राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 13, सुखी राजकुमार
“सुखी राजकुमार का हृदय भट्टी में न गलने” का अभिप्राय है कि राजकुमार का दिल कठिन परिस्थितियों या जीवन की कठिनाइयों से प्रभावित नहीं होता। भट्टी में धातु गलने की प्रक्रिया में वह नरम और रूप बदलती है, जबकि राजकुमार का हृदय अपनी आंतरिक शक्ति, धैर्य और स्थिरता के कारण किसी भी कष्ट या संकट में नहीं बदलता। यह भाव व्यक्त करता है कि वह अपनी परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होता और अपने उद्देश्य में दृढ़ रहता है।
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(घ) सुखी राजकुमार का हृदय भट्टी में न गलने का अभिप्राय संवेदनाओं को स्वार्थ-सिद्धि का साधन न बनने देना है।