1. मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'शतरंज के खिलाड़ी' भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में गहरा महत्व रखती है। यह कहानी उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिवेश को प्रतिबिंबित करती है जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार हो रहा था। कहानी में मीर और मिरजा जैसे नवाबों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समयRead more

    मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में गहरा महत्व रखती है। यह कहानी उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिवेश को प्रतिबिंबित करती है जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार हो रहा था। कहानी में मीर और मिरजा जैसे नवाबों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के भारतीय समाज के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया है, जो स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में विचारणीय हैं।
    1. औपनिवेशिक शासन की आलोचना
    कहानी की पृष्ठभूमि में नवाब वाजिद अली शाह का शासन और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का हस्तक्षेप स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। प्रेमचंद ने मीर और मिरजा के माध्यम से उस समय के भारतीय शासकों की निष्क्रियता और आलस्य को चित्रित किया है, जो औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध किसी भी प्रकार का संगठित प्रतिरोध करने में असमर्थ थे। यह कहानी ब्रिटिश हुकूमत की आलोचना करती है और यह दर्शाती है कि किस प्रकार भारतीय समाज में आंतरिक कमजोरियाँ और राजनीतिक उदासीनता विदेशी शासन को बढ़ावा देने में सहायक रहीं।
    2. राजनीतिक जागरूकता का अभाव
    मीर और मिरजा का शतरंज के खेल में लीन होना उस समय के भारतीय उच्च वर्ग की राजनीतिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है। जब लखनऊ पर अंग्रेजों का आक्रमण होता है, तब भी वे अपने खेल में व्यस्त रहते हैं। यह प्रतीकात्मकता स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस समय के समाज में व्याप्त राजनीतिक जागरूकता के अभाव को इंगित करती है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि राजनीतिक जागरूकता और सक्रियता स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
    3. सामाजिक और सांस्कृतिक विकृतियाँ
    मीर और मिरजा की शतरंज की धुन और उनके जीवन की विलासिता उस समय के समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक विकृतियों को उजागर करती है। इस प्रकार की जीवनशैली ने समाज को निष्क्रिय और आत्ममुग्ध बना दिया था, जो स्वाधीनता आंदोलन के लिए बाधक सिद्ध हो रही थी। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की है कि समाज को अपने सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को पहचानना और उन्हें सहेजना आवश्यक है, ताकि स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
    4. राष्ट्रीय चेतना का आह्वान
    कहानी में मीर और मिरजा की उदासीनता और आलस्य के विपरीत प्रेमचंद ने अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय चेतना का आह्वान किया है। उन्होंने यह दिखाया है कि किस प्रकार व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुखता समाज और राष्ट्र के लिए हानिकारक हो सकती है। स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में यह कहानी लोगों को जागरूक और सक्रिय बनने के लिए प्रेरित करती है, ताकि वे देश की स्वतंत्रता के लिए संगठित और समर्पित हो सकें।
    5. सामाजिक सुधार का संदेश
    प्रेमचंद की यह कहानी सामाजिक सुधार का भी संदेश देती है। स्वाधीनता आंदोलन केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग नहीं था, बल्कि सामाजिक सुधार और न्याय की भी बात करता था। मीर और मिरजा की जीवनशैली और उनके सामाजिक दायित्वों की उपेक्षा यह दिखाती है कि समाज को आंतरिक रूप से मजबूत और न्यायपूर्ण बनाना भी आवश्यक है, ताकि स्वतंत्रता के पश्चात एक समृद्ध और समतामूलक समाज की स्थापना हो सके।
    निष्कर्ष
    ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में गहरा महत्व रखती है। यह कहानी न केवल औपनिवेशिक शासन की आलोचना करती है, बल्कि समाज की आंतरिक कमजोरियों, राजनीतिक जागरूकता के अभाव, और सामाजिक-सांस्कृतिक विकृतियों को भी उजागर करती है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सुधार का संदेश दिया है, जो स्वाधीनता आंदोलन के उद्देश्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। इस प्रकार, यह कहानी स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है।

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  2. 'शतरंज के खिलाड़ी' में व्यक्त वातावरण 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जब यह कहानी आधारित है, भारतीय समाज में उच्च वर्ग के लोग विलासिता और शतरंज जैसे खेलों में समय व्यतीत करते थे। वे समाज की वास्तविक समस्याओं और जिम्मेदारियों से विमुख थे। मीर और मिरजा जैसे नवाब अपने आनंद में इतने लीन थे कि उन्हें देशRead more

    ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में व्यक्त वातावरण
    19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जब यह कहानी आधारित है, भारतीय समाज में उच्च वर्ग के लोग विलासिता और शतरंज जैसे खेलों में समय व्यतीत करते थे। वे समाज की वास्तविक समस्याओं और जिम्मेदारियों से विमुख थे। मीर और मिरजा जैसे नवाब अपने आनंद में इतने लीन थे कि उन्हें देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति की कोई परवाह नहीं थी।
    आज के वातावरण
    आज के समाज में भी, हालांकि बहुत हद तक बदल चुका है, परन्तु विलासिता और आत्ममुग्धता के कुछ उदाहरण देखने को मिलते हैं। उच्च वर्ग और आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग कभी-कभी अपने आराम और सुख-सुविधाओं में इतने लिप्त हो जाते हैं कि सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं से कट जाते हैं। हालांकि, आज सामाजिक जागरूकता और सक्रियता बढ़ी है, फिर भी कुछ स्तर पर उदासीनता और स्वार्थपरता मौजूद है।

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  3. मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'शतरंज के खिलाड़ी' में मिरजा और मीर के चरित्रों का विश्लेषण करने पर उनकी कई विशेषताएँ सामने आती हैं जो उनके व्यक्तित्व और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं। इन दोनों पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के उच्चवर्गीय समाज की मानसिकता और उसकी कमियों को उजागर कRead more

    मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में मिरजा और मीर के चरित्रों का विश्लेषण करने पर उनकी कई विशेषताएँ सामने आती हैं जो उनके व्यक्तित्व और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं। इन दोनों पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के उच्चवर्गीय समाज की मानसिकता और उसकी कमियों को उजागर किया है। आइए, उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण करें:
    मिरजा का चरित्र
    आलसी और निष्क्रिय:
    मिरजा अपने समय को शतरंज के खेल में व्यतीत करते हैं, जिससे उनकी आलसी और निष्क्रिय प्रवृत्ति स्पष्ट होती है। वे अपने जीवन में किसी भी प्रकार की सक्रियता या उत्पादकता की कमी महसूस नहीं करते।
    स्वार्थी और आत्ममुग्ध:
    मिरजा की स्वार्थपरता और आत्ममुग्धता उनकी जीवनशैली में दिखाई देती है। वे अपने आनंद और संतुष्टि को प्राथमिकता देते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपने परिवार या सामाजिक दायित्वों की उपेक्षा करनी पड़े।
    अवास्तविकता में जीने वाले:
    मिरजा अपने जीवन की वास्तविकताओं से दूर, शतरंज की काल्पनिक दुनिया में जीते हैं। वे वास्तविक जीवन की समस्याओं और चुनौतियों से भागते हैं और एक सुरक्षित, किंतु अवास्तविक, संसार में रहना पसंद करते हैं।
    जिम्मेदारियों से भागने वाले:
    मिरजा अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं। वे अपनी पत्नी और परिवार की जरूरतों को अनदेखा करते हैं और शतरंज के खेल में लगे रहते हैं।
    मीर का चरित्र
    समान रूप से आलसी:
    मीर भी मिरजा की तरह आलसी और निष्क्रिय हैं। वे भी अपना अधिकांश समय शतरंज के खेल में बिताते हैं और जीवन में किसी भी प्रकार की सक्रियता या परिश्रम से बचते हैं।
    समर्पित दोस्त:
    मीर और मिरजा के बीच की मित्रता गहरी और सच्ची है। मीर अपने दोस्त मिरजा के प्रति समर्पित हैं और उनके साथ समय बिताना पसंद करते हैं। उनकी मित्रता में आत्मीयता और सहयोग की भावना है।
    निष्क्रियता का प्रतीक:
    मीर की निष्क्रियता और उदासीनता भी उनकी विशेषता है। वे भी अपने जीवन की वास्तविकताओं से भागते हैं और शतरंज के खेल में अपना समय बिताते हैं।
    परिवार के प्रति उदासीन:
    मीर भी अपने परिवार के प्रति उदासीन रहते हैं। उनकी पत्नी भी उनकी इस लापरवाही से परेशान रहती हैं, लेकिन मीर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
    दोनों के चरित्र की समानताएँ
    शतरंज की धुन:
    दोनों पात्र शतरंज के खेल के प्रति दीवाने हैं। यह खेल उनके जीवन का मुख्य हिस्सा बन गया है, जिससे उनकी अन्य जिम्मेदारियाँ और आवश्यकताएँ पीछे छूट गई हैं।
    विलासी जीवन:
    मीर और मिरजा दोनों उच्चवर्गीय समाज के सदस्य हैं और एक विलासी जीवन जीते हैं। उनकी जीवनशैली में आराम और आनंद को प्राथमिकता दी जाती है।
    राजनीतिक असंवेदनशीलता:
    दोनों की राजनीतिक असंवेदनशीलता भी समान है। जब लखनऊ पर अंग्रेजों का आक्रमण होता है, तब भी वे अपने शतरंज के खेल में व्यस्त रहते हैं। इससे उनकी उदासीनता और वास्तविकता से दूर रहने की प्रवृत्ति का पता चलता है।

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