(i) बच्चा प्रकृति से गहरा लगाव रखता है। वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर प्रेरित होता है। बच्चा अपने लिए भी एक जगह ढूंढना चाहता है, जहाँ वह अपना योगदान दे सके। वह सोचता है कि वह अपने छोटे से आंगन में कहाँ अपना गुलाब का पौधा लगाए। (ii) बच्चा कल्पनाशीलRead more
(i) बच्चा प्रकृति से गहरा लगाव रखता है। वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर प्रेरित होता है। बच्चा अपने लिए भी एक जगह ढूंढना चाहता है, जहाँ वह अपना योगदान दे सके। वह सोचता है कि वह अपने छोटे से आंगन में कहाँ अपना गुलाब का पौधा लगाए।
(ii) बच्चा कल्पनाशील है वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर सोचता है कि उसे भी कोई नन्हा पौधा लगाना चाहिए। बच्चा के मन में गुलाब के पौधे को रोपने का विचार आता है। उसके लिए उचित जगह चाहता है। भविष्य के बारे में सोचता है। वह कल्पना करता है कि यह कैसे बड़ेगा, फूलेगा और खुशबू फैलाएगा।
(iii) गुलाब को अक्सर सुंदरता और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसका खिलना प्रकृति के चमत्कार और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। यह गुलाब का सबसे प्रसिद्ध प्रतीक है। लाल गुलाब को प्यार, स्नेह और प्रशंसा का प्रतीक माना जाता है। गुलाब का उपयोग अक्सर खुशी और उत्सव के अवसरों को मनाने के लिए किया जाता है, जैसे कि शादियों, जन्मदिन और छुट्टियां। कई धर्मों में गुलाब का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में, गुलाब को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ईसाई धर्म में, लाल गुलाब को अक्सर मसीह के रक्त और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। इस्लाम में, गुलाब को पैगंबर मुहम्मद का प्रतीक माना जाता है।
कवि कल्पना करता है कि वे पत्थर तालाब के किनारे पड़े चुपचाप उसका पानी पी रहे हैं। कब से? वर्षों से, शायद जब से तालाब बना, तब से। कवि यहाँ पर तालाब और उसमें स्थित पत्थरों के प्राचीन साहचर्य को व्यक्त करता है। तालाब के पानी में रहने वाली अन्य वस्तुएँ गतिशील हैं, लेकिन पत्थर बिना हिले-डुले उसमें चुपचापRead more
कवि कल्पना करता है कि वे पत्थर तालाब के किनारे पड़े चुपचाप उसका पानी पी रहे हैं। कब से? वर्षों से, शायद जब से तालाब बना, तब से। कवि यहाँ पर तालाब और उसमें स्थित पत्थरों के प्राचीन साहचर्य को व्यक्त करता है। तालाब के पानी में रहने वाली अन्य वस्तुएँ गतिशील हैं, लेकिन पत्थर बिना हिले-डुले उसमें चुपचाप पड़े हुए हैं। इन्हें देखकर कवि कल्पना करता है कि ये पत्थर पता नहीं कितने समय से चुपचाप तालाब का पानी पी रहे हैं। पानी में डूबे पत्थरों में कवि को झुककर पानी पीते प्राणियों की याद आ रही होगी इसलिए यहाँ पर उसने पत्थरों का सुंदर मानवीकरण किया है। ये पत्थर निरंतर पानी पीने की मुद्रा में ही रहते हैं, इसलिए कवि विस्मय प्रकट करता है कि पता नहीं इनकी प्यास कब बुझेगी।
'चंद्रगहना से लौटती बेर' कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया: प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है। नारीत्व का सौंदर्य: कवि,Read more
‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया:
प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है।
नारीत्व का सौंदर्य: कवि, बेर के फूल को एक सुंदर नारी के रूप में रूपकित करते हैं। वे उसकी कोमलता, मादकता और आकर्षण का चित्रण करते हैं। चांदनी में नहाया हुआ फूल, स्त्रीत्व की चमक और शोभा का प्रतीक बन जाता है।
क्षणभंगुरता: कवि, फूल के शीघ्र मुरझाने पर भी ध्यान देते हैं। यह प्रकृति के चक्र और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। फूल का जीवन संसार की नश्वरता और सौंदर्य की क्षणभंगुरता की याद दिलाता है।
