‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
उदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद "अदृश्य दीवारों" के बारे में सोचता रहा। अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।Read more
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद “अदृश्य दीवारों” के बारे में सोचता रहा।
अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।
अज्ञानता और अंधविश्वास की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को अंधविश्वासों और रूढ़ियों में जकड़ रखा था। मदर टेरेसा ने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का प्रयास किया।
असहायता और निराशा की दीवारें: इन दीवारों ने गरीबों, बीमारों और अन्य जरूरतमंदों को निराश और असहाय बना रखा था। मदर टेरेसा ने अपनी सेवा और करुणा के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का काम किया।
दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है:
मानवता का विकास: इन दीवारों को गिराकर हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहाँ सभी इंसान समान हों और प्रेम और सद्भाव का वातावरण हो।
समाजिक न्याय: इन दीवारों को गिराकर हम गरीबी, भेदभाव और अन्याय जैसी सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
वैश्विक शांति: इन दीवारों को गिराकर हम युद्ध, हिंसा और आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं को कम कर सकते हैं।
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि: उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीकRead more
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि:
उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीक किया, गरीबों को भोजन और आश्रय दिया और निराश लोगों को आशा दिल देकर उनका जीवन बदल दिया।
उनका प्रेम और करुणा: मदर मार्गरेट सभी के प्रति प्यार और करुणा से भरी थीं। वे हर व्यक्ति में अच्छाई देखती थीं और उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करती थीं। उनकी दया और प्रेम लोगों के दिलों को छू जाते थे।
उनका आध्यात्मिक प्रभाव: मदर मार्गरेट एक गहरी धार्मिक व्यक्ति थीं और उनके कार्यों में आध्यात्मिक शक्ति थी। वे लोगों को ईश्वर के प्रति प्रेरित करती थीं और उन्हें सच्चा सुख पाने का मार्ग दिखाती थीं।
'फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है' - इस विचार से मेरी सहमति आंशिक रूप से है। फ़ोटो के प्रभावी होने के कारण: दृश्य माध्यम: फ़ोटो एक दृश्य माध्यम है जो जटिल विचारों और भावनाओं को बिना शब्दों के ही प्रभावी ढंग से प्रेषित कर सकती है। तत्काल प्रभाव: फ़ोटो तुरंत दर्शक का ध्यान आकर्षिRead more
‘फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है’ – इस विचार से मेरी सहमति आंशिक रूप से है। फ़ोटो के प्रभावी होने के कारण:
दृश्य माध्यम: फ़ोटो एक दृश्य माध्यम है जो जटिल विचारों और भावनाओं को बिना शब्दों के ही प्रभावी ढंग से प्रेषित कर सकती है।
तत्काल प्रभाव: फ़ोटो तुरंत दर्शक का ध्यान आकर्षित कर सकती है और उनमें एक मजबूत भावनात्मक प्रतिक्रिया जगा सकती है।
विवरण और वास्तविकता: एक अच्छी फ़ोटो घटना या विषय का एक विवरण और वास्तविक चित्रण प्रस्तुत कर सकती है।
स्मरणीय बनाना: फ़ोटो लोगों को घटनाओं और अनुभवों को लंबे समय तक याद रखने में मदद कर सकती हैं।
सीमाएं:
व्याख्यात्मक सीमाएं: फ़ोटो हमेशा पूरी कहानी नहीं बता सकती है और दर्शक उन्हें अपनी पूर्वग्रहों के आधार पर व्याख्या कर सकते हैं।
भ्रामक होना: फ़ोटो को भ्रामक या गलत प्रस्तुत करने के लिए हेरफेर किया जा सकता है।
सभी पर समान प्रभाव नहीं: फ़ोटो सभी दर्शकों पर समान प्रभाव नहीं डाल सकती है और कुछ लोगों को अन्य की तुलना में उनसे कम प्रभावित हो सकता है।
