NIOS Class 10 Hindi Chapter 17
अलंकार एक साहित्यिक उपकरण है, जिसका अर्थ ‘आभूषण‘ होता है। यह कविता या भाषा की शोभा बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। अलंकार का शाब्दिक अर्थ ‘अलम‘ (आभूषण) और ‘कार‘ (धारण करने वाला) से मिलकर बना है। जैसे स्त्रियाँ अपने सौंदर्य को बढ़ाने के लिए आभूषण पहनती हैं, उसी प्रकार अलंकार भाषा की सुंदरता और प्रभाव को बढ़ाते हैं। अलंकार के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे शब्दालंकार और अर्थालंकार, जो काव्य में विशेषता और संवेदनशीलता लाते हैं।
दिए गए उदाहरणों में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग हुआ है। आइए हर उदाहरण का विश्लेषण करके देखते हैं कि कौन-सा अलंकार प्रयोग किया गया है और क्यों:
(क) चारु चंद्र की चंचल किरणें
अलंकार: अनुप्रास अलंकार
कारण: इस पंक्ति में ‘च’ ध्वनि का बार-बार आवृत्ति हुई है, जो अनुप्रास अलंकार की विशेषता है। अनुप्रास अलंकार में एक ही अक्षर या ध्वनि की पुनरावृत्ति होती है।
(ख) कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि
अलंकार: अनुप्रास अलंकार
कारण: इस पंक्ति में ‘क’ और ‘न’ ध्वनि की आवृत्ति हुई है, जिससे अनुप्रास अलंकार का निर्माण होता है।
(ग) चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए
अलंकार: अनुप्रास अलंकार
कारण: इस पंक्ति में ‘ल’ ध्वनि की आवृत्ति हुई है, जो अनुप्रास अलंकार को दर्शाती है।
(घ) चरण कमल बंदौं हरिराई
अलंकार: रूपक अलंकार
कारण: इस पंक्ति में भगवान के चरणों को कमल के रूप में रूपक किया गया है। जब किसी वस्तु को सीधे ही दूसरी वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रूपक अलंकार कहते हैं।
(ङ) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
या खाये बौराय जग वा पाए बौराए।।
अलंकार: श्लेष अलंकार
कारण: इस पंक्ति में ‘कनक’ और ‘बौराय’ शब्दों का दो बार अलग-अलग अर्थों में उपयोग हुआ है। यह श्लेष अलंकार की विशेषता है, जहां एक ही शब्द के दो या अधिक अर्थ होते हैं।