आशावाद: इसके बावजूद, कविता में आशावाद का संदेश भी निहित है। मुरझाए हुए फूल के स्थान पर नए फूल खिलेंगे, जो जीवन के नवीकरण और सतत परिवर्तन का प्रतीक हैं।
मैं ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के संदेश से बहुत प्रभावित हूं। प्रसाद जी ने प्रकृति और स्त्री सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है। कविता में प्रयुक्त भाषा सरल और सुंदर है, जो भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।
हालांकि, मैं कविता के क्षणभंगुरता के पहलू से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि यद्यपि जीवन क्षणभंगुर है, फिर भी हम हर पल का आनंद ले सकते हैं और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
कुल मिलाकर, ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ हिंदी साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति है जो प्रकृति, सौंदर्य और जीवन के बारे में गहरे विचारों को प्रेरित करती है।
बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, जो दिखावा कुछ करते हैं और उनका आचरण कुछ और ही होता है। इसलिए कहावत भी है- बगुला भगत ! कविता में भी ढोंगी बगुला धयान लगाकर खड़ा है, किंतु मछली को देखते ही उसे झट पकड़ कर, चट गटक जाता है। चिडि़या के ‘चतुर’ विशेषण पर गौर कीजिए, यह कुछ चालाक लोगों की ओर संकेत करतीRead more
बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, जो दिखावा कुछ करते हैं और उनका आचरण कुछ और ही होता है। इसलिए कहावत भी है- बगुला भगत ! कविता में भी ढोंगी बगुला धयान लगाकर खड़ा है, किंतु मछली को देखते ही उसे झट पकड़ कर, चट गटक जाता है। चिडि़या के ‘चतुर’ विशेषण पर गौर कीजिए, यह कुछ चालाक लोगों की ओर संकेत करती है। चालाक चिडि़या, मछली को झपट कर उठा लेती है। प्रकृति के ये दृश्य भी समाज के व्यवहार की ओर संकेत करते हैं। समाज में कुछ कपटी, चालाक और धूर्त लोग दूसरों का शोषण करते हैं, किंतु इनकी अधिकता नहीं है। विशेष बात तो यह है कि प्रकृति का प्यार भरा रूप अधिक आकर्षक है।
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ !Read more
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ ! किसी तालाब या पोखर के हिलते जल में चाँद का प्रतिबिंब उसकी गहराई का भी बोधा कराता है जबकि शांत जल में वह एक गोला-सा ही लगता। लहरों वाले तालाब में किरणों के फिसलने से उसमें लंबाई प्रतीत होती है। इसलिए कवि को लगता हैµ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा।’ µइसे ही कहते हैं कवि की सूक्ष्म दृष्टि और कल्पना।
प्रकृति का अनुराग भरा आँचल हिल रहा है! यह दृश्य कवि के मन को छू लेता है। उसे लगता है इस ग्रामीण अंचल में किसी नगर की अपेक्षा अधिक प्यार भरा वातावरण है। नगर तो व्यावसायिक हो गए हैं। व्यावसायिक नगरों में प्यार कम उपजता है। ग्रामीण अंचल की भूमि प्रेम-प्यार के लिए अधिाक उपजाऊ है। जैसे कि इस निर्जन अंचलRead more
प्रकृति का अनुराग भरा आँचल हिल रहा है! यह दृश्य कवि के मन को छू लेता है। उसे लगता है इस ग्रामीण अंचल में किसी नगर की अपेक्षा अधिक प्यार भरा वातावरण है। नगर तो व्यावसायिक हो गए हैं। व्यावसायिक नगरों में प्यार कम उपजता है। ग्रामीण अंचल की भूमि प्रेम-प्यार के लिए अधिाक उपजाऊ है। जैसे कि इस निर्जन अंचल में भी प्रकृति के चप्पे-चप्पे में प्यार दिखाई पड़ रहा है।
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैंRead more
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है। (ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग काRead more
