1. कल्पना करो कि √3 + √5 एक परिमेय संख्या है । अतः, माना √3 + √5 = p/q, जहां pऔर q धनात्मक पूर्णांक हैं और q का मान शून्य नहीं है। p और q के बीच कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है । दोनों ओर वर्ग करने पर 3 + 5 + 2√15 = p^2/q^2 इसलिए, √15 = [(p^2/q^2) - 8]/2 p और q पूर्णांक हैं, इसलिए RHS एक परिमेय संख्याRead more

    कल्पना करो कि √3 + √5 एक परिमेय संख्या है ।
    अतः, माना √3 + √5 = p/q, जहां pऔर q धनात्मक पूर्णांक हैं और q का मान शून्य नहीं है। p और q के बीच कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है ।
    दोनों ओर वर्ग करने पर
    3 + 5 + 2√15 = p^2/q^2
    इसलिए, √15 = [(p^2/q^2) – 8]/2
    p और q पूर्णांक हैं, इसलिए RHS एक परिमेय संख्या है । अतः, LHS = √15 भी एक परिमेय सख्या होगी ।
    परंतु हम जानते हैं कि √15 एक अपरिमेय संख्या है ।
    इस प्रकार हमारी कल्पना गलत है कि √3 + √5 एक परिमेय संखय है ।
    अतः, 3 + √5 एक अपरिमेय संख्या है ।

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