राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 4, आह्वान
कवि देशवासियों का आह्वान कर उनसे एकता, साहस, और सक्रियता की अपेक्षा करता है। वह चाहता है कि लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को छोड़कर सामूहिक रूप से देश की प्रगति के लिए कार्य करें। कवि आशा करता है कि सभी लोग प्रेम, सद्भावना, और समर्पण के साथ मिलकर एक सुखद और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करें।
इस अंश में कवि कहता है- देशवासियो! माना कि हम अलग-अलग जातियों व संप्रदायों से जुड़े हुए हैं, पर भारत
के नागरिक होने के नाते हम सब भाई-भाई हैं। इसलिए आओ, सब मिलकर देश को एकता के सूत्रा में बाँधो और सुख-शांतिमय उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करें। सुख कैसे मिलेगा? आज़ादी से। शांति कैसे आएगी? गरीबी दूर होने से। गरीबी दूर कैसे होगी? गरीबी दूर होगी अपना शासन स्थापित करके। इसके लिए हमें एक होकर संघर्ष करना पड़ेगा। समृद्धि और शांति लाने के लिए आओ, हम मिलजुल कर कठिन परिश्रम करें। कवि कुछ प्रश्नों के रूप में देश की जनता को एक होने के लिए कहता है। वह पूछता है कि क्या हम लोगों की जाति, धर्म, संप्रदाय अलग-अलग होने पर भी हम एक नहीं हो सकते? कवि कहना चाहता है कि इन आधारों पर भिन्नता एकता के मार्ग में बाधाक नहीं है। हम एक देश के होने के नाते एक हो सकते हैं।