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भोर के समय तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को लेकर कवि ने क्या कल्पना की है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 17

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 17 बीती विभावरी जाग री

कवि ने भोर के समय तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को लेकर एक सुंदर कल्पना की है। वह इसे एक स्त्री के पनघट पर जाने से जोड़ता है, जहाँ वह पानी भरने के लिए घड़े को डुबोती है। इस दृश्य में उषा, तारे को आकाश में डुबोते हुए प्रतीत होती है, जो नए दिन की शुरुआत का संकेत है। पक्षियों का चहचहाना इस प्राकृतिक सौंदर्य को और भी जीवंत बनाता है, जिससे जीवन में नई ऊर्जा और आशा का संचार होता है।

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  1. ‘बीती विभावरी जाग री’ कविता में भोर के समय का चित्रण करते हुए कवि ने तारों के डूबने और पक्षियों के कलरव को सुंदरता से प्रस्तुत किया है।
    तारों के डूबने की कल्पना:
    कवि ने भोर के समय को इस तरह से चित्रित किया है कि जैसे रात के तारे धीरे-धीरे डूब रहे हैं और आकाश में धीरे-धीरे प्रकाश फैल रहा है। यह दर्शाता है कि रात्रि का अंधकार समाप्त हो रहा है और दिन का उजाला फैलने वाला है। तारे, जो रात में चमकते हैं, अब डूब रहे हैं, अर्थात उनका प्रकाश धीरे-धीरे फीका पड़ रहा है और सूरज की किरणें आ रही हैं।
    पक्षियों के कलरव की कल्पना:
    कवि ने भोर के समय पक्षियों के कलरव का भी उल्लेख किया है। पक्षियों का चहचहाना एक नई शुरुआत और जीवन के जागरण का प्रतीक है। जैसे ही सुबह होती है, पक्षी जाग जाते हैं और अपनी मधुर ध्वनि से वातावरण को गुंजायमान कर देते हैं। यह प्रकृति का एक सुंदर दृश्य है, जो नई उम्मीद और उत्साह को जन्म देता है।

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