NIOS Class 10 Hindi Chapter 11
गद्यांश का मूल भाव यह है कि मानव जीवन का प्रारंभिक समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान बालक का मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास संभव होता है। माता-पिता, शिक्षक और सरकार को मिलकर एक सकारात्मक वातावरण प्रदान करना चाहिए, जिससे बालक का व्यक्तित्व सही दिशा में विकसित हो सके। जैसे कच्ची मिट्टी को मनचाहे आकार में ढाला जा सकता है, वैसे ही इस समय में बालक को उचित मार्गदर्शन देकर उसके भविष्य को संवारना आवश्यक है। इसलिए, इस समय का सदुपयोग करना सभी की जिम्मेदारी है।
गद्यांश -1
मूल भाव:
मानव जीवन का आरंभिक समय अत्यंत लचीला होता है, जिसमें बालक का मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास प्रभावी रूप से किया जा सकता है। इस समय के दौरान माता-पिता, शिक्षक और सरकार मिलकर बालक को उचित वातावरण प्रदान कर उसके व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं। कच्ची मिट्टी की तरह बालक को मनचाहे रूप में ढाला जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, परिवर्तन करना उतना ही कठिन हो जाता है। इसलिए, जीवन का आरंभिक समय विशेष महत्व रखता है और इस समय का सदुपयोग करना सभी का कर्तव्य है।
संबंधित बिंदु:
1. मानव जीवन का आरंभिक समय लचीला और प्रशिक्षण के लिए अनुकूल होता है।
2. माता-पिता, शिक्षक और सरकार मिलकर बालक को उचित वातावरण देकर उसके जीवन की दिशा तय कर सकते हैं।
3. जीवन का आरंभिक समय कच्चे घड़े के समान होता है, जिसमें परिवर्तन लाना आसान होता है।
4. यौवन में प्रवेश के बाद व्यक्तित्व में आमूल परिवर्तन करना कठिन होता है।
5. बालक के व्यक्तित्व निर्माण का मुख्य उत्तरदायित्व माता-पिता, समाज, सरकार और स्वयं बालक पर होता है।
6. कोई भी व्यक्ति अपने ध्येय में तभी सफल हो सकता है जब वह जीवन के आरंभिक दिनों से ही प्रयास करे।
7. विद्याध्ययन का समय मानव जीवन के लिए विशेष महत्व रखता है।
8. सभी का कर्तव्य है कि इस तथ्य को हमेशा ध्यान में रखें।
क्रम:
1. मानव जीवन का आरंभिक समय लचीला और प्रशिक्षण के लिए अनुकूल होना।
2. माता-पिता, शिक्षक और सरकार की भूमिका।
3. जीवन के आरंभिक समय की तुलना कच्चे घड़े से।
4. यौवन में परिवर्तन की कठिनाई।
5. व्यक्तित्व निर्माण का उत्तरदायित्व।
6. ध्येय में सफलता के लिए आरंभिक प्रयास की महत्ता।
7. विद्याध्ययन का विशेष महत्व।
8. कर्तव्य की जागरूकता।