इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सRead more
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता कि कब मृत्यु आ जाएगी।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
हिंदी की उपभाषाओं का वर्गवार उल्लेख: 1. पूर्वी हिंदी: अवधी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, नेपाली, बंगाली 2. पश्चिमी हिंदी: हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, सिन्धी 3. मध्यवर्ती हिंदी: खड़ी बोली (आधुनिक हिंदी), ब्रज भाषा, कन्नौजी, बुंदेली, हंसबाज, अवधी के कुछ रूप 4. दक्षिणी हिंदी: मराठी, गुजराती,Read more
हिंदी की उपभाषाओं का वर्गवार उल्लेख:
1. पूर्वी हिंदी:
अवधी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, नेपाली, बंगाली
2. पश्चिमी हिंदी:
हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, सिन्धी
3. मध्यवर्ती हिंदी:
खड़ी बोली (आधुनिक हिंदी), ब्रज भाषा, कन्नौजी, बुंदेली, हंसबाज, अवधी के कुछ रूप
4. दक्षिणी हिंदी:
मराठी, गुजराती, सिन्धी, कोंकणी,
कुछ अन्य उपभाषाएं:
गढ़वाली
कुमाऊनी
डोगरी
पहाड़ी
छत्तीसगढ़ी
सिक्किमी
यह सूची पूर्ण नहीं है, और हिंदी में अनेक अन्य उपभाषाएं भी बोली जाती हैं।
दोहे में मात्राओं का चिह्न और गणना: जो जल बाढ़ै नाव में घर में बाढ़ै दाम। दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम।। पहला चरण: जो: (जो) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) जल: (जल) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) बाढ़ै: (बाढ़ै) - 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर) नाव: (नाव) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) में: (में) - 1 मात्रा (ह्रRead more
दोहे में मात्राओं का चिह्न और गणना:
जो जल बाढ़ै नाव में घर में बाढ़ै दाम।
दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम।।
पहला चरण:
जो: (जो) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
जल: (जल) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
बाढ़ै: (बाढ़ै) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
नाव: (नाव) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
में: (में) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
घर: (घर) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
में: (में) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
बाढ़ै: (बाढ़ै) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
दाम: (दाम) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
कुल मात्राएँ: 11
दूसरा चरण:
दोऊ: (दोऊ) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
हाथ: (हाथ) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
उलीचिए: (उलीचिए) – 3 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर + दीर्घ स्वर)
यही: (यही) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
सयानो: (सयानो) – 3 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर + दीर्घ स्वर)
काम: (काम) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
कुल मात्राएँ: 10
कुल मिलाकर:
इस दोहे में कुल 21 मात्राएँ हैं।
इस दोहे में, आँखों को "निर्मल आरसी" (निर्दोष दर्पण) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे दर्पण हमारे चेहरे पर मौजूद हर दाग-धब्बे को दिखाता है, वैसे ही आँखें भी हमारे दिल की सच्ची भावनाओं को प्रकट कर देती हैं। आँखें प्रेम, स्नेह, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आदि सभी भावनाओं को व्यक्त करती हैं। एक बार, मैं एक ऐसेRead more
इस दोहे में, आँखों को “निर्मल आरसी” (निर्दोष दर्पण) के रूप में दर्शाया गया है।
जैसे दर्पण हमारे चेहरे पर मौजूद हर दाग-धब्बे को दिखाता है, वैसे ही आँखें भी हमारे दिल की सच्ची भावनाओं को प्रकट कर देती हैं। आँखें प्रेम, स्नेह, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आदि सभी भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
एक बार, मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो बहुत ही मिलनसार और दयालु लग रहा था। लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी, जो मुझे संदेहास्पद लगी। कुछ समय बाद, मुझे पता चला कि वह व्यक्ति वास्तव में कपटी था और उसके इरादे बुरे थे। यह अनुभव मुझे सिखा गया कि आँखें कितनी सच्ची होती हैं और हमें उन पर भरोसा करना चाहिए।
निम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः कबिरा गर्व न कीजिए, काल गहे कर केस। क्या जानौं कित मारिहै, क्या घर क्या परदेस।। काल गहे कर केस का अर्थ स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सRead more
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता कि कब मृत्यु आ जाएगी।
See lessनिम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः निम्नलिखित दोहे को धयानपूर्वक पढि़ए और पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिएः रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय। सुन इठलैहैं लोग सब, बाँट न लइहै कोय।। मन की व्यथा को छिपाकर क्यों रखना चाहिए? NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