'रॉबर्ट नर्सिंग होम' से प्रेरणा: 1. करुणा और प्रेम: मदर टेरेसा और वृद्ध रोगियों के बीच प्रेम और करुणा का जो चित्रण है वह हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनने प्रेरित करता है। हमें अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करने और उनके जीवन में खुशी लाने का प्रयास करना चाहिए। 2. जीवन का मूल्य: नर्Read more
‘रॉबर्ट नर्सिंग होम’ से प्रेरणा:
1. करुणा और प्रेम: मदर टेरेसा और वृद्ध रोगियों के बीच प्रेम और करुणा का जो चित्रण है वह हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनने प्रेरित करता है। हमें अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करने और उनके जीवन में खुशी लाने का प्रयास करना चाहिए।
2. जीवन का मूल्य: नर्सिंग होम में रहने वाले वृद्ध हमें यह समझने में मदद करते हैं कि जीवन का प्रत्येक पल मूल्यवान है। हमें हर दिन को पूरी तरह जीना चाहिए और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना चाहिए।
3. आत्म-अवलोकन: मदर टेरेसा और वृद्धों के साथ बातचीत हमें अपने जीवन और मूल्यों का मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करती है। हमें यह सोचना चाहिए कि हम क्या करना चाहते हैं और अपने जीवन को किस तरह अर्थपूर्ण बना सकते हैं।
4. कृतज्ञता: नर्सिंग होम में रहने वाली परिस्थितियों को देखकर हमें अपने जीवन की सुविधाओं के लिए कृतज्ञ होना चाहिए। हमें जो कुछ भी मिला है उसकी कदर करनी चाहिए और उसका सदुपयोग करना चाहिए।
यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं, तो कई लोगों को गहरी हानि होती। क्योंकि: रोगियों की देखभाल में कमी: दोनों महिलाएं रोगियों की सेवा में समर्पित थीं। अकेले काम करने पर वे उतने रोगियों की देखभाल नहीं कर पातीं जितना कि वे दोनों मिलकर करती थीं। सहयोग और समन्वय की कमी: वे दोनों मिलकर काRead more
यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं, तो कई लोगों को गहरी हानि होती। क्योंकि:
रोगियों की देखभाल में कमी: दोनों महिलाएं रोगियों की सेवा में समर्पित थीं। अकेले काम करने पर वे उतने रोगियों की देखभाल नहीं कर पातीं जितना कि वे दोनों मिलकर करती थीं।
सहयोग और समन्वय की कमी: वे दोनों मिलकर काम करके एक दूसरे का समर्थन करती थीं और कार्यों में समन्वय बनाए रखती थीं। अकेले काम करने पर यह सहयोग और समन्वय खत्म हो जाता।
प्रभाव में कमी: दोनों महिलाएं मिलकर काम करके एक शक्तिशाली प्रभाव डालती थीं। अकेले काम करने पर उनका प्रभाव कम हो जाता।
निष्कर्ष: मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड का मिलकर काम करना एक अद्भुत शक्ति थी जिसने अनेकों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। यदि वे अकेले काम करतीं तो यह शक्ति कम हो जाती और कई लोगों को इसका नुकसान उठाना पड़ता।
फ़ीचर किसे कहते हैं? भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ एक फ़ीचर है। सिद्ध कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
See lessउदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक आपको उचित लगता है या नहीं? यदि उचित लगता है तो क्यों? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
See lessभारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
कल्पना चावला और बचेंद्री पाल अपने विषय में सोच-समझकर स्वयं फ़ैसला लेने वाली, साहसी, दृढ़ निश्चयी, आत्म-विश्वासी महिलाएं हैं, इसीलिए वे आज इस रूप में याद की जाती हैं। इसी तरह की किसी एक महिला पर एक फ़ीचर लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
See lessआज भी हमारे समाज के कुछ हिस्सों में लड़के और लड़की में भेद किया जाता है, क्या आपकी दृष्टि में यह उचित है-तर्कसहित लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
See lessमेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना की दुखद मृत्यु के पश्चात् भारत के प्रधानमंत्री ने विशेष घोषणा की कि- NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
See lessलेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद किस प्रकार की दीवारों के बारे में सोचता रहा? आपकी दृष्टि में इन दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद "अदृश्य दीवारों" के बारे में सोचता रहा। अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।Read more
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद “अदृश्य दीवारों” के बारे में सोचता रहा।
See lessअंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।
अज्ञानता और अंधविश्वास की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को अंधविश्वासों और रूढ़ियों में जकड़ रखा था। मदर टेरेसा ने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का प्रयास किया।
असहायता और निराशा की दीवारें: इन दीवारों ने गरीबों, बीमारों और अन्य जरूरतमंदों को निराश और असहाय बना रखा था। मदर टेरेसा ने अपनी सेवा और करुणा के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का काम किया।
दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है:
मानवता का विकास: इन दीवारों को गिराकर हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहाँ सभी इंसान समान हों और प्रेम और सद्भाव का वातावरण हो।
समाजिक न्याय: इन दीवारों को गिराकर हम गरीबी, भेदभाव और अन्याय जैसी सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
वैश्विक शांति: इन दीवारों को गिराकर हम युद्ध, हिंसा और आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं को कम कर सकते हैं।
मदर मार्गरेट का जादू किसे कहा गया है? स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि: उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीकRead more
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि:
See lessउनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीक किया, गरीबों को भोजन और आश्रय दिया और निराश लोगों को आशा दिल देकर उनका जीवन बदल दिया।
उनका प्रेम और करुणा: मदर मार्गरेट सभी के प्रति प्यार और करुणा से भरी थीं। वे हर व्यक्ति में अच्छाई देखती थीं और उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करती थीं। उनकी दया और प्रेम लोगों के दिलों को छू जाते थे।
उनका आध्यात्मिक प्रभाव: मदर मार्गरेट एक गहरी धार्मिक व्यक्ति थीं और उनके कार्यों में आध्यात्मिक शक्ति थी। वे लोगों को ईश्वर के प्रति प्रेरित करती थीं और उन्हें सच्चा सुख पाने का मार्ग दिखाती थीं।
फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। आप इस विचार से कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिये। NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
'फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है' - इस विचार से मेरी सहमति आंशिक रूप से है। फ़ोटो के प्रभावी होने के कारण: दृश्य माध्यम: फ़ोटो एक दृश्य माध्यम है जो जटिल विचारों और भावनाओं को बिना शब्दों के ही प्रभावी ढंग से प्रेषित कर सकती है। तत्काल प्रभाव: फ़ोटो तुरंत दर्शक का ध्यान आकर्षिRead more
‘फ़ोटो किसी बात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है’ – इस विचार से मेरी सहमति आंशिक रूप से है। फ़ोटो के प्रभावी होने के कारण:
See lessदृश्य माध्यम: फ़ोटो एक दृश्य माध्यम है जो जटिल विचारों और भावनाओं को बिना शब्दों के ही प्रभावी ढंग से प्रेषित कर सकती है।
तत्काल प्रभाव: फ़ोटो तुरंत दर्शक का ध्यान आकर्षित कर सकती है और उनमें एक मजबूत भावनात्मक प्रतिक्रिया जगा सकती है।
