विविधता एक देश की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर होती है, जिसमें धार्मिक विभिन्नता एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत जैसे देश में विविध धर्मों और संप्रदायों का समृद्ध सम्बंध है। इस प्रकार की धार्मिक विविधता में पारस्परिक एकता का महत्व होता है क्योंकि यह लोगों को साझा एकता और समरसता की ओर ले जाता है। सामर्थ्यRead more
विविधता एक देश की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर होती है, जिसमें धार्मिक विभिन्नता एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत जैसे देश में विविध धर्मों और संप्रदायों का समृद्ध सम्बंध है। इस प्रकार की धार्मिक विविधता में पारस्परिक एकता का महत्व होता है क्योंकि यह लोगों को साझा एकता और समरसता की ओर ले जाता है।
सामर्थ्य और समृद्धि: धार्मिक विविधता से एकता की स्थापना होती है, जो सामर्थ्य और समृद्धि की बुनियाद बनती है। विभिन्न समुदायों का साथ मिलकर काम करने से उन्हें समृद्धि की दिशा में अधिक प्रासंगिक समाधान मिलता है।
सामाजिक अद्यतन: धार्मिक विविधता के माध्यम से, लोग एक-दूसरे के साथ विचार और विचारों को समझने का अवसर प्राप्त करते हैं। यह सामाजिक अद्यतन को प्रोत्साहित करता है और समुदायों के बीच समझदारी और साझेदारी को बढ़ावा देता है।
सद्भावना और सहयोग: धार्मिक विविधता में पारस्परिक समरसता की भावना भी उत्पन्न होती है। लोग अपने धार्मिक मूल्यों के आधार पर एक-दूसरे के साथ सम्मान, सहयोग और सहानुभूति के भाव को स्थापित करते हैं।
समृद्ध सांस्कृतिक विविधता: धार्मिक विविधता सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विभिन्न धार्मिक समुदायों की रीति-रिवाज, भोजन, उत्सव, और अन्य सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध करता है।
इन सभी कारणों से, धार्मिक विविधता के बावजूद पारस्परिक एकता का महत्त्व है। यह एक राष्ट्र को समृद्ध, सशक्त और समरस बनाता है और समाज को एक संघर्ष और विवादमुक्त भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाता है।
कवि देशवासियों को यह आत्मबोध कराना चाहता है कि वे एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, और उनका देश उनसे कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा करता है। कवि देशवासियों को एकता, बंधुत्व और राष्ट्रप्रेम का संदेश देता है। वह उनसे आह्वान करता है कि वे देश के विकास और समृद्धि में योगदान दें। देश के प्रति हमारे कर्तव्य: राष्टRead more
कवि देशवासियों को यह आत्मबोध कराना चाहता है कि वे एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, और उनका देश उनसे कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा करता है। कवि देशवासियों को एकता, बंधुत्व और राष्ट्रप्रेम का संदेश देता है। वह उनसे आह्वान करता है कि वे देश के विकास और समृद्धि में योगदान दें।
देश के प्रति हमारे कर्तव्य:
राष्ट्रप्रेम: हमें अपने देश से प्रेम करना चाहिए और उसकी सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता: हमें जाति, धर्म, भाषा, और क्षेत्रीय भिन्नताओं से ऊपर उठकर देश की एकता बनाए रखनी चाहिए।
संविधान का पालन: हमें देश के संविधान का पालन करना चाहिए और उसके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए।
कानून का पालन: हमें देश के कानूनों का पालन करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा: हमें राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करनी चाहिए और उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
करों का भुगतान: हमें समय पर करों का भुगतान करना चाहिए।
मतदान: हमें चुनावों में मतदान कर अपना लोकतांत्रिक अधिकार निभाना चाहिए।
सामाजिक सद्भाव: हमें समाज में भाईचारा और सद्भाव बनाए रखने में योगदान देना चाहिए।
स्वच्छता: हमें अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
शिक्षा: हमें शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और दूसरों को भी शिक्षित करने में मदद करनी चाहिए।
सांस्कृतिक विरासत: हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए।
काव्य-सौंदर्य: अलंकार: उपमा: "कर्म-तैल" और "विधि-दीप" की उपमा का प्रयोग करके कर्म और भाग्य के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से समझाया गया है। प्रतीक: "दीप" ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। "तैल" कर्म का प्रतीक है। "साँचा" भाग्य का प्रतीक है। भाषा: भाषा सरल और सुबोध है। शब्दों का चयन सटीक और प्रभावशाली है। लयRead more
काव्य-सौंदर्य:
अलंकार:
