NIOS Class 10 Hindi Chapter 15
इस नाटक में मुझे “गोवर्धन दास” पात्र सबसे अच्छा लगा। उसकी लालच और भोलेपन के कारण नाटक में हास्य और व्यंग्य का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। गोवर्धन दास का सस्ते खाने की चाहत में अंधेर नगरी में रुकना, उसके चरित्र की सरलता और मूर्खता को दर्शाता है। वह इस अराजक व्यवस्था में भी खुश रहने की कोशिश करता है, जो समाज की वास्तविकता को उजागर करता है। उसकी यात्रा हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि लालच कैसे व्यक्ति को अंधेरे में ले जा सकता है।
“अंधेर नगरी” नाटक में मुझे सबसे अच्छा पात्र गोवर्धन बाबा (या गोविन्द बाबा) लगा। इसके कई कारण हैं:
प्रज्ञा और विवेक: गोवर्धन बाबा एकमात्र पात्र हैं जो अपने विवेक और प्रज्ञा का प्रयोग करते हैं। वे सही और गलत का अंतर स्पष्ट रूप से समझते हैं और अपने शिष्यों को भी यही शिक्षा देते हैं।
सत्य के प्रति निष्ठा: बाबा सत्य और धर्म के प्रति निष्ठावान हैं। वे अपने शिष्यों को “अंधेर नगरी” में जाने से मना करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वहां के राजा और प्रजा भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। उनका यह सतर्कता भाव और उनकी दृष्टि उन्हें एक आदर्श गुरु बनाती है।
व्यंग्य और ह्यूमर: बाबा का चरित्र व्यंग्य और ह्यूमर से भरा हुआ है। वे अपनी बातें साधारण शब्दों में कहते हैं लेकिन उनमें गहरे अर्थ छिपे होते हैं। यह नाटक को और अधिक मनोरंजक और विचारणीय बनाता है।
समर्पण और नेतृत्व: गोवर्धन बाबा अपने शिष्यों के प्रति समर्पित हैं। वे उनके भले के लिए हर संभव प्रयास करते हैं और उन्हें सही मार्ग पर ले जाने की कोशिश करते हैं।
गोवर्धन बाबा का चरित्र न केवल नाटक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि यह हमें जीवन में सही निर्णय लेने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। यही कारण है कि मुझे यह पात्र सबसे अधिक प्रभावशाली और प्रेरणादायक लगता है।