विवरण और वास्तविकता: एक अच्छी फ़ोटो घटना या विषय का एक विवरण और वास्तविक चित्रण प्रस्तुत कर सकती है।
स्मरणीय बनाना: फ़ोटो लोगों को घटनाओं और अनुभवों को लंबे समय तक याद रखने में मदद कर सकती हैं।
सीमाएं:
व्याख्यात्मक सीमाएं: फ़ोटो हमेशा पूरी कहानी नहीं बता सकती है और दर्शक उन्हें अपनी पूर्वग्रहों के आधार पर व्याख्या कर सकते हैं।
भ्रामक होना: फ़ोटो को भ्रामक या गलत प्रस्तुत करने के लिए हेरफेर किया जा सकता है।
सभी पर समान प्रभाव नहीं: फ़ोटो सभी दर्शकों पर समान प्रभाव नहीं डाल सकती है और कुछ लोगों को अन्य की तुलना में उनसे कम प्रभावित हो सकता है।
रॉबर्ट नर्सिंग होम पाठ से हम अपने जीवन में क्या प्रेरणा ले सकते हैं, उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
'रॉबर्ट नर्सिंग होम' से प्रेरणा: 1. करुणा और प्रेम: मदर टेरेसा और वृद्ध रोगियों के बीच प्रेम और करुणा का जो चित्रण है वह हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनने प्रेरित करता है। हमें अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करने और उनके जीवन में खुशी लाने का प्रयास करना चाहिए। 2. जीवन का मूल्य: नर्Read more
‘रॉबर्ट नर्सिंग होम’ से प्रेरणा:
See less1. करुणा और प्रेम: मदर टेरेसा और वृद्ध रोगियों के बीच प्रेम और करुणा का जो चित्रण है वह हमें दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनने प्रेरित करता है। हमें अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करने और उनके जीवन में खुशी लाने का प्रयास करना चाहिए।
2. जीवन का मूल्य: नर्सिंग होम में रहने वाले वृद्ध हमें यह समझने में मदद करते हैं कि जीवन का प्रत्येक पल मूल्यवान है। हमें हर दिन को पूरी तरह जीना चाहिए और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना चाहिए।
3. आत्म-अवलोकन: मदर टेरेसा और वृद्धों के साथ बातचीत हमें अपने जीवन और मूल्यों का मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करती है। हमें यह सोचना चाहिए कि हम क्या करना चाहते हैं और अपने जीवन को किस तरह अर्थपूर्ण बना सकते हैं।
4. कृतज्ञता: नर्सिंग होम में रहने वाली परिस्थितियों को देखकर हमें अपने जीवन की सुविधाओं के लिए कृतज्ञ होना चाहिए। हमें जो कुछ भी मिला है उसकी कदर करनी चाहिए और उसका सदुपयोग करना चाहिए।
यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं तो किसकी हानि होती और क्यों, उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं, तो कई लोगों को गहरी हानि होती। क्योंकि: रोगियों की देखभाल में कमी: दोनों महिलाएं रोगियों की सेवा में समर्पित थीं। अकेले काम करने पर वे उतने रोगियों की देखभाल नहीं कर पातीं जितना कि वे दोनों मिलकर करती थीं। सहयोग और समन्वय की कमी: वे दोनों मिलकर काRead more
यदि मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड एक होकर कार्य न करतीं, तो कई लोगों को गहरी हानि होती। क्योंकि:
See lessरोगियों की देखभाल में कमी: दोनों महिलाएं रोगियों की सेवा में समर्पित थीं। अकेले काम करने पर वे उतने रोगियों की देखभाल नहीं कर पातीं जितना कि वे दोनों मिलकर करती थीं।
सहयोग और समन्वय की कमी: वे दोनों मिलकर काम करके एक दूसरे का समर्थन करती थीं और कार्यों में समन्वय बनाए रखती थीं। अकेले काम करने पर यह सहयोग और समन्वय खत्म हो जाता।
प्रभाव में कमी: दोनों महिलाएं मिलकर काम करके एक शक्तिशाली प्रभाव डालती थीं। अकेले काम करने पर उनका प्रभाव कम हो जाता।
निष्कर्ष: मदर टेरेसा और क्रिस हैल्ड का मिलकर काम करना एक अद्भुत शक्ति थी जिसने अनेकों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। यदि वे अकेले काम करतीं तो यह शक्ति कम हो जाती और कई लोगों को इसका नुकसान उठाना पड़ता।