उपमा: “कर्म-तैल” और “विधि-दीप” की उपमा का प्रयोग करके कर्म और भाग्य के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
प्रतीक: “दीप” ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। “तैल” कर्म का प्रतीक है। “साँचा” भाग्य का प्रतीक है।
भाषा:
भाषा सरल और सुबोध है। शब्दों का चयन सटीक और प्रभावशाली है। लय और ताल का प्रयोग प्रभावशाली है।
भाव:
कर्म और भाग्य दोनों ही जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। कर्म के बिना भाग्य का कोई अर्थ नहीं है।
भाग्य के बिना कर्म भी व्यर्थ है।
संदेश:
कर्म पर विश्वास रखें और कठोर परिश्रम करें। भाग्य के प्रति भी सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।
भाग्यवादी वे लोग होते हैं जो मानते हैं कि जीवन में होने वाली हर घटना पूर्वनिर्धारित होती है और मनुष्य का उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। उनका मानना है कि जो होना है वो होकर ही रहेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास क्यों न करें। भले ही कुछ घटनाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हों, फिर भी हमारे पास हर परिस्थिति में अRead more
भाग्यवादी वे लोग होते हैं जो मानते हैं कि जीवन में होने वाली हर घटना पूर्वनिर्धारित होती है और मनुष्य का उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। उनका मानना है कि जो होना है वो होकर ही रहेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास क्यों न करें। भले ही कुछ घटनाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हों, फिर भी हमारे पास हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता है।
हम अपने कर्मों से अपनी किस्मत बदल सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, हमें भाग्य पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखते हुए कर्म करते रहना चाहिए।
देश के विविध धर्मों/संप्रदायों के बीच पारस्परिक एकता का महत्त्व समझाइए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
विविधता एक देश की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर होती है, जिसमें धार्मिक विभिन्नता एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत जैसे देश में विविध धर्मों और संप्रदायों का समृद्ध सम्बंध है। इस प्रकार की धार्मिक विविधता में पारस्परिक एकता का महत्व होता है क्योंकि यह लोगों को साझा एकता और समरसता की ओर ले जाता है। सामर्थ्यRead more
विविधता एक देश की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर होती है, जिसमें धार्मिक विभिन्नता एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारत जैसे देश में विविध धर्मों और संप्रदायों का समृद्ध सम्बंध है। इस प्रकार की धार्मिक विविधता में पारस्परिक एकता का महत्व होता है क्योंकि यह लोगों को साझा एकता और समरसता की ओर ले जाता है।
See lessसामर्थ्य और समृद्धि: धार्मिक विविधता से एकता की स्थापना होती है, जो सामर्थ्य और समृद्धि की बुनियाद बनती है। विभिन्न समुदायों का साथ मिलकर काम करने से उन्हें समृद्धि की दिशा में अधिक प्रासंगिक समाधान मिलता है।
सामाजिक अद्यतन: धार्मिक विविधता के माध्यम से, लोग एक-दूसरे के साथ विचार और विचारों को समझने का अवसर प्राप्त करते हैं। यह सामाजिक अद्यतन को प्रोत्साहित करता है और समुदायों के बीच समझदारी और साझेदारी को बढ़ावा देता है।
सद्भावना और सहयोग: धार्मिक विविधता में पारस्परिक समरसता की भावना भी उत्पन्न होती है। लोग अपने धार्मिक मूल्यों के आधार पर एक-दूसरे के साथ सम्मान, सहयोग और सहानुभूति के भाव को स्थापित करते हैं।
समृद्ध सांस्कृतिक विविधता: धार्मिक विविधता सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विभिन्न धार्मिक समुदायों की रीति-रिवाज, भोजन, उत्सव, और अन्य सांस्कृतिक परंपराओं को समृद्ध करता है।
इन सभी कारणों से, धार्मिक विविधता के बावजूद पारस्परिक एकता का महत्त्व है। यह एक राष्ट्र को समृद्ध, सशक्त और समरस बनाता है और समाज को एक संघर्ष और विवादमुक्त भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाता है।
कवि देशवासियों को क्या आत्मबोध कराना चाहता है? क्या देश के प्रति हमारे भी कुछ कर्तव्य हैं? उल्लेख कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
कवि देशवासियों को यह आत्मबोध कराना चाहता है कि वे एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, और उनका देश उनसे कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा करता है। कवि देशवासियों को एकता, बंधुत्व और राष्ट्रप्रेम का संदेश देता है। वह उनसे आह्वान करता है कि वे देश के विकास और समृद्धि में योगदान दें। देश के प्रति हमारे कर्तव्य: राष्टRead more
