NIOS Class 10 Hindi Chapter 19 शतरंज के खिलाड़ी
“शतरंज के खिलाड़ी” कहानी भारत के स्वाधीनता-आंदोलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस समय की सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों को उजागर करती है। मिर्जा का चरित्र एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है जो व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं में लिप्त होकर बड़े संघर्षों से दूर रहता है। यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि स्वाधीनता की लड़ाई केवल बाहरी संघर्ष नहीं, बल्कि आंतरिक जागरूकता और जिम्मेदारी का भी विषय है। इस प्रकार, यह कहानी स्वतंत्रता की आवश्यकता और उसके लिए संघर्ष की अहमियत को दर्शाती है।
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में गहरा महत्व रखती है। यह कहानी उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिवेश को प्रतिबिंबित करती है जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार हो रहा था। कहानी में मीर और मिरजा जैसे नवाबों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के भारतीय समाज के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया है, जो स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में विचारणीय हैं।
1. औपनिवेशिक शासन की आलोचना
कहानी की पृष्ठभूमि में नवाब वाजिद अली शाह का शासन और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का हस्तक्षेप स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। प्रेमचंद ने मीर और मिरजा के माध्यम से उस समय के भारतीय शासकों की निष्क्रियता और आलस्य को चित्रित किया है, जो औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध किसी भी प्रकार का संगठित प्रतिरोध करने में असमर्थ थे। यह कहानी ब्रिटिश हुकूमत की आलोचना करती है और यह दर्शाती है कि किस प्रकार भारतीय समाज में आंतरिक कमजोरियाँ और राजनीतिक उदासीनता विदेशी शासन को बढ़ावा देने में सहायक रहीं।
2. राजनीतिक जागरूकता का अभाव
मीर और मिरजा का शतरंज के खेल में लीन होना उस समय के भारतीय उच्च वर्ग की राजनीतिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है। जब लखनऊ पर अंग्रेजों का आक्रमण होता है, तब भी वे अपने खेल में व्यस्त रहते हैं। यह प्रतीकात्मकता स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस समय के समाज में व्याप्त राजनीतिक जागरूकता के अभाव को इंगित करती है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि राजनीतिक जागरूकता और सक्रियता स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक विकृतियाँ
मीर और मिरजा की शतरंज की धुन और उनके जीवन की विलासिता उस समय के समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक विकृतियों को उजागर करती है। इस प्रकार की जीवनशैली ने समाज को निष्क्रिय और आत्ममुग्ध बना दिया था, जो स्वाधीनता आंदोलन के लिए बाधक सिद्ध हो रही थी। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की है कि समाज को अपने सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को पहचानना और उन्हें सहेजना आवश्यक है, ताकि स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
4. राष्ट्रीय चेतना का आह्वान
कहानी में मीर और मिरजा की उदासीनता और आलस्य के विपरीत प्रेमचंद ने अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय चेतना का आह्वान किया है। उन्होंने यह दिखाया है कि किस प्रकार व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुखता समाज और राष्ट्र के लिए हानिकारक हो सकती है। स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में यह कहानी लोगों को जागरूक और सक्रिय बनने के लिए प्रेरित करती है, ताकि वे देश की स्वतंत्रता के लिए संगठित और समर्पित हो सकें।
5. सामाजिक सुधार का संदेश
प्रेमचंद की यह कहानी सामाजिक सुधार का भी संदेश देती है। स्वाधीनता आंदोलन केवल राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग नहीं था, बल्कि सामाजिक सुधार और न्याय की भी बात करता था। मीर और मिरजा की जीवनशैली और उनके सामाजिक दायित्वों की उपेक्षा यह दिखाती है कि समाज को आंतरिक रूप से मजबूत और न्यायपूर्ण बनाना भी आवश्यक है, ताकि स्वतंत्रता के पश्चात एक समृद्ध और समतामूलक समाज की स्थापना हो सके।
निष्कर्ष
‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में गहरा महत्व रखती है। यह कहानी न केवल औपनिवेशिक शासन की आलोचना करती है, बल्कि समाज की आंतरिक कमजोरियों, राजनीतिक जागरूकता के अभाव, और सामाजिक-सांस्कृतिक विकृतियों को भी उजागर करती है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक सुधार का संदेश दिया है, जो स्वाधीनता आंदोलन के उद्देश्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। इस प्रकार, यह कहानी स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है।