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मूल्यवान वस्तुएँ सस्ती होने पर भी महंत ने अंधेर नगरी में रहने के लिए मना क्यों किया? NIOS Class 10 Hindi Chapter 15

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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 15, अंधेर नगरी

महंत ने अंधेर नगरी में रहने के लिए मना किया क्योंकि वहां की व्यवस्था अव्यवस्थित और अराजक थी। भले ही मूल्यवान वस्तुएं सस्ती थीं, लेकिन “टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” जैसी प्रणाली ने यह दिखाया कि वहां प्रशासनिक समझदारी और स्थिरता नहीं थी। महंत ने देखा कि ऐसी जगह पर न्याय और जीवन की सुरक्षा संभव नहीं है। उन्होंने चेले को चेतावनी दी कि लालच के कारण ऐसी जगह रहना घातक हो सकता है, जहां अनुशासन और विवेक का अभाव हो।

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  1. महंत गोवर्धन बाबा ने अंधेर नगरी में रहने के लिए मना इसलिए किया क्योंकि वहाँ की शासन-व्यवस्था और सामाजिक स्थिति बहुत ही भ्रष्ट और अराजक थी। “अंधेर नगरी चौपट राजा” कहावत का उपयोग करते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र ने यह दिखाया है कि ऐसी जगह पर जहां शासन अंधाधुंध हो और वस्तुएँ चाहे कितनी भी सस्ती क्यों न हो, वहाँ निवास करना खतरनाक और अविवेकपूर्ण होता है। यहाँ कुछ कारण हैं जिनकी वजह से महंत ने अंधेर नगरी में रहने से मना किया:
    अन्यायपूर्ण शासन:
    अंधेर नगरी का राजा न्याय और विवेक के बिना शासन करता है। उसका शासन अनुचित और अव्यवस्थित है। महंत जानते थे कि ऐसे शासन में किसी भी समय निर्दोष लोगों को भी गलत सजा मिल सकती है।
    अराजकता और अस्थिरता:
    नगर की अव्यवस्थित स्थिति और वस्तुओं का एक समान मूल्य दर्शाता है कि वहाँ की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। ऐसी अराजकता में जीवन सुरक्षित नहीं होता और कोई भी कभी भी अनायास संकट में पड़ सकता है।
    विवेक और प्रज्ञा की कमी:
    महंत गोवर्धन बाबा एक विवेकशील व्यक्ति हैं और अपने शिष्यों को भी सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। अंधेर नगरी में शासन और समाज में विवेक और प्रज्ञा की पूरी तरह से कमी है, जिससे महंत वहाँ के वातावरण को अनुचित और असुरक्षित मानते हैं।
    स्वस्थ जीवन की असंभवता:
    वस्तुओं का सस्ता होना एक सतही लाभ है, लेकिन जब तक समाज और शासन प्रणाली स्थिर और न्यायपूर्ण नहीं होगी, तब तक वहाँ स्वस्थ और सुरक्षित जीवन संभव नहीं है। महंत इस बात को समझते हैं और इसलिए उन्होंने अपने शिष्यों को भी वहाँ रहने से मना किया।
    लोगों की दुर्दशा:
    महंत ने देखा कि अंधेर नगरी के लोग राजा के अनुचित शासन के कारण अत्यंत पीड़ित हैं। ऐसी स्थिति में वहां रहना विवेकपूर्ण नहीं होता, क्योंकि वहाँ किसी भी समय कुछ भी अप्रत्याशित और हानिकारक हो सकता है।
    भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महंत गोवर्धन बाबा के माध्यम से यह संदेश दिया है कि केवल सस्ती वस्तुएँ या भौतिक लाभ ही जीवन में महत्वपूर्ण नहीं होते। न्याय, विवेक, और सामाजिक स्थिरता अधिक महत्वपूर्ण हैं, और इनके बिना जीवन सुरक्षित और सुखी नहीं हो सकता।

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