1. बहादुर' कहानी की भाषा की प्रमुख विशेषताएं: 1. सरल और सहज: प्रेमचंद की भाषा सरल और सहज है। वह ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो पाठक को आसानी से समझ में आ जाते हैं। उनकी भाषा में कोई अलंकारिक भाषा या जटिल वाक्य रचना नहीं है। 2. मुहावरे और कहावतों का प्रयोग: प्रेमचंद अपनी भाषा में मुहावरों और कहावतों कRead more

    बहादुर’ कहानी की भाषा की प्रमुख विशेषताएं:
    1. सरल और सहज:
    प्रेमचंद की भाषा सरल और सहज है। वह ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो पाठक को आसानी से समझ में आ जाते हैं।
    उनकी भाषा में कोई अलंकारिक भाषा या जटिल वाक्य रचना नहीं है।
    2. मुहावरे और कहावतों का प्रयोग:
    प्रेमचंद अपनी भाषा में मुहावरों और कहावतों का प्रभावी ढंग से प्रयोग करते हैं। यह उनकी भाषा को अधिक रोचक और प्रभावशाली बनाता है। उदाहरण के लिए, “सिर पर छप्पर होना”, “पेट की आग बुझना”, “आँखों में आँसू आना”
    3. ग्रामीण जीवन का चित्रण:
    ‘बहादुर’ कहानी ग्रामीण जीवन का चित्रण करती है। प्रेमचंद अपनी भाषा में गाँव के लोगों, उनकी बोलचाल और उनकी जीवनशैली का यथार्थवादी चित्रण करते हैं। वह ग्रामीण परिवेश का सजीव वर्णन करते हैं।
    4. भावनात्मक प्रभाव:
    प्रेमचंद अपनी भाषा का प्रयोग भावनाओं को व्यक्त करने के लिए करते हैं। वे पाठक को पात्रों के दुख, खुशी, क्रोध और प्रेम जैसी भावनाओं को महसूस कराते हैं। उनकी भाषा में भावनात्मक गहराई और तीव्रता है।
    5. सामाजिक संदेश:
    ‘बहादुर’ कहानी में सामाजिक संदेश भी निहित है। प्रेमचंद अपनी भाषा का प्रयोग गरीबी, अन्याय और सामाजिक असमानता जैसी सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डालने के लिए करते हैं। वे पाठक को इन समस्याओं के बारे में सोचने और उनका समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करते हैं।

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  2. बहादुर और किशोर के व्यवहार में अंतर के कारण: 'बहादुर' कहानी में, बहादुर और किशोर दो मुख्य पात्र हैं जिनके व्यवहार में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। यह अंतर उनके सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, मूल्यों, जीवन के अनुभवों और व्यक्तित्व के कारण होता है। बहादुर: गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। बहादुर को बचपनRead more

    बहादुर और किशोर के व्यवहार में अंतर के कारण:
    ‘बहादुर’ कहानी में, बहादुर और किशोर दो मुख्य पात्र हैं जिनके व्यवहार में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। यह अंतर उनके सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, मूल्यों, जीवन के अनुभवों और व्यक्तित्व के कारण होता है।
    बहादुर:
    गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। बहादुर को बचपन से ही कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। उसे जीविका के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है, जिसके कारण वह संघर्षशील, आत्मनिर्भर और व्यावहारिक बन गया है। वह ईमानदारी, कड़ी मेहनत और परिवार के प्रति समर्पण को महत्व देता है। बहादुर सच बोलने और सही काम करने में विश्वास रखता है, भले ही इसके लिए उसे कष्ट उठाना पड़े। वह अपने परिवार से प्यार करता है और उनकी भलाई के लिए सब कुछ करने को तैयार है।
    किशोर:
    मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है। किशोर को एक अपेक्षाकृत आरामदायक जीवन जीने का अवसर मिला है। उसे अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की आदत है, जिसके कारण वह आदर्शवादी, भोला और अव्यावहारिक बन गया है। वह सामाजिक प्रतिष्ठा, भौतिकवाद और दिखावे को महत्व देता है। किशोर समाज में अपनी छवि बनाने और दूसरों को प्रभावित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। वह भौतिक चीजों को महत्व देता है और दिखावे के लिए खर्च करने को तैयार है।

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  3. जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी तो वह अपनी जेब से कुछ चीज़ें निकलकर अपने बिस्तरे पर सजा देता था। कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की एक गड्डी, कुछ ख़ूबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज़ की नावें। वह कुछ देर तक उनसे खेलता था। उसके बाद वह धीमे-धीमे स्वर में गुनगुनाने लगता था। उन पहाड़ी गानों का अर्थ हम समझRead more

