कल्पना चावला को घर के लोगों ने एरोनॉटिकल इन्जीनियरिंग पढ़ने से मना किया और दोस्तों ने भी उसका मजाक उड़ाया इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: लैंगिक रूढ़िवादिता: उस समय, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता था। सामाजिक दबाव: परिवार या समुदाय के सदस्यों ने उन्हेRead more
कल्पना चावला को घर के लोगों ने एरोनॉटिकल इन्जीनियरिंग पढ़ने से मना किया और दोस्तों ने भी उसका मजाक उड़ाया इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
लैंगिक रूढ़िवादिता: उस समय, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता था।
सामाजिक दबाव: परिवार या समुदाय के सदस्यों ने उन्हें पारंपरिक करियर मार्गों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया होगा।
अवसरों की कमी: उस समय, महिलाओं के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित हो सकते थे।
कल्पना चावला न केवल भारतीय महिलाओं के लिए, बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हम अपने सपनों को प्राप्त कर सकते हैं, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम साहसी बनें, कड़ी मेहनत करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहें।
बचेंद्री पाल की कहानी प्रेरणादायक है। सिलाई करके अपनी पढ़ाई जारी रखना उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि मेरे सामने भी ऐसी ही कोई आर्थिक या पारिवारिक समस्या आती, तो मैं निम्नलिखित तरीकों से समाधान ढूंढने का प्रयास करूँगा। 1. समस्या का आकलन: सबसे पहले, मैं समस्या का गहन विश्लेषण करूँगा। इसमRead more
बचेंद्री पाल की कहानी प्रेरणादायक है। सिलाई करके अपनी पढ़ाई जारी रखना उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि मेरे सामने भी ऐसी ही कोई आर्थिक या पारिवारिक समस्या आती, तो मैं निम्नलिखित तरीकों से समाधान ढूंढने का प्रयास करूँगा।
1. समस्या का आकलन: सबसे पहले, मैं समस्या का गहन विश्लेषण करूँगा। इसमें यह समझना शामिल होगा कि समस्या की जड़ क्या है, इसके क्या प्रभाव हैं, और इसे हल करने के लिए मेरे पास कौन से संसाधन उपलब्ध हैं।
2. संभावित समाधानों की सूची बनाना: एक बार जब मैं समस्या को अच्छी तरह से समझ लूंगा, तो मैं संभावित समाधानों की एक सूची बनाऊंगा। इसमें रचनात्मक और गैर-पारंपरिक समाधानों पर विचार करना भी शामिल होगा।
3. योजना बनाना और कार्यान्वयन: मैं चुने हुए समाधान को लागू करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाऊँगा। इसमें कार्यों का टूटना, समयसीमा निर्धारित करना और संसाधनों का आवंटन करना शामिल होगा।
4. सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना: मैं चुनौतियों का सामना करते हुए भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने का प्रयास करूँगा।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर समस्या का समाधान होता है। बचेंद्री पाल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और रचनात्मक सोच के माध्यम से, हम अपनी सबसे बड़ी बाधाओं को भी पार कर सकते हैं।
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
उदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद "अदृश्य दीवारों" के बारे में सोचता रहा। अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।Read more
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद “अदृश्य दीवारों” के बारे में सोचता रहा।
अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।
अज्ञानता और अंधविश्वास की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को अंधविश्वासों और रूढ़ियों में जकड़ रखा था। मदर टेरेसा ने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का प्रयास किया।
असहायता और निराशा की दीवारें: इन दीवारों ने गरीबों, बीमारों और अन्य जरूरतमंदों को निराश और असहाय बना रखा था। मदर टेरेसा ने अपनी सेवा और करुणा के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का काम किया।
दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है:
मानवता का विकास: इन दीवारों को गिराकर हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहाँ सभी इंसान समान हों और प्रेम और सद्भाव का वातावरण हो।
समाजिक न्याय: इन दीवारों को गिराकर हम गरीबी, भेदभाव और अन्याय जैसी सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
वैश्विक शांति: इन दीवारों को गिराकर हम युद्ध, हिंसा और आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं को कम कर सकते हैं।
