कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैंRead more
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है। (ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग काRead more
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है।
(ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है। सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है। वहाँ गुलाबी साफा बाँधो चना पहले से ही बैठा है। विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है।
(ग) एक काले माथे वाली चालाक चिडि़या भी अपने सफ़ेद पंख फैला कर तालाब की सतह पर झपट कर पानी के भीतर से एक उजली सफ़ेद मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है।
सरसों को ‘हो गई सबसे सयानी’ क्यों कहा गया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैंRead more
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।
See lessकविता के आधार पर चने के सौंदर्य का चित्रण कीजिए और बताइए कि उसे किन-किन रूपों में दर्शाया गया है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
See lessनिम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखिएः (क) बीच में अलसी हठीली देह की पतली कमर की है लचीली, (ख) फाग गाता मास फागुन आ गया है आज जैसे। (ग) श्वेत पंखों के झपाटे मार फ़ौरन टूट पड़ती है भरे जल के हृदय पर,
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है। (ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग काRead more
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है।
See less(ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है। सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है। वहाँ गुलाबी साफा बाँधो चना पहले से ही बैठा है। विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है।
(ग) एक काले माथे वाली चालाक चिडि़या भी अपने सफ़ेद पंख फैला कर तालाब की सतह पर झपट कर पानी के भीतर से एक उजली सफ़ेद मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है।
नन्हे-से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना से कवि का क्या आशय है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
(ख) नन्हे-से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना से कवि का आशय है उन्मुक्त और उच्छृंखल होना।
(ख) नन्हे-से बछड़े द्वारा उछल-कूद मचाना से कवि का आशय है उन्मुक्त और उच्छृंखल होना।
See lessअंधकार से प्रकाश की ओर उन्मुख होने का आशय है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
(ख) अंधकार से प्रकाश की ओर उन्मुख होने का आशय है- अज्ञान से ज्ञान की ओर जाना।
(ख) अंधकार से प्रकाश की ओर उन्मुख होने का आशय है- अज्ञान से ज्ञान की ओर जाना।
See less