इला सचानी, जिनके हाथ काम नहीं करते थे, ने अपने पैरों से काठियावाड़ कढ़ाई सीखी। परिवार के समर्थन और दृढ़ संकल्प से, उन्होंने राष्ट्रीय पहचान प्राप्त की। उनकी प्रेरणादायक यात्रा मेहनत, परिवार का सहयोग, और कला की शक्ति को दर्शाती है।
class 6 English Textbook Poorvi Unit 5 Chapter 3 question answer
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अध्याय “इला सचानी: अपने पैरों से सपनों की कढ़ाई” गुजरात की रहने वाली इला सचानी की प्रेरणादायक कहानी है, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से सफलता प्राप्त की। इला का जन्म एक ऐसी स्थिति के साथ हुआ था, जिसमें वे अपने हाथों का उपयोग नहीं कर सकती थीं। उनकी माँ और दादी ने उन्हें प्रोत्साहित किया और पारंपरिक काठियावाड़ कढ़ाई को पैरों से सीखने में मदद की। यह काम कठिन था, लेकिन इला ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया और अद्भुत कौशल के साथ इस कला में निपुण हो गईं।
इला की यात्रा कठिनाइयों से भरी थी, लेकिन उनके परिवार के समर्थन ने उन्हें न केवल कढ़ाई में, बल्कि दैनिक जीवन के अन्य कामों में भी पैरों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे, उनकी सुंदर कलाकृतियों को पहले परिवार और गाँव में और फिर राज्य स्तरीय प्रदर्शनियों में पहचान मिली। उनका काम इतना उत्कृष्ट था कि सरकार ने उनके कढ़ाई के नमूनों को राज्य की प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया, जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बना। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली और कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें राष्ट्रपति पदक भी शामिल है।
यह अध्याय बताता है कि इला ने किस तरह अपनी शारीरिक सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए परिवार के समर्थन और दृढ़ संकल्प के साथ सफलता हासिल की। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि मेहनत, समर्पण और सकारात्मक सोच से किसी भी चुनौती को जीत में बदला जा सकता है।
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