NIOS Class 10 Hindi Chapter 16
‘अपना पराया’ पाठ में शरीर रूपी दुर्ग की बाहरी दीवार को त्वचा कहा गया है। त्वचा शरीर की सबसे बाहरी परत होती है, जो इसे बाहरी क्षति, रोगाणुओं और पर्यावरणीय तनाव से बचाती है। जैसे किले की दीवारें बाहरी हमलों से सुरक्षा प्रदान करती हैं, उसी प्रकार त्वचा भी शरीर को चोट और बीमारियों से सुरक्षित रखती है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक भूमिका निभाती है।
हिंदी साहित्य में विभिन्न लेखकों ने शरीर की तुलना दुर्ग (किला) से की है, जिसमें विभिन्न अंग और इंद्रियाँ दुर्ग के विभिन्न हिस्सों के रूप में वर्णित होते हैं। ‘अपना पराया’ पाठ में, शरीर रूपी दुर्ग की बाहरी दीवार के रूप में त्वचा को कहा गया है।
कारण:
1. सुरक्षा प्रदान करना: जैसे एक दुर्ग की बाहरी दीवार दुश्मनों और आक्रमणों से अंदरूनी हिस्सों की रक्षा करती है, वैसे ही त्वचा हमारे शरीर को बाहरी हानिकारक तत्वों जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, धूल, और प्रदूषण से बचाती है।
2. संवेदनशीलता: त्वचा स्पर्श, तापमान, दर्द आदि का अनुभव करने में हमारी मदद करती है, जिससे हमें बाहरी वातावरण के बारे में जानकारी मिलती है। यह हमारी सुरक्षा प्रतिक्रिया को भी सक्षम बनाती है।
3. स्वास्थ्य का संकेतक: त्वचा का रंग, बनावट और उसकी स्थिति हमारे स्वास्थ्य की स्थिति का संकेत देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे दुर्ग की दीवारों की स्थिति उसके भीतर के किले की स्थिति का संकेत देती है।