1. (ख) कविता में लक्ष्य-भ्रष्ट तीर के लिए प्रयुक्त हुआ है।

    (ख) कविता में लक्ष्य-भ्रष्ट तीर के लिए प्रयुक्त हुआ है।

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  2. ‘शतरंज के खिलाड़ी’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है, जो 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लखनऊ के दो नवाबों, मीर और मिरजा, के जीवन पर आधारित है। इस कहानी का शीर्षक बहुत ही सार्थक और प्रतीकात्मक है। इस पर विचार करते हुए हम निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दे सकते हैं: कहानी का मूल कथानक: कहानRead more

    ‘शतरंज के खिलाड़ी’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है, जो 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लखनऊ के दो नवाबों, मीर और मिरजा, के जीवन पर आधारित है। इस कहानी का शीर्षक बहुत ही सार्थक और प्रतीकात्मक है। इस पर विचार करते हुए हम निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दे सकते हैं:
    कहानी का मूल कथानक:
    कहानी में मीर और मिरजा दो शतरंज के खिलाड़ी हैं जो अपने खेल में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें अपने आस-पास की दुनिया का कोई ध्यान नहीं रहता। इस प्रकार, शतरंज का खेल उनकी पूरी दुनिया बन जाता है और उनकी वास्तविक जिम्मेदारियों से उन्हें विमुख कर देता है।
    प्रतीकात्मकता:
    शतरंज का खेल यहाँ न केवल मीर और मिरजा के जीवन की ओर संकेत करता है, बल्कि भारतीय समाज और उसके उच्च वर्ग की स्थिति का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह खेल उनके जीवन के ठहराव और आत्ममुग्धता का प्रतीक है, जहाँ वे अपने निजी आनंद में लिप्त रहते हैं जबकि बाहर की दुनिया में महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हो रही हैं।
    समय और स्थान:
    कहानी की पृष्ठभूमि उस समय की है जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी धीरे-धीरे भारत पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश कर रही थी। मीर और मिरजा की शतरंज की बाजी और उसकी धुन में उनकी उदासीनता यह दर्शाती है कि किस प्रकार भारतीय रियासतें और उनके शासक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे थे और बाहरी आक्रमण के प्रति उदासीन थे।
    चरित्र चित्रण:
    मीर और मिरजा की शतरंज के प्रति दीवानगी उनके चरित्र की जड़ता, उनके आपसी संबंधों की गहराई और उनके समाज की सांस्कृतिक स्थिति को दर्शाती है। वे अपने समय और परिस्थिति से अनभिज्ञ हैं, जो कि उनके पतन का कारण बनता है।

    कहानी का अंत:
    जब नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों द्वारा हटा दिया जाता है, मीर और मिरजा की शतरंज की बाजी भी उस समय चरम पर होती है। यह इस बात का प्रतीक है कि कैसे ये लोग अपनी खोखली प्रतिष्ठा में लिप्त रहकर अपनी धरती और सत्ता को बचाने में असफल हो जाते हैं।
    इस प्रकार, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ शीर्षक कहानी की विषयवस्तु, पात्रों और प्रतीकात्मकता को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है। यह शीर्षक न केवल कहानी के मुख्य तत्वों को दर्शाता है, बल्कि समाज और समय की गहरी व्याख्या भी प्रस्तुत करता है।

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  3. मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में मीर और मिरजा की मित्रता का चित्रण समाज और समय की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में किया गया है। उनकी मित्रता के विभिन्न सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करने से हमें उनके चरित्र और आपसी संबंधों की गहराई का पता चलता है। मीर और मिरजा की मित्रता के सकRead more

    मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में मीर और मिरजा की मित्रता का चित्रण समाज और समय की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में किया गया है। उनकी मित्रता के विभिन्न सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर विचार करने से हमें उनके चरित्र और आपसी संबंधों की गहराई का पता चलता है।
    मीर और मिरजा की मित्रता के सकारात्मक पक्ष
    गहरी मित्रता:
    मीर और मिरजा की मित्रता बहुत गहरी और सच्ची है। वे एक-दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और शतरंज खेलते हुए अपने दिन व्यतीत करते हैं। उनके बीच में आपसी समझ और सहयोग है जो एक सच्ची मित्रता का प्रतीक है।
    समान रूचियाँ:
    दोनों को शतरंज का बेहद शौक है, जो उन्हें और करीब लाता है। उनकी यह साझा रुचि उनके आपसी संबंधों को मजबूत बनाती है और उन्हें एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने का अवसर देती है।
    सहजता और आत्मीयता:
    उनके बीच का संवाद और बातचीत सहज और आत्मीय है। वे एक-दूसरे के साथ अपनी भावनाएँ और विचार खुलकर साझा करते हैं, जो उनके बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है।
    मीर और मिरजा की मित्रता के नकारात्मक पक्ष
    अनदेखी और उदासीनता:
    उनकी शतरंज की धुन और लत उन्हें वास्तविक जीवन की जिम्मेदारियों से विमुख कर देती है। वे अपने परिवार और समाज के प्रति उदासीन हो जाते हैं, जिससे उनके घरेलू और सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    स्वार्थपरता:
    मीर और मिरजा अपने शतरंज के खेल में इतने लीन हो जाते हैं कि उन्हें अपने आसपास की दुनिया की परवाह नहीं रहती। वे केवल अपने आनंद और खेल में लगे रहते हैं, जिससे उनकी स्वार्थपरता स्पष्ट होती है।
    संकट के समय में असहायता:
    जब लखनऊ पर अंग्रेजों का हमला होता है, मीर और मिरजा शतरंज में इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें इस संकट की गंभीरता का एहसास नहीं होता। उनकी यह उदासीनता और असहायता उनके व्यक्तित्व की कमजोरी को दर्शाती है।
    परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारियों की उपेक्षा:
    उनकी मित्रता और शतरंज के प्रति दीवानगी उनके परिवार और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों की उपेक्षा को दर्शाती है। उनकी पत्नियाँ और अन्य लोग उनकी इस लापरवाही से परेशान और दुखी रहते हैं।
    निष्कर्ष
    मीर और मिरजा की मित्रता में गहराई और आत्मीयता है, जो उनके संबंधों को सकारात्मक बनाती है। हालांकि, उनकी इस मित्रता की वजह से वे अपनी जिम्मेदारियों और सामाजिक कर्तव्यों से विमुख हो जाते हैं, जो उनके चरित्र के नकारात्मक पक्ष को उजागर करता है। इस प्रकार, उनकी मित्रता के दोनों पक्षों को समझने से हमें उनके जीवन और उनके समय की परिस्थितियों का गहन विश्लेषण करने का अवसर मिलता है।

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  4. मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ इस कथन को बहुत प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है कि "जिसे आजीविका के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता, उसके जीवन में कुछ विकृतियाँ आ जाती हैं"। कहानी के मुख्य पात्र, मीर और मिरजा, अपनी जीविका के संघर्ष से मुक्त होने के कारण जिन विकृतियों का सामना करते हैं, वे इसRead more

    मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ इस कथन को बहुत प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है कि “जिसे आजीविका के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता, उसके जीवन में कुछ विकृतियाँ आ जाती हैं”। कहानी के मुख्य पात्र, मीर और मिरजा, अपनी जीविका के संघर्ष से मुक्त होने के कारण जिन विकृतियों का सामना करते हैं, वे इस कथन की सत्यता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। आइए इस कथन पर कहानी के आधार पर विस्तार से विचार करें:
    आर्थिक सुरक्षा और निष्क्रियता
    मीर और मिरजा दोनों ही उच्चवर्गीय नवाब हैं, जिनके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं है। आर्थिक रूप से सुरक्षित होने के कारण उन्हें अपनी आजीविका के लिए कोई संघर्ष नहीं करना पड़ता। इस कारण वे अपने जीवन को शतरंज जैसे खेलों में व्यतीत करते हैं, जो उनकी निष्क्रियता और आलस्य को बढ़ावा देता है।
    जिम्मेदारियों से विमुखता
    कहानी में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि मीर और मिरजा अपने पारिवारिक और सामाजिक कर्तव्यों से बिल्कुल विमुख हो गए हैं। उनकी पत्नियाँ उनकी उदासीनता से परेशान हैं और उनकी सामाजिक जिम्मेदारियाँ भी उपेक्षित हो रही हैं। उनके पास आर्थिक सुरक्षा होने के कारण वे इन जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेते, जो उनके जीवन में विकृतियों का कारण बनता है।
    आत्ममुग्धता और स्वार्थपरता
    मीर और मिरजा अपनी शतरंज की धुन में इतने लीन हो जाते हैं कि उन्हें अपने आसपास की दुनिया का कोई ध्यान नहीं रहता। यह आत्ममुग्धता और स्वार्थपरता उनके चरित्र की विकृतियों को दर्शाती है। वे केवल अपने आनंद और संतुष्टि के बारे में सोचते हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    यथार्थ से पलायन
    शतरंज के खेल में लीन रहकर मीर और मिरजा वास्तविक जीवन की समस्याओं और चुनौतियों से पलायन करते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति उनके जीवन में एक प्रकार की विकृति को जन्म देती है, जहाँ वे वास्तविकता से दूर होकर एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं। यह पलायनवाद उनके व्यक्तित्व और जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।
    ऐतिहासिक और राजनीतिक असंवेदनशीलता
    कहानी में उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों का भी उल्लेख है जब अंग्रेजी हुकूमत का विस्तार हो रहा था। मीर और मिरजा इस ऐतिहासिक और राजनीतिक परिवर्तन के प्रति बिल्कुल असंवेदनशील रहते हैं। उनकी आर्थिक सुरक्षा और आजीविका के संघर्ष की अनुपस्थिति उन्हें इन महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति उदासीन बना देती है, जो उनके जीवन की एक बड़ी विकृति है।

