NIOS Class 10 Hindi Chapter 8 चंद्रगहना से लौटती बेर
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ ! किसी तालाब या पोखर के हिलते जल में चाँद का प्रतिबिंब उसकी गहराई का भी बोधा कराता है जबकि शांत जल में वह एक गोला-सा ही लगता। लहरों वाले तालाब में किरणों के फिसलने से उसमें लंबाई प्रतीत होती है। इसलिए कवि को लगता हैµ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा।’ µइसे ही कहते हैं कवि की सूक्ष्म दृष्टि और कल्पना।
साँझ होने को आई है और तालाब की सतह पर चाँद का प्रतिबिंब चमक रहा है। उसकी चमक आँखों को चैंधिाया देती है। चाँद के बारे में कवि की कल्पना देखिए-‘एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’। चाँद के लिए चाँदी का बड़ा-सा, गोल खंभा कहना ठीक है, परंतु क्या आप बता सकते हैं कि चाँद कवि को खंभा क्यों प्रतीत हुआ? जी, हाँ ! किसी तालाब या पोखर के हिलते जल में चाँद का प्रतिबिंब उसकी गहराई का भी बोधा कराता है जबकि शांत जल में वह एक गोला-सा ही लगता। लहरों वाले तालाब में किरणों के फिसलने से उसमें लंबाई प्रतीत होती है। इसलिए कवि को लगता हैµ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा।’ µइसे ही कहते हैं कवि की सूक्ष्म दृष्टि और कल्पना।