वैदिकोत्तर युग (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) में लोगों की मुख्य आजीविका कृषि थी। इसके अलावा, पशुपालन, शिल्प, व्यापार और सेवा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण आजीविका के साधन थे।
वैदिकोत्तर युग (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) में लोगों की मुख्य आजीविका कृषि थी। इसके अलावा, पशुपालन, शिल्प, व्यापार और सेवा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण आजीविका के साधन थे।
यूनान के दो महत्वपूर्ण नगर-राज्यों के नाम: 1. एथेंस: लोकतंत्र और पश्चिमी दर्शन, कला और साहित्य का जन्मस्थान। यह अपनी शक्तिशाली नौसेना और कलात्मक उपलब्धियों के लिए जाना जाता था। 2. स्पार्टा: एक शक्तिशाली सैन्य राज्य, जो अपनी सैन्य कौशल और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था। स्पार्टा में एक अद्वितीय सामाजिक वRead more
यूनान के दो महत्वपूर्ण नगर-राज्यों के नाम:
1. एथेंस: लोकतंत्र और पश्चिमी दर्शन, कला और साहित्य का जन्मस्थान। यह अपनी शक्तिशाली नौसेना और कलात्मक उपलब्धियों के लिए जाना जाता था।
2. स्पार्टा: एक शक्तिशाली सैन्य राज्य, जो अपनी सैन्य कौशल और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था। स्पार्टा में एक अद्वितीय सामाजिक व्यवस्था थी जिसमें नागरिकों को सैनिक बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।
(क) फारस के राजा साइरस ने वर्ष ... 550 ईसा पूर्व .... में पारसियों को एकीकृत किया। (ख) वैदिक युग में आर्य समाज में स्त्रिायों का ... सम्मान... किया जाता था। (ग) ग्राम तथा विश के प्रमुख को क्रमशः ..... मुखिया.... और ..... विशपति.... कहा जाता था।
(क) फारस के राजा साइरस ने वर्ष … 550 ईसा पूर्व …. में पारसियों को एकीकृत किया।
(ख) वैदिक युग में आर्य समाज में स्त्रिायों का … सम्मान… किया जाता था।
(ग) ग्राम तथा विश के प्रमुख को क्रमशः ….. मुखिया…. और ….. विशपति…. कहा जाता था।
वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म थे: 1. जैन धर्म - जैन धर्म में अहिंसा और अनेकांतवाद को महत्व दिया गया है, जो वैदिक कर्मकांडों और यज्ञों के विरुद्ध था। 2. बौद्ध धर्म - बौद्ध धर्म ने भी वैदिक यज्ञों और कर्मकांडों का प्रतिकूल दृष्टिकोण रखा और उन्हें नकारा।
वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म थे:
1. जैन धर्म – जैन धर्म में अहिंसा और अनेकांतवाद को महत्व दिया गया है, जो वैदिक कर्मकांडों और यज्ञों के विरुद्ध था।
2. बौद्ध धर्म – बौद्ध धर्म ने भी वैदिक यज्ञों और कर्मकांडों का प्रतिकूल दृष्टिकोण रखा और उन्हें नकारा।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। उनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। उनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, और वे शाक्य वंश के राजकुमार थे। गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया और कठोर तपस्या के बाद ज्ञान (बोधि) प्राप्त किया। इसके बाद वे "बुद्ध" कहलाए, जिRead more
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। उनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। उनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, और वे शाक्य वंश के राजकुमार थे।
गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया और कठोर तपस्या के बाद ज्ञान (बोधि) प्राप्त किया। इसके बाद वे “बुद्ध” कहलाए, जिसका अर्थ है “जाग्रत” या “ज्ञान प्राप्त करने वाला।”
उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया, जो बौद्ध धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं।
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया। हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लRead more
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया।
हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लोकप्रिय बनाया।
महावीर का जन्म वैशाली के पास कुंडलपुर (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। उनका मूल नाम वर्धमान था। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों को महत्व दिया और इन्हें जीवन का मार्गदर्शक बनाया।
महावीर से पहले, जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भी महत्वपूर्ण थे, जिनके उपदेशों को महावीर ने और विकसित किया।
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया। हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लRead more
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया।
हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लोकप्रिय बनाया।
महावीर का जन्म वैशाली के पास कुंडलपुर (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। उनका मूल नाम वर्धमान था। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों को महत्व दिया और इन्हें जीवन का मार्गदर्शक बनाया।
महावीर से पहले, जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भी महत्वपूर्ण थे, जिनके उपदेशों को महावीर ने और विकसित किया।
