संज्ञा शब्द वे शब्द हैं, जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के लिए प्रयुक्त होते हैं। संज्ञा की विशेषता बताने वाले रूप को विशेषण कहते हैं। क्रिया से किसी कार्य को करने का या किसी स्थिति में होने का बोध होता है। कभी-कभी कार्य अथवा कार्य करने की रीति भी संज्ञा के विशेषण के रूप में होती है। निम्नलिखित में से किस विकल्प में कार्य करने की रीति संज्ञा के विशेषण के रूप में नहीं है-
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 14, बूढ़ी पृथ्वी का दुख
संज्ञा उस शब्द को कहते हैं जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भाव, गुण, अवस्था या कार्य के नाम को प्रकट करता है। यह वाक्य में मुख्य विषय को दर्शाने का कार्य करती है। जैसे, राम (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), पुस्तक (वस्तु), प्यार (भाव), सुंदरता (गुण), बाल्यावस्था (अवस्था) आदि। संज्ञा के माध्यम से हम किसी भी चीज़ की पहचान करते हैं और उसे नाम देकर व्यक्त करते हैं।
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(ग) “मौन समाधि के लिए बैठे पहाड़ का सीना” में कार्य करने की रीति संज्ञा के विशेषण के रूप में नहीं है। यहाँ “मौन समाधि” और “बैठे पहाड़ का सीना” विशेषण का कार्य नहीं कर रहे हैं।