रहीम कहते हैं कि अपने मन की व्यथा का दूसरों के सामने प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। लोग केवल सुनते हैं और हसंते हैं लेकिन कोई सहायता नहीं करता। इसलिए अपने दुःख को अपने अंतर में छुपा के रखना चाहिए।
See lessहिंदी की उपभाषाओं का वर्गवार उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
हिंदी की उपभाषाओं का वर्गवार उल्लेख: 1. पूर्वी हिंदी: अवधी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, नेपाली, बंगाली 2. पश्चिमी हिंदी: हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, सिन्धी 3. मध्यवर्ती हिंदी: खड़ी बोली (आधुनिक हिंदी), ब्रज भाषा, कन्नौजी, बुंदेली, हंसबाज, अवधी के कुछ रूप 4. दक्षिणी हिंदी: मराठी, गुजराती,Read more
हिंदी की उपभाषाओं का वर्गवार उल्लेख:
See less1. पूर्वी हिंदी:
अवधी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, नेपाली, बंगाली
2. पश्चिमी हिंदी:
हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, सिन्धी
3. मध्यवर्ती हिंदी:
खड़ी बोली (आधुनिक हिंदी), ब्रज भाषा, कन्नौजी, बुंदेली, हंसबाज, अवधी के कुछ रूप
4. दक्षिणी हिंदी:
मराठी, गुजराती, सिन्धी, कोंकणी,
कुछ अन्य उपभाषाएं:
गढ़वाली
कुमाऊनी
डोगरी
पहाड़ी
छत्तीसगढ़ी
सिक्किमी
यह सूची पूर्ण नहीं है, और हिंदी में अनेक अन्य उपभाषाएं भी बोली जाती हैं।
नीचे दिए गए दोहे में हृस्व और दीर्घ का चिह्न अंकित करके मात्रााएँ गिनिएः जो जल बाढ़ै नाव में घर में बाढ़ै दाम। दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम।। NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
दोहे में मात्राओं का चिह्न और गणना: जो जल बाढ़ै नाव में घर में बाढ़ै दाम। दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम।। पहला चरण: जो: (जो) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) जल: (जल) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) बाढ़ै: (बाढ़ै) - 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर) नाव: (नाव) - 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर) में: (में) - 1 मात्रा (ह्रRead more
दोहे में मात्राओं का चिह्न और गणना:
See lessजो जल बाढ़ै नाव में घर में बाढ़ै दाम।
दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम।।
पहला चरण:
जो: (जो) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
जल: (जल) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
बाढ़ै: (बाढ़ै) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
नाव: (नाव) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
में: (में) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
घर: (घर) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
में: (में) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
बाढ़ै: (बाढ़ै) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
दाम: (दाम) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
कुल मात्राएँ: 11
दूसरा चरण:
दोऊ: (दोऊ) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
हाथ: (हाथ) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
उलीचिए: (उलीचिए) – 3 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर + दीर्घ स्वर)
यही: (यही) – 2 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर)
सयानो: (सयानो) – 3 मात्राएँ (दीर्घ स्वर + ह्रस्व स्वर + दीर्घ स्वर)
काम: (काम) – 1 मात्रा (ह्रस्व स्वर)
कुल मात्राएँ: 10
कुल मिलाकर:
इस दोहे में कुल 21 मात्राएँ हैं।
निम्नलिखित दोहे में निहित भाव-सौंदर्य का उल्लेख करते हुए अपने अनुभव के आधाार पर प्रस्तुत कीजिएः नैना देत बताय सब, हिय को हेत-अहेत। जैसे निर्मल आरसी, भली-बुरी कहि देत।। NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
इस दोहे में, आँखों को "निर्मल आरसी" (निर्दोष दर्पण) के रूप में दर्शाया गया है। जैसे दर्पण हमारे चेहरे पर मौजूद हर दाग-धब्बे को दिखाता है, वैसे ही आँखें भी हमारे दिल की सच्ची भावनाओं को प्रकट कर देती हैं। आँखें प्रेम, स्नेह, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आदि सभी भावनाओं को व्यक्त करती हैं। एक बार, मैं एक ऐसेRead more
इस दोहे में, आँखों को “निर्मल आरसी” (निर्दोष दर्पण) के रूप में दर्शाया गया है।
See lessजैसे दर्पण हमारे चेहरे पर मौजूद हर दाग-धब्बे को दिखाता है, वैसे ही आँखें भी हमारे दिल की सच्ची भावनाओं को प्रकट कर देती हैं। आँखें प्रेम, स्नेह, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आदि सभी भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
एक बार, मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो बहुत ही मिलनसार और दयालु लग रहा था। लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी, जो मुझे संदेहास्पद लगी। कुछ समय बाद, मुझे पता चला कि वह व्यक्ति वास्तव में कपटी था और उसके इरादे बुरे थे। यह अनुभव मुझे सिखा गया कि आँखें कितनी सच्ची होती हैं और हमें उन पर भरोसा करना चाहिए।