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन थे। लोहे के औजारों के उपयोग से खेती में सुधार हुआ, और धान, जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती व्यापक रूप से की गई। सिंचाई के साधनों का विकास भी इस काल में हुआ। पशुपालन में गाय, बैल, घोड़े, और बकरियों का पालन महत्वपूर्ण था। गाय को धन औरRead more
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन थे। लोहे के औजारों के उपयोग से खेती में सुधार हुआ, और धान, जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती व्यापक रूप से की गई। सिंचाई के साधनों का विकास भी इस काल में हुआ।
पशुपालन में गाय, बैल, घोड़े, और बकरियों का पालन महत्वपूर्ण था। गाय को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।
व्यापार और वस्तु-विनिमय प्रणाली का विकास हुआ, जिसमें धातुओं, कपड़ों और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। समुद्री और स्थल व्यापार का विस्तार हुआ।
शिल्पकारी और धातुकर्म जैसे कार्य भी उन्नत हुए, जिनमें लोहे, तांबे और सोने का प्रयोग बढ़ा।
धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों ने ब्राह्मण वर्ग को प्रभावशाली बनाया। युद्ध और सुरक्षा के कारण क्षत्रिय वर्ग का महत्व बढ़ा। इस प्रकार कृषि, पशुपालन, और अन्य शिल्प इस काल के मुख्य व्यवसाय थे।
अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया। युद्ध की विनाशकारी प्रकृति से विचलित होकर, अशोक ने हिंसा और रक्तपात त्याग दिया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं के उपदेशों को अपनाया और शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया। युद्ध की विनाशकारी प्रकृति से विचलित होकर, अशोक ने हिंसा और रक्तपात त्याग दिया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं के उपदेशों को अपनाया और शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
वैदिकोत्तर युग में लोगों की मुख्य आजीविका क्या थी? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
वैदिकोत्तर युग (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) में लोगों की मुख्य आजीविका कृषि थी। इसके अलावा, पशुपालन, शिल्प, व्यापार और सेवा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण आजीविका के साधन थे।
वैदिकोत्तर युग (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) में लोगों की मुख्य आजीविका कृषि थी। इसके अलावा, पशुपालन, शिल्प, व्यापार और सेवा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण आजीविका के साधन थे।
See lessयूनान के दो महत्वपूर्ण नगर-राज्यों के नाम लिखिए। NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
यूनान के दो महत्वपूर्ण नगर-राज्यों के नाम: 1. एथेंस: लोकतंत्र और पश्चिमी दर्शन, कला और साहित्य का जन्मस्थान। यह अपनी शक्तिशाली नौसेना और कलात्मक उपलब्धियों के लिए जाना जाता था। 2. स्पार्टा: एक शक्तिशाली सैन्य राज्य, जो अपनी सैन्य कौशल और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था। स्पार्टा में एक अद्वितीय सामाजिक वRead more
यूनान के दो महत्वपूर्ण नगर-राज्यों के नाम:
See less1. एथेंस: लोकतंत्र और पश्चिमी दर्शन, कला और साहित्य का जन्मस्थान। यह अपनी शक्तिशाली नौसेना और कलात्मक उपलब्धियों के लिए जाना जाता था।
2. स्पार्टा: एक शक्तिशाली सैन्य राज्य, जो अपनी सैन्य कौशल और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था। स्पार्टा में एक अद्वितीय सामाजिक व्यवस्था थी जिसमें नागरिकों को सैनिक बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।
रोम किस नदी के तट पर बसा है। NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
रोम टाइबर नदी के तट पर बसा हुआ है। यह नदी इटली की सबसे लंबी नदी है और रोम शहर के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रोम टाइबर नदी के तट पर बसा हुआ है। यह नदी इटली की सबसे लंबी नदी है और रोम शहर के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
See lessनिम्नलिखित कथनों में खाली स्थान भरिएः (क) फारस के राजा साइरस ने वर्ष …………….. में पारसियों को एकीकृत किया। (ख) वैदिक युग में आर्य समाज में स्त्रियों का ………….. किया जाता था। (ग) ग्राम तथा विश के प्रमुख को क्रमशः ………….. और …………….. कहा जाता था।
(क) फारस के राजा साइरस ने वर्ष ... 550 ईसा पूर्व .... में पारसियों को एकीकृत किया। (ख) वैदिक युग में आर्य समाज में स्त्रिायों का ... सम्मान... किया जाता था। (ग) ग्राम तथा विश के प्रमुख को क्रमशः ..... मुखिया.... और ..... विशपति.... कहा जाता था।
(क) फारस के राजा साइरस ने वर्ष … 550 ईसा पूर्व …. में पारसियों को एकीकृत किया।
See less(ख) वैदिक युग में आर्य समाज में स्त्रिायों का … सम्मान… किया जाता था।
(ग) ग्राम तथा विश के प्रमुख को क्रमशः ….. मुखिया…. और ….. विशपति…. कहा जाता था।
वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म कौन से थे? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म थे: 1. जैन धर्म - जैन धर्म में अहिंसा और अनेकांतवाद को महत्व दिया गया है, जो वैदिक कर्मकांडों और यज्ञों के विरुद्ध था। 2. बौद्ध धर्म - बौद्ध धर्म ने भी वैदिक यज्ञों और कर्मकांडों का प्रतिकूल दृष्टिकोण रखा और उन्हें नकारा।
वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म थे:
See less1. जैन धर्म – जैन धर्म में अहिंसा और अनेकांतवाद को महत्व दिया गया है, जो वैदिक कर्मकांडों और यज्ञों के विरुद्ध था।
2. बौद्ध धर्म – बौद्ध धर्म ने भी वैदिक यज्ञों और कर्मकांडों का प्रतिकूल दृष्टिकोण रखा और उन्हें नकारा।
बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। उनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। उनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, और वे शाक्य वंश के राजकुमार थे। गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया और कठोर तपस्या के बाद ज्ञान (बोधि) प्राप्त किया। इसके बाद वे "बुद्ध" कहलाए, जिRead more
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। उनका जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। उनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, और वे शाक्य वंश के राजकुमार थे।
गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज में अपना राजसी जीवन त्याग दिया और कठोर तपस्या के बाद ज्ञान (बोधि) प्राप्त किया। इसके बाद वे “बुद्ध” कहलाए, जिसका अर्थ है “जाग्रत” या “ज्ञान प्राप्त करने वाला।”
उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया, जो बौद्ध धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं।
See lessबौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया। हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लRead more
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया।
See lessहालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लोकप्रिय बनाया।
महावीर का जन्म वैशाली के पास कुंडलपुर (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। उनका मूल नाम वर्धमान था। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों को महत्व दिया और इन्हें जीवन का मार्गदर्शक बनाया।
महावीर से पहले, जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भी महत्वपूर्ण थे, जिनके उपदेशों को महावीर ने और विकसित किया।
जैन धर्म का संस्थापक किसे माना जाता है? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया। हालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लRead more
जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, क्योंकि यह एक प्राचीन धर्म है जो समय-समय पर विभिन्न तीर्थंकरों द्वारा विकसित और प्रचारित किया गया।
See lessहालाँकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व – 527 ईसा पूर्व) को अक्सर इसका संस्थापक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित और लोकप्रिय बनाया।
महावीर का जन्म वैशाली के पास कुंडलपुर (वर्तमान में बिहार) में हुआ था। उनका मूल नाम वर्धमान था। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों को महत्व दिया और इन्हें जीवन का मार्गदर्शक बनाया।
महावीर से पहले, जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भी महत्वपूर्ण थे, जिनके उपदेशों को महावीर ने और विकसित किया।
उत्तर वैदिक काल के लोगों के मुख्य व्यवसाय क्या थे? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन थे। लोहे के औजारों के उपयोग से खेती में सुधार हुआ, और धान, जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती व्यापक रूप से की गई। सिंचाई के साधनों का विकास भी इस काल में हुआ। पशुपालन में गाय, बैल, घोड़े, और बकरियों का पालन महत्वपूर्ण था। गाय को धन औरRead more
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन थे। लोहे के औजारों के उपयोग से खेती में सुधार हुआ, और धान, जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती व्यापक रूप से की गई। सिंचाई के साधनों का विकास भी इस काल में हुआ।
See lessपशुपालन में गाय, बैल, घोड़े, और बकरियों का पालन महत्वपूर्ण था। गाय को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।
व्यापार और वस्तु-विनिमय प्रणाली का विकास हुआ, जिसमें धातुओं, कपड़ों और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। समुद्री और स्थल व्यापार का विस्तार हुआ।
शिल्पकारी और धातुकर्म जैसे कार्य भी उन्नत हुए, जिनमें लोहे, तांबे और सोने का प्रयोग बढ़ा।
धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों ने ब्राह्मण वर्ग को प्रभावशाली बनाया। युद्ध और सुरक्षा के कारण क्षत्रिय वर्ग का महत्व बढ़ा। इस प्रकार कृषि, पशुपालन, और अन्य शिल्प इस काल के मुख्य व्यवसाय थे।
अशोक ने कलिंग यु़द्ध के बाद कौन सा धर्म अपनाया? NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया। युद्ध की विनाशकारी प्रकृति से विचलित होकर, अशोक ने हिंसा और रक्तपात त्याग दिया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं के उपदेशों को अपनाया और शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया। युद्ध की विनाशकारी प्रकृति से विचलित होकर, अशोक ने हिंसा और रक्तपात त्याग दिया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं के उपदेशों को अपनाया और शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
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