NIOS Class 10 Hindi Chapter 2
“करत-करत अभ्यास तें, जड़मति होत सुजान” दोहे में “जड़मति” शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया गया है जो कम बुद्धिमान, अज्ञानी या नासमझ हैं। यहाँ “जड़मति” का अर्थ है ऐसी बुद्धि जो सुस्त, अचल या अविकसित हो, यानी जो किसी चीज़ को आसानी से नहीं समझ पाती।
इस दोहे में, “जड़मति” शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान नहीं है, या जिसे सीखने में कठिनाई होती है।
हालांकि, यह दोहा हमें सिखाता है कि निरंतर अभ्यास और प्रयासों के द्वारा, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी मूर्ख क्यों न हो, ज्ञान और समझ प्राप्त कर सकता है।
“जड़मति” शब्द का प्रयोग यहां केवल यह दर्शाने के लिए किया गया है कि शुरुआत में व्यक्ति की बुद्धि कम है, लेकिन अभ्यास से उसका ज्ञान बढ़ता है।
कबीर दास इस शब्द का प्रयोग यह बताने के लिए करते हैं कि लगातार अभ्यास से साधारण या कम बुद्धि वाला व्यक्ति भी कुशल और समझदार बन सकता है। “जड़मति” से यह भी संकेत मिलता है कि व्यक्ति चाहे कितना भी अज्ञानी या कमजोर हो, निरंतर प्रयास और अभ्यास के बल पर वह अपने ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर सकता है। इस दोहे का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपनी कमियों से निराश न हो, बल्कि अभ्यास के जरिए उन पर विजय प्राप्त करे।