    जब बहादुर को अपने घर की याद आती थी तो वह अपनी जेब से कुछ चीज़ें निकलकर अपने बिस्तरे पर सजा देता था। कुछ गोलियाँ, पुराने ताश की एक गड्डी, कुछ ख़ूबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज़ की नावें। वह कुछ देर तक उनसे खेलता था। उसके बाद वह धीमे-धीमे स्वर में गुनगुनाने लगता था। उन पहाड़ी गानों का अर्थ हम समझ नहीं पाते थे, पर उनकी मीठी उदासी सारे घर में फैल जाती, जैसे कोई पहाड़ की निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा हो।

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  4. 'बहादुर' कहानी के आधार पर मध्यवर्गीय परिवार की कुछ प्रवृत्तियाँ: 1. सामाजिक प्रतिष्ठा की इच्छा: कहानी में, वाचक और निर्मला एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने और समाज में उच्च दर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत चिंतित हैं। यह चिंता उन्हें नौकर रखने और दिखावेRead more

    ‘बहादुर’ कहानी के आधार पर मध्यवर्गीय परिवार की कुछ प्रवृत्तियाँ:
    1. सामाजिक प्रतिष्ठा की इच्छा:
    कहानी में, वाचक और निर्मला एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने और समाज में उच्च दर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत चिंतित हैं। यह चिंता उन्हें नौकर रखने और दिखावे के लिए खर्च करने जैसी गलतियों के लिए प्रेरित करती है।
    2. भौतिकवाद:
    वाचक और निर्मला भौतिक चीजों को बहुत महत्व देते हैं। वे एक बड़ा घर, महंगे कपड़े और फर्नीचर चाहते हैं। यह भौतिकवाद उन्हें अपनी वास्तविक आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं से दूर ले जाता है।
    3. सामाजिक दबाव के प्रति संवेदनशीलता:
    वाचक और निर्मला समाज के दबाव और अपेक्षाओं से बहुत प्रभावित होते हैं। वे नौकर रखने और एक निश्चित जीवनशैली अपनाने जैसे निर्णय लेते हैं, भले ही वे उनके लिए सही न हों।
    4. पारिवारिक मूल्यों का ह्रास:
    कहानी में, पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों को कम महत्व दिया जाता है। वाचक और निर्मला अपने काम और सामाजिक जीवन में व्यस्त रहते हैं, जिसके कारण उनके बीच संवाद और समझ कम हो जाती है। वे अपने माता-पिता और बहादुर जैसी करीबी रिश्तों की उपेक्षा करते हैं।
    5. स्त्री-पुरुष असमानता:
    कहानी में, स्त्री-पुरुष भूमिकाओं को पारंपरिक रूप से दर्शाया गया है। निर्मला को घर के सभी काम करने और पति की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाती है। वाचक को बाहर काम करने और परिवार का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी दी जाती है। यह असमानता निर्मला पर बोझ डालती है और उसे कमजोर बनाती है।

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  5. 'बहादुर' कहानी में नौकर रखने की आवश्यकता और उसके कारण: वाचक के लिए नौकर रखने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से थी: बढ़ती सामाजिक स्थिति: वाचक की सामाजिक स्थिति बढ़ रही थी। उसके परिवार में सभी भाई-बहन सरकारी नौकरी में थे और उनके घरों में नौकर-चाकर थे। किशोर को भी अपने घर में नौकर रखने की इच्छा थी, ताकिRead more

    ‘बहादुर’ कहानी में नौकर रखने की आवश्यकता और उसके कारण:
    वाचक के लिए नौकर रखने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से थी:

    बढ़ती सामाजिक स्थिति: वाचक की सामाजिक स्थिति बढ़ रही थी। उसके परिवार में सभी भाई-बहन सरकारी नौकरी में थे और उनके घरों में नौकर-चाकर थे। किशोर को भी अपने घर में नौकर रखने की इच्छा थी, ताकि वह भी समाज में उच्च दर्जा प्राप्त कर सके।
    घरेलू कामों का बोझ: वाचक की पत्नी, निर्मला, घर के सभी काम अकेले करती थी। यह बोझ उसके लिए बहुत अधिक था, जिसके कारण वह थकान और बीमारी से ग्रस्त रहने लगी थी। किशोर को लगा कि नौकर रखने से निर्मला को राहत मिलेगी और वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकेगी।
    प्रतिष्ठा: उस समय के समाज में, नौकर रखना एक प्रतिष्ठा का विषय माना जाता था। वाचक को लगा कि नौकर रखने से उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी और लोग उसे एक सफल व्यक्ति मानेंगे।

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