कविता के इस तीसरे अंश में दर्जी यानी उस्ताद ने आजादी को कर्म से जोड़ा है। कपड़े सीने का उल्लेख करते हुए दर्जी ने कर्म की ओर संकेत किया है। कर्मठ व्यक्ति ही सपने देख सकता है। कहने का आशय यह है कि जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आजादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने मRead more
कविता के इस तीसरे अंश में दर्जी यानी उस्ताद ने आजादी को कर्म से जोड़ा है। कपड़े सीने का उल्लेख करते हुए दर्जी ने कर्म की ओर संकेत किया है। कर्मठ व्यक्ति ही सपने देख सकता है। कहने का आशय यह है कि जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आजादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने में ही आजादी है। कपड़े सिए जायेंगे, सुई चलती रहेगी यानी कर्म जारी रहेगा, तो आजादी बनी रहेगी। आजादी को बनाए रखने के लिए कर्म का सर्वाधिक महत्त्व है।
बिना ज्ञान के, कर्म का परिणाम अधूरा रहता है। ज्ञान के बिना हम अपने कार्यों के परिणामों को समझने में असमर्थ रहते हैं, और इससे हमारे कर्मों में अनियंत्रितता आती है। अगली ओर, कर्म बिना ज्ञान के असमर्थ हो जाता है, क्योंकि अगर हमारे पास सही ज्ञान नहीं है, तो हम ठीक काम कैसे कर सकते हैं, इसे समझने में असमRead more
बिना ज्ञान के, कर्म का परिणाम अधूरा रहता है। ज्ञान के बिना हम अपने कार्यों के परिणामों को समझने में असमर्थ रहते हैं, और इससे हमारे कर्मों में अनियंत्रितता आती है। अगली ओर, कर्म बिना ज्ञान के असमर्थ हो जाता है, क्योंकि अगर हमारे पास सही ज्ञान नहीं है, तो हम ठीक काम कैसे कर सकते हैं, इसे समझने में असमर्थ होते हैं।
ज्ञान के साथ कर्म करने पर ही हम अपने कार्यों के परिणामों को सही रूप से समझते हैं और ठीक क्रम में काम करते हैं। उचित ज्ञान के साथ, हम अपने कर्मों को बेहतर बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावना बढ़ा सकते हैं।
बलिदान यहाँ पर उचित मार्गदर्शन और सहायता का प्रतीक है। जब हम अपने ज्ञान और कर्म के माध्यम से समाज की सेवा में अपना योगदान देते हैं, तो हम अपने आप को बलिदान करते हैं। यहाँ, बलिदान का मतलब है कि हम अपने व्यक्तिगत सांसारिक और मानसिक आराम की बजाय समाज के लिए समर्पित हो जाते हैं।
इस प्रकार, ज्ञान, कर्म, और बलिदान एक-दूसरे के साथ परस्परिक रूप से जड़े होते हैं। ज्ञान के साथ कर्म करते हुए हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं, और बलिदान के माध्यम से हम समाज के लिए सेवा करते हुए आत्म-समर्पण का अनुभव करते हैं।
"बलिदानी को जीवन" का आशय है कि जीवन में समर्पण और सेवा के माध्यम से सत्य, न्याय, और समृद्धि की ओर प्रयास करना। यह अर्थ है कि व्यक्ति अपने जीवन को समाज के लिए बलिदान करता है, स्वार्थ की बजाय समाज की सेवा में अपना समय, ऊर्जा, और योगदान देता है। बलिदानी जीवन विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। यह दान,Read more
“बलिदानी को जीवन” का आशय है कि जीवन में समर्पण और सेवा के माध्यम से सत्य, न्याय, और समृद्धि की ओर प्रयास करना। यह अर्थ है कि व्यक्ति अपने जीवन को समाज के लिए बलिदान करता है, स्वार्थ की बजाय समाज की सेवा में अपना समय, ऊर्जा, और योगदान देता है।
बलिदानी जीवन विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। यह दान, सेवा, शिक्षा, और सामाजिक कार्यों के माध्यम से हो सकता है। बलिदानी जीवन का मतलब है कि व्यक्ति अपने आत्मा को और अपने संस्कृति, समाज, और परिवार को समर्पित करता है।
बलिदानी को जीवन जीने वाले व्यक्ति अपने कामों में समर्पितता, समर्थन, और समाज सेवा की भावना को उत्कृष्टता के रूप में अनुभव करते हैं। उन्हें अपने जीवन का मतलब और उद्देश्य में समाज की सेवा और उत्थान को स्थायी रूप से समाहित किया जाता है।
इस प्रकार, “बलिदानी को जीवन” का आशय है कि जीवन का सही मतलब उसे अपने और अन्यों के लिए समर्पित करना है, और इससे समृद्धि, संवाद, और सहायता की भावना का अनुभव होता है।
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं।Read more
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं। वह भी सुई में धागा पिरोने लगा उसकी समस्या का समाधान हो गया और उसने पुनः कर्मरत होने का निर्णय ले लिया। आजादी को जीवित रखने के लिए श्रम परम आवश्यक है, यह आप भी समझ गए होंगे।
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता। "हम पंछी उन्मुक्त गगन के": यहाँ कवि ने पक्षीRead more
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता।
