राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।
कवि कहता है-‘और सरसों की न पूछो !’ सरसों अब सयानी हो गई है। ‘सयानी होना’ के तीन अर्थ हैं- एक तो समझदार होना, दूसरा यौवन पा लेना और तीसरा चतुर होना। यहाँ सरसों के विषय में उसे सयानी कह कर कवि ने युवती होने की ओर संकेत किया है और बताया है कि वह विवाह-योग्य हो गई है इसीलिए उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं। हाथ पीले करना’ एक मुहावरा है, जिसका अर्थ शादी कर लेना है। कवि ने सरसों के प्रसंग में ही ‘हाथ पीले करना’ का प्रयोग क्यों किया? क्योंकि सरसों जब फूलती है तो पूरा खेत ही पीला हो जाता है। तो पीली सरसों ब्याह के मंडप में पधाार चुकी है।