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  5. मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का उद्देश्य केवल मनोरंजन प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह कहानी समाज, राजनीति और मानवीय प्रवृत्तियों पर गहरी दृष्टि डालती है। कहानी का उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर समझा जा सकता है: 1. सामाजिक जागरूकता कहानी में मीर और मिरजा जैसे उच्चवर्गीय नवाबों के जीवन को चित्Read more

    मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का उद्देश्य केवल मनोरंजन प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह कहानी समाज, राजनीति और मानवीय प्रवृत्तियों पर गहरी दृष्टि डालती है। कहानी का उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर समझा जा सकता है:
    1. सामाजिक जागरूकता
    कहानी में मीर और मिरजा जैसे उच्चवर्गीय नवाबों के जीवन को चित्रित किया गया है, जो अपनी विलासिता और निरर्थक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। प्रेमचंद ने उनके माध्यम से उस समय के उच्च वर्ग की असंवेदनशीलता, आलस्य, और जिम्मेदारियों से विमुखता को उजागर किया है। यह सामाजिक आलोचना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि ऐसी प्रवृत्तियाँ समाज को कैसे प्रभावित करती हैं और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं।
    2. राजनीतिक चेतना
    कहानी की पृष्ठभूमि में नवाब वाजिद अली शाह के समय का लखनऊ है, जब अंग्रेजी हुकूमत का विस्तार हो रहा था। मीर और मिरजा जैसे नवाब अपनी विलासिता में इतने लिप्त हैं कि उन्हें देश की राजनीतिक परिस्थितियों की गंभीरता का कोई एहसास नहीं है। यह कहानी राजनीतिक उदासीनता और असंवेदनशीलता पर एक तीखा व्यंग्य है, जो यह संदेश देती है कि राजनीतिक चेतना का अभाव एक समाज और देश के पतन का कारण बन सकता है।
    3. मानवीय कमजोरियों की अभिव्यक्ति
    मीर और मिरजा की शतरंज के प्रति दीवानगी उनकी मानवीय कमजोरियों को उजागर करती है। उनका आत्ममुग्धता, स्वार्थपरता, और वास्तविकता से पलायन उनके व्यक्तित्व की कमजोरियों को दिखाता है। प्रेमचंद ने इन पात्रों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जीवन में संतुलन और जिम्मेदारियों की आवश्यकता होती है, और इनसे विमुख होना व्यक्ति और समाज दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
    4. व्यंग्य और कटाक्ष
    कहानी में प्रेमचंद ने व्यंग्य और कटाक्ष का कुशल प्रयोग किया है। मीर और मिरजा की जीवनशैली और उनकी शतरंज की धुन पर प्रेमचंद का कटाक्ष न केवल पाठक को हंसाता है, बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर करता है। यह व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण हमें उन सामाजिक और व्यक्तिगत विकृतियों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है जो हमारी समाज में विद्यमान हैं।
    5. सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा
    कहानी का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा देना भी है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यह दिखाया है कि किस प्रकार समाज के उच्च वर्ग की असंवेदनशीलता और आलस्य समाज के समग्र विकास में बाधक हो सकता है। यह कहानी पाठकों को सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने और सकारात्मक परिवर्तन के लिए प्रेरित करती है।
    निष्कर्ष
    ‘शतरंज के खिलाड़ी’ एक साधारण कहानी होते हुए भी गहरे सामाजिक, राजनीतिक, और मानवीय संदेशों से परिपूर्ण है। इसका उद्देश्य समाज को जागरूक करना, राजनीतिक चेतना उत्पन्न करना, मानवीय कमजोरियों को उजागर करना, और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित करना है। प्रेमचंद की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में संतुलन और जिम्मेदारियों की अहमियत है, और इनसे विमुख होना समाज और देश दोनों के लिए घातक हो सकता है।

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