“हम पंछी उन्मुक्त गगन के”: यहाँ कवि ने पक्षी का उदाहरण लिया है, जो खुले आकाश में उड़ता है और उसे कोई सीमा नहीं होती। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है।
“पिंजरबद्ध न गा पाएँगे”: जब पक्षी पिंजरे में बंद होते हैं, तो वे अपने गाने की स्वाभाविक आदत को नहीं निभा सकते। यह बंधन में जकड़े जाने की स्थिति को दर्शाता है।
“कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे!”: यहाँ कवि यह कह रहा है कि यदि पक्षी स्वर्ण (सोने) के तीलियों से घिरा हो, तो वह अपनी उड़ान को नहीं भर सकता और उसके पंख टूट सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भौतिक सुख और समृद्धि भी स्वतंत्रता की कीमत पर सच्ची खुशी और सशक्तता नहीं ला सकते।
“स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले”: यह पंक्ति यह बताती है कि यदि किसी को भौतिक बंधनों (जैसे सोने की शृंखला) से जकड़ा जाता है, तो वह अपनी प्राकृतिक गति और उद्देश्य से भटक जाता है। वह अपने आत्म-निर्णय, उद्दीपन, और स्वतंत्रता को भूल जाता है।
“बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले”: जब पक्षी बंधन में होते हैं, तो वे बस सपने में अपने स्वाभाविक कर्मों, जैसे झूलने और उन्मुक्त रूप से उड़ने, को देख सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो लोग बंधन में रहते हैं, वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन नहीं कर सकते, वे सिर्फ उन सपनों का कल्पना ही कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि यह संदेश दे रहे हैं कि स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है और बंधनों में रहते हुए हम अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों और सपनों को पूरा नहीं कर सकते।
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए पर जो कपड़े नहीं सिएगा सपने भी नहीं देख सकेगा सुई की चमकीली नोंक पर टिकी है आजादी। NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
कविता के इस तीसरे अंश में दर्जी यानी उस्ताद ने आजादी को कर्म से जोड़ा है। कपड़े सीने का उल्लेख करते हुए दर्जी ने कर्म की ओर संकेत किया है। कर्मठ व्यक्ति ही सपने देख सकता है। कहने का आशय यह है कि जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आजादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने मRead more
कविता के इस तीसरे अंश में दर्जी यानी उस्ताद ने आजादी को कर्म से जोड़ा है। कपड़े सीने का उल्लेख करते हुए दर्जी ने कर्म की ओर संकेत किया है। कर्मठ व्यक्ति ही सपने देख सकता है। कहने का आशय यह है कि जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आजादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने में ही आजादी है। कपड़े सिए जायेंगे, सुई चलती रहेगी यानी कर्म जारी रहेगा, तो आजादी बनी रहेगी। आजादी को बनाए रखने के लिए कर्म का सर्वाधिक महत्त्व है।
See lessअपने परिवेश से उदाहरण देते हुए ज्ञान, कर्म और बलिदान के पारस्परिक संबंध को स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
बिना ज्ञान के, कर्म का परिणाम अधूरा रहता है। ज्ञान के बिना हम अपने कार्यों के परिणामों को समझने में असमर्थ रहते हैं, और इससे हमारे कर्मों में अनियंत्रितता आती है। अगली ओर, कर्म बिना ज्ञान के असमर्थ हो जाता है, क्योंकि अगर हमारे पास सही ज्ञान नहीं है, तो हम ठीक काम कैसे कर सकते हैं, इसे समझने में असमRead more
बिना ज्ञान के, कर्म का परिणाम अधूरा रहता है। ज्ञान के बिना हम अपने कार्यों के परिणामों को समझने में असमर्थ रहते हैं, और इससे हमारे कर्मों में अनियंत्रितता आती है। अगली ओर, कर्म बिना ज्ञान के असमर्थ हो जाता है, क्योंकि अगर हमारे पास सही ज्ञान नहीं है, तो हम ठीक काम कैसे कर सकते हैं, इसे समझने में असमर्थ होते हैं।
See lessज्ञान के साथ कर्म करने पर ही हम अपने कार्यों के परिणामों को सही रूप से समझते हैं और ठीक क्रम में काम करते हैं। उचित ज्ञान के साथ, हम अपने कर्मों को बेहतर बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावना बढ़ा सकते हैं।
बलिदान यहाँ पर उचित मार्गदर्शन और सहायता का प्रतीक है। जब हम अपने ज्ञान और कर्म के माध्यम से समाज की सेवा में अपना योगदान देते हैं, तो हम अपने आप को बलिदान करते हैं। यहाँ, बलिदान का मतलब है कि हम अपने व्यक्तिगत सांसारिक और मानसिक आराम की बजाय समाज के लिए समर्पित हो जाते हैं।
