राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर
कविता में तालाब के कुछ और दृश्य भी कवि का धयान खींचते हैं। जैसे- एक बगुला, जो पानी में टाँगें डुबाए, धयानमग्न सोया हुआ-सा खड़ा है। वह सचेत तो है, परंतु देखने वाले को ऐसे लगता है जैसे सो रहा है। पर ज्यों ही उसे कोई चंचल मछली दिखाई पड़ती है वह उसे तत्काल लपक कर गटक लेता है।
Share
(घ) बगुला शोषक का प्रतीक है।