1. कवि ने सूरज, हवा और पक्षी-प्रकृति के इन तीन उपादानों को मुनष्य की तरह आत्मीय भाव से संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया है कि वे समय के साथ न चल पाने वाले आदमी का सच्चाई से परिचय कराएँ और उसके अंदर जागृति पैदा करें। यह प्रयोग बहुत सुंदर है। ये तीनों मानव-जीवन के आरंभ से ही उसके सबसे अधिक निकट के साथी हRead more

    कवि ने सूरज, हवा और पक्षी-प्रकृति के इन तीन उपादानों को मुनष्य की तरह आत्मीय भाव से संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया है कि वे समय के साथ न चल पाने वाले आदमी का सच्चाई से परिचय कराएँ और उसके अंदर जागृति पैदा करें। यह प्रयोग बहुत सुंदर है। ये तीनों मानव-जीवन के आरंभ से ही उसके सबसे अधिक निकट के साथी हैं।

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  2. निम्नलिखित पत्रों के कथ्य को सार के रूप में लिखिएः सं. 102/न-3/8-03 दिनांकः 18 अगस्त, 2011 प्रेषकः जि़लाधिकारी देहरादून सेवा में, अवर सचिव ग्राम पंचायत विभाग उत्तराखंड सरकार देहरादून विषयः ग्राम पंचायत कार्यालय के कर्मचारियों के लिए पर्वतीय भत्ते की स्वीकृति के संबंध में। महोदय, इस जि़ले के लिए स्वीकृत वर्ष 2010-11 के बजट में पर्वतीय भत्ते के लिए प्रावधान नहीं रखा गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में अन्य स्थानों की अपेक्षा महँगाई अधिक है। इसी वजह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कार्यरत समस्त सरकारी कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ता दिया जाता है। पर्वतीय भत्ता देने का प्रावधान इस जिले पर भी लागू होता है। इस संबंध में सरकार से अनुरोध है कि वर्ष 2010-11 के बजट में ग्राम पंचायत कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ते का भुगतान करने हेतु इस मद में रु. 15,00,000/- (रुपए पंद्रह लाख मात्र) की व्यवस्था की जाए और पिछले साल खर्च हुई राशि के लिए कार्य हो जाने के पश्चात् मंजूरी प्रदान की जाए।

    वर्ष 2010-11 के बजट में इस जिले के लिए पर्वतीय भत्ता नहीं रखा गया है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में महंगाई अधिक होने के कारण सरकारी कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ता मिलना चाहिए। सरकार से अनुरोध है कि ग्राम पंचायत कर्मचारियों के लिए इस मद में ₹15,00,000/- का प्रावधान किया जाए और पिछले वर्ष की खर्च रRead more

    वर्ष 2010-11 के बजट में इस जिले के लिए पर्वतीय भत्ता नहीं रखा गया है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में महंगाई अधिक होने के कारण सरकारी कर्मचारियों को पर्वतीय भत्ता मिलना चाहिए। सरकार से अनुरोध है कि ग्राम पंचायत कर्मचारियों के लिए इस मद में ₹15,00,000/- का प्रावधान किया जाए और पिछले वर्ष की खर्च राशि की मंजूरी दी जाए।

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  3. राष्ट्र की मानसिक संपत्ति, विशेषकर बालक-बालिकाओं, की उचित रक्षा और उन्नति करने वाला राष्ट्र ही सम्मान, उत्साह और स्वतंत्रता के साथ जीवित रह सकता है। यह संपत्ति प्राकृतिक संपत्ति से अधिक मूल्यवान है। जो राष्ट्र इस धन की उपेक्षा करता है, वह उन्नति की बजाय अवनति की ओर बढ़ता है।

    राष्ट्र की मानसिक संपत्ति, विशेषकर बालक-बालिकाओं, की उचित रक्षा और उन्नति करने वाला राष्ट्र ही सम्मान, उत्साह और स्वतंत्रता के साथ जीवित रह सकता है। यह संपत्ति प्राकृतिक संपत्ति से अधिक मूल्यवान है। जो राष्ट्र इस धन की उपेक्षा करता है, वह उन्नति की बजाय अवनति की ओर बढ़ता है।

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  4. (i) धर्म की आड़ में लोग स्वार्थ सिद्ध करते हैं। (x) (ii) लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना दिया है। (x) (iii) धर्म मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार कराता है, उसके चरित्र को उन्नत करता है। (x)

    (i) धर्म की आड़ में लोग स्वार्थ सिद्ध करते हैं। (x)
    (ii) लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना दिया है। (x)
    (iii) धर्म मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार कराता है, उसके चरित्र को उन्नत करता है। (x)

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  5. (क) ‘दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना।’ का आशय है कि जैसे दीपक अपने प्रकाश से अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में सकारात्मकता और ज्ञान फैलाने का प्रयास करना चाहिए। हमें अपने आस-पास की नकारात्मकता को दूर करने और दूसरों के जीवन में रोशनी लाने का प्रयास करना चाहिए। (ख) ‘सत्पुरुषोंRead more

    (क) ‘दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना।’ का आशय है कि जैसे दीपक अपने प्रकाश से अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में सकारात्मकता और ज्ञान फैलाने का प्रयास करना चाहिए। हमें अपने आस-पास की नकारात्मकता को दूर करने और दूसरों के जीवन में रोशनी लाने का प्रयास करना चाहिए।

    (ख) ‘सत्पुरुषों के जीवन से सीखो निज चरित्रा गढ़ना।’ का आशय है कि हमें महान और नेक व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए। उनके आदर्शों और सिद्धांतों का अनुसरण करके हम अपने जीवन को उच्च नैतिक मूल्यों और सद्गुणों से परिपूर्ण बना सकते हैं।

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