कवि देशवासियों को यह आत्मबोध कराना चाहता है कि वे एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, और उनका देश उनसे कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा करता है। कवि देशवासियों को एकता, बंधुत्व और राष्ट्रप्रेम का संदेश देता है। वह उनसे आह्वान करता है कि वे देश के विकास और समृद्धि में योगदान दें।
See lessदेश के प्रति हमारे कर्तव्य:
राष्ट्रप्रेम: हमें अपने देश से प्रेम करना चाहिए और उसकी सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता: हमें जाति, धर्म, भाषा, और क्षेत्रीय भिन्नताओं से ऊपर उठकर देश की एकता बनाए रखनी चाहिए।
संविधान का पालन: हमें देश के संविधान का पालन करना चाहिए और उसके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए।
कानून का पालन: हमें देश के कानूनों का पालन करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा: हमें राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करनी चाहिए और उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
करों का भुगतान: हमें समय पर करों का भुगतान करना चाहिए।
मतदान: हमें चुनावों में मतदान कर अपना लोकतांत्रिक अधिकार निभाना चाहिए।
सामाजिक सद्भाव: हमें समाज में भाईचारा और सद्भाव बनाए रखने में योगदान देना चाहिए।
स्वच्छता: हमें अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
शिक्षा: हमें शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और दूसरों को भी शिक्षित करने में मदद करनी चाहिए।
सांस्कृतिक विरासत: हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट दीजिए- पर कर्म-तैल बिना कभी विधि-दीप जल सकता नहीं, है दैव क्या? साँचे बिना कुछ आप ढल सकता नहीं।। NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
काव्य-सौंदर्य: अलंकार: उपमा: "कर्म-तैल" और "विधि-दीप" की उपमा का प्रयोग करके कर्म और भाग्य के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से समझाया गया है। प्रतीक: "दीप" ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। "तैल" कर्म का प्रतीक है। "साँचा" भाग्य का प्रतीक है। भाषा: भाषा सरल और सुबोध है। शब्दों का चयन सटीक और प्रभावशाली है। लयRead more
काव्य-सौंदर्य:
See lessअलंकार:
उपमा: “कर्म-तैल” और “विधि-दीप” की उपमा का प्रयोग करके कर्म और भाग्य के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
प्रतीक: “दीप” ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। “तैल” कर्म का प्रतीक है। “साँचा” भाग्य का प्रतीक है।
भाषा:
भाषा सरल और सुबोध है। शब्दों का चयन सटीक और प्रभावशाली है। लय और ताल का प्रयोग प्रभावशाली है।
भाव:
कर्म और भाग्य दोनों ही जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। कर्म के बिना भाग्य का कोई अर्थ नहीं है।
भाग्य के बिना कर्म भी व्यर्थ है।
संदेश:
कर्म पर विश्वास रखें और कठोर परिश्रम करें। भाग्य के प्रति भी सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।
भाग्यवादी किसे कहते हैं? क्या मनुष्य को भाग्य के सहारे ही आगे बढ़ना चाहिए? NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
भाग्यवादी वे लोग होते हैं जो मानते हैं कि जीवन में होने वाली हर घटना पूर्वनिर्धारित होती है और मनुष्य का उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। उनका मानना है कि जो होना है वो होकर ही रहेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास क्यों न करें। भले ही कुछ घटनाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हों, फिर भी हमारे पास हर परिस्थिति में अRead more
भाग्यवादी वे लोग होते हैं जो मानते हैं कि जीवन में होने वाली हर घटना पूर्वनिर्धारित होती है और मनुष्य का उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। उनका मानना है कि जो होना है वो होकर ही रहेगा, चाहे हम कितना भी प्रयास क्यों न करें। भले ही कुछ घटनाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हों, फिर भी हमारे पास हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता है।
See lessहम अपने कर्मों से अपनी किस्मत बदल सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, हमें भाग्य पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखते हुए कर्म करते रहना चाहिए।
सुख-शांतिमय उद्देश्य क्या है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 4
(क) सुख-शांतिमय उद्देश्य आज़ादी और खुशहाली है।
(क) सुख-शांतिमय उद्देश्य आज़ादी और खुशहाली है।
See less