वारा, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मूर्ख क्यों न हो, ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकता है।
“जड़मति” शब्द का प्रयोग यहां केवल यह दर्शाने के लिए किया गया है कि शुरुआत में व्यक्ति की बुद्धि कम है, लेकिन अभ्यास से उसका ज्ञान बढ़ता है।
कबीर दास इस शब्द का प्रयोग यह बताने के लिए करते हैं कि लगातार अभ्यास से साधारण या कम बुद्धि वाला व्यक्ति भी कुशल और समझदार बन सकता है। “जड़मति” से यह भी संकेत मिलता है कि व्यक्ति चाहे कितना भी अज्ञानी या कमजोर हो, निरंतर प्रयास और अभ्यास के बल पर वह अपने ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर सकता है। इस दोहे का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपनी कमियों से निराश न हो, बल्कि अभ्यास के जरिए उन पर विजय प्राप्त करे।
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम शब्द छाँटकर लिखिएः कुल, सुरा, गुरु, कुम्हार, कुंभ, निदंक, सुभाय, जल, घर, हाथ, काम, पावस, मौन, खून, प्रीति, जहान।
ऊपर दिए गए शब्दों में से निम्नलिखित शब्द तत्सम शब्द हैं: कुल, गुरु, कुंभ, निंदक, सुभाय, जल, घर, हाथ, काम, पावस, मौन, जहान।
ऊपर दिए गए शब्दों में से निम्नलिखित शब्द तत्सम शब्द हैं:
See lessकुल, गुरु, कुंभ, निंदक, सुभाय, जल, घर, हाथ, काम, पावस, मौन, जहान।
निम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः कबिरा गर्व न कीजिए, काल गहे कर केस। क्या जानौं कित मारिहै, क्या घर क्या परदेस।। काल गहे कर केस का अर्थ स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सRead more
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता कि कब मृत्यु आ जाएगी।
See lessनिम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः निम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय। सुन इठलैहैं लोग सब, बाँट न लइहै कोय।। मन की व्यथा को छिपाकर क्यों रखना चाहिए? NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
See less