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है।
(ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है। सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है। वहाँ गुलाबी साफा बाँधो चना पहले से ही बैठा है। विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है।
(ग) एक काले माथे वाली चालाक चिडि़या भी अपने सफ़ेद पंख फैला कर तालाब की सतह पर झपट कर पानी के भीतर से एक उजली सफ़ेद मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है।
मनुष्य की तरह गिल्लू भी अपनी समस्याओं का समाधाान कर लेता था- किस घटना से यह पता चलता है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 3
(ख) जब वह सुराही पर सोने का तरीका खोज लेता है।
(ख) जब वह सुराही पर सोने का तरीका खोज लेता है।
See lessनिम्नलिखित पंक्तियों को धयान से पढि़ए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः छोटे-से आंगन में माँ ने लगाए हैं तुलसी के बिरवे दो पिता ने उगाया है बरगद छतनार मैं अपना नन्हा गुलाब कहाँ रोप दूँ। – केदारनाथ सिंह (i) ‘तुलसी के बिरवे’ और ‘छतनार बरगद’ के संकेतों को स्पष्ट कीजिए। (ii) ‘मैं अपना नन्हा गुलाब/कहाँ रोप दूँ?’ से कवि का क्या आशय है। (iii) ‘गुलाब’ किसका प्रतीक है?
(i) बच्चा प्रकृति से गहरा लगाव रखता है। वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर प्रेरित होता है। बच्चा अपने लिए भी एक जगह ढूंढना चाहता है, जहाँ वह अपना योगदान दे सके। वह सोचता है कि वह अपने छोटे से आंगन में कहाँ अपना गुलाब का पौधा लगाए। (ii) बच्चा कल्पनाशीलRead more
(i) बच्चा प्रकृति से गहरा लगाव रखता है। वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर प्रेरित होता है। बच्चा अपने लिए भी एक जगह ढूंढना चाहता है, जहाँ वह अपना योगदान दे सके। वह सोचता है कि वह अपने छोटे से आंगन में कहाँ अपना गुलाब का पौधा लगाए।
See less(ii) बच्चा कल्पनाशील है वह माँ द्वारा लगाए गए तुलसी के बिरवे और पिता द्वारा उगाए गए बरगद के पेड़ को देखकर सोचता है कि उसे भी कोई नन्हा पौधा लगाना चाहिए। बच्चा के मन में गुलाब के पौधे को रोपने का विचार आता है। उसके लिए उचित जगह चाहता है। भविष्य के बारे में सोचता है। वह कल्पना करता है कि यह कैसे बड़ेगा, फूलेगा और खुशबू फैलाएगा।
(iii) गुलाब को अक्सर सुंदरता और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसका खिलना प्रकृति के चमत्कार और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। यह गुलाब का सबसे प्रसिद्ध प्रतीक है। लाल गुलाब को प्यार, स्नेह और प्रशंसा का प्रतीक माना जाता है। गुलाब का उपयोग अक्सर खुशी और उत्सव के अवसरों को मनाने के लिए किया जाता है, जैसे कि शादियों, जन्मदिन और छुट्टियां। कई धर्मों में गुलाब का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में, गुलाब को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ईसाई धर्म में, लाल गुलाब को अक्सर मसीह के रक्त और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। इस्लाम में, गुलाब को पैगंबर मुहम्मद का प्रतीक माना जाता है।
हृदयहीन पत्थर किन लोगों का प्रतीक है? क्या आज के समाज से ऐसे उदाहरण दे सकते हैं? NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
कवि कल्पना करता है कि वे पत्थर तालाब के किनारे पड़े चुपचाप उसका पानी पी रहे हैं। कब से? वर्षों से, शायद जब से तालाब बना, तब से। कवि यहाँ पर तालाब और उसमें स्थित पत्थरों के प्राचीन साहचर्य को व्यक्त करता है। तालाब के पानी में रहने वाली अन्य वस्तुएँ गतिशील हैं, लेकिन पत्थर बिना हिले-डुले उसमें चुपचापRead more