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि: उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीकRead more
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि:
उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीक किया, गरीबों को भोजन और आश्रय दिया और निराश लोगों को आशा दिल देकर उनका जीवन बदल दिया।
उनका प्रेम और करुणा: मदर मार्गरेट सभी के प्रति प्यार और करुणा से भरी थीं। वे हर व्यक्ति में अच्छाई देखती थीं और उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करती थीं। उनकी दया और प्रेम लोगों के दिलों को छू जाते थे।
उनका आध्यात्मिक प्रभाव: मदर मार्गरेट एक गहरी धार्मिक व्यक्ति थीं और उनके कार्यों में आध्यात्मिक शक्ति थी। वे लोगों को ईश्वर के प्रति प्रेरित करती थीं और उन्हें सच्चा सुख पाने का मार्ग दिखाती थीं।
बचेंद्री का पर्वतारोही बनने का संकल्प किस बात से मज़बूत हुआ? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
(ख) बचेंद्री का पर्वतारोही बनने का संकल्प लड़की होने के कारण उपेक्षा से मज़बूत हुआ।
(ख) बचेंद्री का पर्वतारोही बनने का संकल्प लड़की होने के कारण उपेक्षा से मज़बूत हुआ।
See lessकल्पना चावला को लोगों ने एरोनॉटिकल इन्जीनियरिंग पढ़ने से क्यों मना किया? अगर आपके जीवन में ऐसी परिस्थिति आए, तो आप कल्पना चावला के जीवन से क्या प्रेरणा लेंगे? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
कल्पना चावला को घर के लोगों ने एरोनॉटिकल इन्जीनियरिंग पढ़ने से मना किया और दोस्तों ने भी उसका मजाक उड़ाया इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: लैंगिक रूढ़िवादिता: उस समय, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता था। सामाजिक दबाव: परिवार या समुदाय के सदस्यों ने उन्हेRead more
कल्पना चावला को घर के लोगों ने एरोनॉटिकल इन्जीनियरिंग पढ़ने से मना किया और दोस्तों ने भी उसका मजाक उड़ाया इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
See lessलैंगिक रूढ़िवादिता: उस समय, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को पुरुषों के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता था।
सामाजिक दबाव: परिवार या समुदाय के सदस्यों ने उन्हें पारंपरिक करियर मार्गों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया होगा।
अवसरों की कमी: उस समय, महिलाओं के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित हो सकते थे।
कल्पना चावला न केवल भारतीय महिलाओं के लिए, बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हम अपने सपनों को प्राप्त कर सकते हैं, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम साहसी बनें, कड़ी मेहनत करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहें।
बचेंद्री पाल ने सिलाई करके पढ़ाई जारी रखी। यदि आपके सामने भी इसी तरह की कोई आर्थिक या पारिवारिक समस्या आए, तो आप उसका हल किस प्रकार निकालेंगे? लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
बचेंद्री पाल की कहानी प्रेरणादायक है। सिलाई करके अपनी पढ़ाई जारी रखना उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि मेरे सामने भी ऐसी ही कोई आर्थिक या पारिवारिक समस्या आती, तो मैं निम्नलिखित तरीकों से समाधान ढूंढने का प्रयास करूँगा। 1. समस्या का आकलन: सबसे पहले, मैं समस्या का गहन विश्लेषण करूँगा। इसमRead more
बचेंद्री पाल की कहानी प्रेरणादायक है। सिलाई करके अपनी पढ़ाई जारी रखना उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि मेरे सामने भी ऐसी ही कोई आर्थिक या पारिवारिक समस्या आती, तो मैं निम्नलिखित तरीकों से समाधान ढूंढने का प्रयास करूँगा।
See less1. समस्या का आकलन: सबसे पहले, मैं समस्या का गहन विश्लेषण करूँगा। इसमें यह समझना शामिल होगा कि समस्या की जड़ क्या है, इसके क्या प्रभाव हैं, और इसे हल करने के लिए मेरे पास कौन से संसाधन उपलब्ध हैं।
2. संभावित समाधानों की सूची बनाना: एक बार जब मैं समस्या को अच्छी तरह से समझ लूंगा, तो मैं संभावित समाधानों की एक सूची बनाऊंगा। इसमें रचनात्मक और गैर-पारंपरिक समाधानों पर विचार करना भी शामिल होगा।
3. योजना बनाना और कार्यान्वयन: मैं चुने हुए समाधान को लागू करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाऊँगा। इसमें कार्यों का टूटना, समयसीमा निर्धारित करना और संसाधनों का आवंटन करना शामिल होगा।
4. सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना: मैं चुनौतियों का सामना करते हुए भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने का प्रयास करूँगा।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर समस्या का समाधान होता है। बचेंद्री पाल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और रचनात्मक सोच के माध्यम से, हम अपनी सबसे बड़ी बाधाओं को भी पार कर सकते हैं।
फ़ीचर किसे कहते हैं? भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ एक फ़ीचर है। सिद्ध कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वालRead more
‘फ़ीचर’ पत्रकारिता जगत की महत्त्वपूर्ण विधा है, जिसमें समसामयिक पकड़ को प्रधानता दी जाती है। यही कारण है कि इसको ‘समाचारात्मक निबंध’ की संज्ञा दी जा सकती है। विषय प्रस्तुति ही फ़ीचर को शक्ति देता है। यह किसी पाठक के लिए शिक्षक, पथ-प्रदर्शक का काम करता है। इसकी भाषा सहज, सरल और सभी को समझ में आने वाली होती है।
See lessउदाहरण के लिए, कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी, तो
अखबारों में यह खबर छपी कि एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना कौन है, वह अंतरिक्ष में जाने का साहस कैसे जुटा पाई, उसकी इस बहादुरी ने समाज को किस प्रकार से प्रभावित किया? इन बातों को सरल भाषा और मनोरंजक शैली में बताया जाए, तो वह फ़ीचर होगा।
इस पाठ का शीर्षक आपको उचित लगता है या नहीं? यदि उचित लगता है तो क्यों? NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है। भारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससRead more
इस पाठ का शीर्षक ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ उचित लगता है क्योंकि जिन महिलाओं का वर्णन किया गया है उन्होंने अपने आत्मविश्वास, लगन, साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर सराहनीय और अनुकरणीय स्थान प्राप्त किया है।
See lessभारत की बेटियों ने अपने आत्मविश्वास, संकल्प और परिश्रम से ऐसी उपलब्धिायाँ हासिल की हैं, जिससे भारत को पूरे संसार में सिर उठाने का मौका मिला है। नारियों में अदम्य शक्ति छिपी है। उन्हें उपयुक्त अवसर मिलना चाहिए। कल्पना चावला, बचेंद्री पाल जैसी बहादुर बेटियों की जीवन-कथाएँ सभी को प्रेरित करेंगी।
कल्पना चावला और बचेंद्री पाल अपने विषय में सोच-समझकर स्वयं फ़ैसला लेने वाली, साहसी, दृढ़ निश्चयी, आत्म-विश्वासी महिलाएं हैं, इसीलिए वे आज इस रूप में याद की जाती हैं। इसी तरह की किसी एक महिला पर एक फ़ीचर लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहRead more
इसी तरह का एक चरित्र है भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी। द्रौपदी मुर्मू भारत गणराज्य की राष्ट्रपति हैं। वे पूर्व में ओडिशा सरकार में मंत्री और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। ओडिशा के जनजाति-बहुल जिले मयूरभंज के एक सुदूर गांव में एक जनजातीय परिवार में जन्मी द्रौपदी राजनीति में आने से पहले एक सामान्य क्लर्क और शिक्षिका के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया।
See lessआज भी हमारे समाज के कुछ हिस्सों में लड़के और लड़की में भेद किया जाता है, क्या आपकी दृष्टि में यह उचित है-तर्कसहित लिखिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक मेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं: समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों कोRead more
लड़के और लड़की में भेदभाव: अनुचित और हानिकारक
See lessमेरी दृष्टि में, लड़के और लड़की में भेदभाव करना पूरी तरह से अनुचित और हानिकारक है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
यहाँ कुछ तर्क दिए गए हैं जो मेरी बात का समर्थन करते हैं:
समानता का अधिकार: भारत का संविधान सभी नागरिकों को, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां, समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लिंग के आधार पर भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
अन्याय: लड़के और लड़कियां दोनों ही मनुष्य हैं और उनमें समान क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं। किसी भी लिंग को कमतर समझना और उसे अवसरों से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
विकास में बाधा: लिंग भेदभाव समाज के समग्र विकास में बाधा डालता है। जब लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों से वंचित रखा जाता है, तो वे अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती हैं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित होता है, बल्कि पूरे समाज का भी नुकसान होता है।
