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अंधेर नगरी नाटक में फेरीवालों की बातों से किस प्रकार का वातावरण अभिव्यक्त हुआ है- उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 15

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 15 अंधेर नगरी

‘अंधेर नगरी’ नाटक में फेरीवालों की बातों से एक अराजक और व्यंग्यात्मक वातावरण का चित्रण होता है। फेरीवाले अपने सामान बेचते समय शासन व्यवस्था की कमियों और सामाजिक असमानताओं पर कटाक्ष करते हैं। जैसे, घासीराम चनेवाला और हलवाई अपनी बातों में हाकिमों के बढ़ते टैक्स और समाज की बुराइयों का उल्लेख करते हैं। उनके संवादों से यह स्पष्ट होता है कि बाजार में सब कुछ एक समान मूल्य पर बिक रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वहां न तो न्याय है और न ही किसी वस्तु का सही मूल्यांकन।

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  1. “अंधेर नगरी” नाटक में फेरीवालों की बातों से उस समय की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का एक स्पष्ट और विडंबनापूर्ण चित्रण प्रस्तुत होता है। फेरीवालों की बातचीत से निम्नलिखित प्रकार का वातावरण अभिव्यक्त होता है:
    अराजकता और अव्यवस्था:
    फेरीवाले अपनी वस्तुओं को बेचते समय जोर-जोर से चिल्लाते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि बाजार में कोई अनुशासन या व्यवस्था नहीं है। सब कुछ अस्त-व्यस्त है और कोई भी नियम-कानून का पालन नहीं कर रहा है।
    मूल्य का समानता:
    फेरीवालों की बातों से पता चलता है कि अंधेर नगरी में सभी वस्तुएँ एक ही कीमत पर बेची जा रही हैं, चाहे वह सस्ती हो या महंगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि वहां की आर्थिक प्रणाली पूरी तरह से बिगड़ी हुई है और मूल्य निर्धारण का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। यह आर्थिक असमानता और अव्यवस्था को दर्शाता है।
    भ्रष्टाचार और विवेकहीनता:
    वस्तुओं के मूल्य निर्धारण में कोई तर्क या विवेक नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वहां का शासन और समाज दोनों ही भ्रष्ट और विवेकहीन हैं। यह भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता का प्रतीक है।
    अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और अस्त-व्यस्त व्यापारिक वातावरण:
    फेरीवाले अपनी वस्तुओं को बेचने के लिए जोर-जोर से चिल्लाते हैं और ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वहाँ अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है और व्यापारिक वातावरण बहुत ही अस्त-व्यस्त और अशांत है।
    मूर्खता और अनजानेपन का माहौल:
    फेरीवालों की बातों और उनके व्यवहार से यह भी प्रतीत होता है कि वहाँ के लोग मूर्खता और अनजानेपन में जी रहे हैं। वे वस्तुओं के वास्तविक मूल्य और उनके महत्व को नहीं समझते, और अराजक स्थिति में जी रहे हैं।
    आकर्षण का भ्रम:
    फेरीवालों की बातें सुनकर शिष्य इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वे सोचते हैं कि यह एक अद्भुत स्थान है, जहाँ सब कुछ सस्ता और सुलभ है। लेकिन गोवर्धन बाबा की दृष्टि में यह केवल एक भ्रम है और वास्तविकता में यह नगर खतरे से भरा हुआ है।

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