कवि कल्पना करता है कि वे पत्थर तालाब के किनारे पड़े चुपचाप उसका पानी पी रहे हैं। कब से? वर्षों से, शायद जब से तालाब बना, तब से। कवि यहाँ पर तालाब और उसमें स्थित पत्थरों के प्राचीन साहचर्य को व्यक्त करता है। तालाब के पानी में रहने वाली अन्य वस्तुएँ गतिशील हैं, लेकिन पत्थर बिना हिले-डुले उसमें चुपचाप पड़े हुए हैं। इन्हें देखकर कवि कल्पना करता है कि ये पत्थर पता नहीं कितने समय से चुपचाप तालाब का पानी पी रहे हैं। पानी में डूबे पत्थरों में कवि को झुककर पानी पीते प्राणियों की याद आ रही होगी इसलिए यहाँ पर उसने पत्थरों का सुंदर मानवीकरण किया है। ये पत्थर निरंतर पानी पीने की मुद्रा में ही रहते हैं, इसलिए कवि विस्मय प्रकट करता है कि पता नहीं इनकी प्यास कब बुझेगी।
See lessचंद्रगहना से लौटती बेर कविता के माधयम से कवि ने क्या संदेश दिया है? क्या आप उससे संतुष्ट हैं? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
'चंद्रगहना से लौटती बेर' कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया: प्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है। नारीत्व का सौंदर्य: कवि,Read more
‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता का संदेश और मेरी प्रतिक्रिया:
See lessप्रकृति प्रेम: कवि, जयशंकर प्रसाद, प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। वे चांदनी रात में खिली बेर के फूल की सुंदरता का बारीकी से वर्णन करते हैं, जो प्रकृति के चमत्कार और विस्मय का प्रतीक है।
नारीत्व का सौंदर्य: कवि, बेर के फूल को एक सुंदर नारी के रूप में रूपकित करते हैं। वे उसकी कोमलता, मादकता और आकर्षण का चित्रण करते हैं। चांदनी में नहाया हुआ फूल, स्त्रीत्व की चमक और शोभा का प्रतीक बन जाता है।
क्षणभंगुरता: कवि, फूल के शीघ्र मुरझाने पर भी ध्यान देते हैं। यह प्रकृति के चक्र और जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। फूल का जीवन संसार की नश्वरता और सौंदर्य की क्षणभंगुरता की याद दिलाता है।
आशावाद: इसके बावजूद, कविता में आशावाद का संदेश भी निहित है। मुरझाए हुए फूल के स्थान पर नए फूल खिलेंगे, जो जीवन के नवीकरण और सतत परिवर्तन का प्रतीक हैं।
मैं ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के संदेश से बहुत प्रभावित हूं। प्रसाद जी ने प्रकृति और स्त्री सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है। कविता में प्रयुक्त भाषा सरल और सुंदर है, जो भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।
हालांकि, मैं कविता के क्षणभंगुरता के पहलू से पूरी तरह सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि यद्यपि जीवन क्षणभंगुर है, फिर भी हम हर पल का आनंद ले सकते हैं और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
कुल मिलाकर, ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ हिंदी साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति है जो प्रकृति, सौंदर्य और जीवन के बारे में गहरे विचारों को प्रेरित करती है।
बगुला समाज के किस वर्ग का प्रतीक है और किन विशेषताओं को रेखांकित करता है? क्या आज के समाज में यह उदाहरण प्रासंगिक है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, जो दिखावा कुछ करते हैं और उनका आचरण कुछ और ही होता है। इसलिए कहावत भी है- बगुला भगत ! कविता में भी ढोंगी बगुला धयान लगाकर खड़ा है, किंतु मछली को देखते ही उसे झट पकड़ कर, चट गटक जाता है। चिडि़या के ‘चतुर’ विशेषण पर गौर कीजिए, यह कुछ चालाक लोगों की ओर संकेत करतीRead more
बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, जो दिखावा कुछ करते हैं और उनका आचरण कुछ और ही होता है। इसलिए कहावत भी है- बगुला भगत ! कविता में भी ढोंगी बगुला धयान लगाकर खड़ा है, किंतु मछली को देखते ही उसे झट पकड़ कर, चट गटक जाता है। चिडि़या के ‘चतुर’ विशेषण पर गौर कीजिए, यह कुछ चालाक लोगों की ओर संकेत करती है। चालाक चिडि़या, मछली को झपट कर उठा लेती है। प्रकृति के ये दृश्य भी समाज के व्यवहार की ओर संकेत करते हैं। समाज में कुछ कपटी, चालाक और धूर्त लोग दूसरों का शोषण करते हैं, किंतु इनकी अधिकता नहीं है। विशेष बात तो यह है कि प्रकृति का प्यार भरा रूप अधिक आकर्षक है।
See lessएक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा का चित्र अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ !Read more
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ ! किसी तालाब या पोखर के हिलते जल में चाँद का प्रतिबिंब उसकी गहराई का भी बोधा कराता है जबकि शांत जल में वह एक गोला-सा ही लगता। लहरों वाले तालाब में किरणों के फिसलने से उसमें लंबाई प्रतीत होती है। इसलिए कवि को लगता हैµ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा।’ µइसे ही कहते हैं कवि की सूक्ष्म दृष्टि और कल्पना।
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प्रकृति का अनुराग भरा आँचल हिल रहा है! यह दृश्य कवि के मन को छू लेता है। उसे लगता है इस ग्रामीण अंचल में किसी नगर की अपेक्षा अधिक प्यार भरा वातावरण है। नगर तो व्यावसायिक हो गए हैं। व्यावसायिक नगरों में प्यार कम उपजता है। ग्रामीण अंचल की भूमि प्रेम-प्यार के लिए अधिाक उपजाऊ है। जैसे कि इस निर्जन अंचलRead more
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See lessसरसों को ‘हो गई सबसे सयानी’ क्यों कहा गया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैंRead more
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।
See lessकविता के आधार पर चने के सौंदर्य का चित्रण कीजिए और बताइए कि उसे किन-किन रूपों में दर्शाया गया है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 8
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
चने के पौधो का आकार छोटा होता है। चने में गुलाबी रंग के फूल आ गए हैं। कवि को लगता है, यह छोटे-से कद का, बित्ते भर का चना अपने सिर पर गुलाबी पाग (पगड़ी) बाँधो, सजे-सँवरे दूल्हे-सा खड़ा है।
See lessनिम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखिएः (क) बीच में अलसी हठीली देह की पतली कमर की है लचीली, (ख) फाग गाता मास फागुन आ गया है आज जैसे। (ग) श्वेत पंखों के झपाटे मार फ़ौरन टूट पड़ती है भरे जल के हृदय पर,
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है। (ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग काRead more
(क) कविता में अलसी के तीन विशेषण दिए हैं- वह हठीली है, वह देह की पतली है और उसकी कमर लचीली है। वह पतली होने के कारण हिलती तो रहती है लेकिन तन कर सीधाी भी हो जाती है। तन कर सीधाी खड़ी रहती है इसीलिए हठीली भी है।
See less(ख) विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है। सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है। वहाँ गुलाबी साफा बाँधो चना पहले से ही बैठा है। विवाह की हलचल में फागुन का महीना कैसे चुप रहता? वह ‘फाग’ गाता हुआ आ पहुँचा है। फाग का गाना, चने का सजना, सरसों का हाथ पीले करना, इन सबमें एक-दूसरे का हो जाने की ललक है।
(ग) एक काले माथे वाली चालाक चिडि़या भी अपने सफ़ेद पंख फैला कर तालाब की सतह पर झपट कर पानी के भीतर से एक उजली सफ़ेद मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है।