इस प्रकार, ज्ञान, कर्म, और बलिदान एक-दूसरे के साथ परस्परिक रूप से जड़े होते हैं। ज्ञान के साथ कर्म करते हुए हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं, और बलिदान के माध्यम से हम समाज के लिए सेवा करते हुए आत्म-समर्पण का अनुभव करते हैं।
बलिदानी को जीवन का आशय स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
"बलिदानी को जीवन" का आशय है कि जीवन में समर्पण और सेवा के माध्यम से सत्य, न्याय, और समृद्धि की ओर प्रयास करना। यह अर्थ है कि व्यक्ति अपने जीवन को समाज के लिए बलिदान करता है, स्वार्थ की बजाय समाज की सेवा में अपना समय, ऊर्जा, और योगदान देता है। बलिदानी जीवन विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। यह दान,Read more
“बलिदानी को जीवन” का आशय है कि जीवन में समर्पण और सेवा के माध्यम से सत्य, न्याय, और समृद्धि की ओर प्रयास करना। यह अर्थ है कि व्यक्ति अपने जीवन को समाज के लिए बलिदान करता है, स्वार्थ की बजाय समाज की सेवा में अपना समय, ऊर्जा, और योगदान देता है।
See lessबलिदानी जीवन विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। यह दान, सेवा, शिक्षा, और सामाजिक कार्यों के माध्यम से हो सकता है। बलिदानी जीवन का मतलब है कि व्यक्ति अपने आत्मा को और अपने संस्कृति, समाज, और परिवार को समर्पित करता है।
बलिदानी को जीवन जीने वाले व्यक्ति अपने कामों में समर्पितता, समर्थन, और समाज सेवा की भावना को उत्कृष्टता के रूप में अनुभव करते हैं। उन्हें अपने जीवन का मतलब और उद्देश्य में समाज की सेवा और उत्थान को स्थायी रूप से समाहित किया जाता है।
इस प्रकार, “बलिदानी को जीवन” का आशय है कि जीवन का सही मतलब उसे अपने और अन्यों के लिए समर्पित करना है, और इससे समृद्धि, संवाद, और सहायता की भावना का अनुभव होता है।
शागिर्द ने सुई में धागा पिरोने का निर्णय क्यों ले लिया? NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं।Read more
इस प्रकार आजादी का वास्तविक अर्थ, उसके विविध संदर्भ और श्रम तथा कर्तव्य के साथ उसके संबंध को स्पष्ट करते हुए दर्जी फिर से कपड़े सीने लगा। यहाँ पर उस्ताद का फिर से कपड़े सीने में लग जाना, निरंतर कर्म करते रहने का संदेश देता है। उस्ताद का उत्तर सुनकर और उसे कर्मरत देखकर शागिर्द की परेशानियाँ दूर हुईं। वह भी सुई में धागा पिरोने लगा उसकी समस्या का समाधान हो गया और उसने पुनः कर्मरत होने का निर्णय ले लिया। आजादी को जीवित रखने के लिए श्रम परम आवश्यक है, यह आप भी समझ गए होंगे।
See lessनिम्नलिखित कविता को ध्यान से पढि़ए और इसके भावार्थ लिखिए- हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे! स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता। "हम पंछी उन्मुक्त गगन के": यहाँ कवि ने पक्षीRead more
यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता।
See less“हम पंछी उन्मुक्त गगन के”: यहाँ कवि ने पक्षी का उदाहरण लिया है, जो खुले आकाश में उड़ता है और उसे कोई सीमा नहीं होती। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है।
“पिंजरबद्ध न गा पाएँगे”: जब पक्षी पिंजरे में बंद होते हैं, तो वे अपने गाने की स्वाभाविक आदत को नहीं निभा सकते। यह बंधन में जकड़े जाने की स्थिति को दर्शाता है।
“कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे!”: यहाँ कवि यह कह रहा है कि यदि पक्षी स्वर्ण (सोने) के तीलियों से घिरा हो, तो वह अपनी उड़ान को नहीं भर सकता और उसके पंख टूट सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भौतिक सुख और समृद्धि भी स्वतंत्रता की कीमत पर सच्ची खुशी और सशक्तता नहीं ला सकते।
“स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले”: यह पंक्ति यह बताती है कि यदि किसी को भौतिक बंधनों (जैसे सोने की शृंखला) से जकड़ा जाता है, तो वह अपनी प्राकृतिक गति और उद्देश्य से भटक जाता है। वह अपने आत्म-निर्णय, उद्दीपन, और स्वतंत्रता को भूल जाता है।
“बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले”: जब पक्षी बंधन में होते हैं, तो वे बस सपने में अपने स्वाभाविक कर्मों, जैसे झूलने और उन्मुक्त रूप से उड़ने, को देख सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो लोग बंधन में रहते हैं, वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन नहीं कर सकते, वे सिर्फ उन सपनों का कल्पना ही कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि यह संदेश दे रहे हैं कि स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है और बंधनों में रहते हुए हम अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों और सपनों को पूरा नहीं कर सकते।