हिंसा और उत्पीड़न: लिंग भेदभाव अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का कारण बनता है। लड़कियों को यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक बुराइयां: लिंग भेदभाव दहेज प्रथा, बाल विवाह और नरसंहार जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।
निष्कर्ष: लड़के और लड़की में भेदभाव एक पुरानी और हानिकारक प्रथा है। हमें इसे समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। शिक्षा, जागरूकता और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों को समान अवसर और सम्मान मिले।
कल्पना की दुखद मृत्यु के पश्चात् भारत के प्रधानमंत्री ने विशेष घोषणा की कि- NIOS Class 10 Hindi Chapter 6
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरRead more
कल्पना चावला की दुखद मृत्यु के पश्चात्, भारत के प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों को देश के लिए गौरव बताया। उन्होंने घोषणा की कि कल्पना चावला की स्मृति में विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल की जाएगी। इसके साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान में युवाओं को प्रेरित करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि उनकी तरह और भी भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान दे सकें।
See lessलेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद किस प्रकार की दीवारों के बारे में सोचता रहा? आपकी दृष्टि में इन दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है? NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद "अदृश्य दीवारों" के बारे में सोचता रहा। अंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।Read more
लेखक मदर टेरेसा के जाने के बाद “अदृश्य दीवारों” के बारे में सोचता रहा।
See lessअंतर्द्वंद्व और पूर्वाग्रहों की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को धर्म, जाति, राष्ट्रीयता और अन्य भेदभावों के आधार पर बांट रखा था। मदर टेरेसा ने इन दीवारों को गिराने का काम किया और सभी इंसानों के बीच प्रेम और समानता का संदेश दिया।
अज्ञानता और अंधविश्वास की दीवारें: इन दीवारों ने लोगों को अंधविश्वासों और रूढ़ियों में जकड़ रखा था। मदर टेरेसा ने शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का प्रयास किया।
असहायता और निराशा की दीवारें: इन दीवारों ने गरीबों, बीमारों और अन्य जरूरतमंदों को निराश और असहाय बना रखा था। मदर टेरेसा ने अपनी सेवा और करुणा के माध्यम से इन दीवारों को गिराने का काम किया।
दीवारों को गिराना क्यों ज़रूरी है:
मानवता का विकास: इन दीवारों को गिराकर हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहाँ सभी इंसान समान हों और प्रेम और सद्भाव का वातावरण हो।
समाजिक न्याय: इन दीवारों को गिराकर हम गरीबी, भेदभाव और अन्याय जैसी सामाजिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
वैश्विक शांति: इन दीवारों को गिराकर हम युद्ध, हिंसा और आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं को कम कर सकते हैं।
मदर मार्गरेट का जादू किसे कहा गया है? स्पष्ट कीजिए। NIOS Class 10 Hindi Chapter 5
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि: उनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीकRead more
मदर मार्गरेट का जादू मक्खियों जैसा जीवन बिताने वाले लोगों को वास्तविक मनुष्य बनाने का जादू है। क्योंकि:
See lessउनके कामों का अद्भुत प्रभाव: मदर मार्गरेट ने गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके कामों का लोगों के जीवन पर अद्भुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अनेकों बीमारों को ठीक किया, गरीबों को भोजन और आश्रय दिया और निराश लोगों को आशा दिल देकर उनका जीवन बदल दिया।
उनका प्रेम और करुणा: मदर मार्गरेट सभी के प्रति प्यार और करुणा से भरी थीं। वे हर व्यक्ति में अच्छाई देखती थीं और उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करती थीं। उनकी दया और प्रेम लोगों के दिलों को छू जाते थे।
उनका आध्यात्मिक प्रभाव: मदर मार्गरेट एक गहरी धार्मिक व्यक्ति थीं और उनके कार्यों में आध्यात्मिक शक्ति थी। वे लोगों को ईश्वर के प्रति प्रेरित करती थीं और उन्हें सच्चा सुख पाने का मार्ग दिखाती थीं।