NIOS Class 10 Hindi Chapter 4 आह्वान
इस कविता में काव्य-सौंदर्य स्पष्ट रूप से कर्म और पुरुषार्थ की महत्ता को दर्शाने में निहित है। रूपक अलंकार का प्रयोग करते हुए कवि ने कर्म को “तेल” और भाग्य को “दीप” के रूप में प्रस्तुत किया है। भाव यह है कि बिना कर्मरूपी तेल के भाग्यरूपी दीप नहीं जल सकता। “साँचा” का प्रतीक यह बताता है कि बिना कर्म या प्रयास के कोई उपलब्धि अपने आप नहीं मिल सकती। कवि की भाषा सरल, प्रभावी और प्रेरणादायक है, जो पाठक को आत्म-निर्भरता का संदेश देती है।