राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 17, बीती विभावरी जाग री
कविता “बीती विभावरी जाग री” की भाषा में सरलता और प्रवाह है, जो इसे आकर्षक बनाती है। इसमें प्रतीकों और उपमाओं का समृद्ध प्रयोग किया गया है, जैसे ऊषा को स्त्री के रूप में चित्रित करना। कविता में रचनात्मकता के साथ-साथ संगीतात्मकता भी है, जिससे पाठक को एक लयबद्ध अनुभव मिलता है। भावनाओं की गहराई और प्राकृतिक चित्रण इसे जीवंत बनाते हैं। इसके अलावा, भाषा में एक संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना का संकेत भी मिलता है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है।
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(क) इस कविता की भाषा संस्कृतनिष्ठ है।