NIOS Class 10 Hindi Chapter 3
एक बार मैंने एक घायल पक्षी को देखा, जो अपने पंखों के टूटने के कारण उड़ नहीं पा रहा था। वह चिड़िया एक पेड़ के नीचे बैठी थी, उसकी आँखों में दर्द और भय था। मैंने उसे पानी और भोजन दिया, लेकिन वह धीरे-धीरे कमजोर होती गई। अंततः, उसने मेरी उपस्थिति में अपनी अंतिम साँस ली। उस दृश्य ने मेरे मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उस चिड़िया की मासूमियत और उसकी संघर्षशीलता ने मुझे जीवन की नाजुकता का अहसास कराया। यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि उसने मुझे संवेदनशीलता और करुणा का महत्व सिखाया।
हमने एक कुत्ता पाला हुआ था जिसका नाम शेरू था यह एक भोटिया नस्ल का कुत्ता था। ऊँची कद काठी और रौबदार चेहरा जिसे देखकर आमतौर पर लोग डर जाते थे। स्वभाव से वह शांत था। घर में सभी लोग उससे बहुत प्यार करते थे तथा वह भी एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह सभी की बात मानता था। कुत्तों की उम्र लगभग आठ से दस वर्ष होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में 12 वर्ष तक जी लेते हैं। हमारा शेरू भी हमारे साथ ग्यारह साल तक रहा। जब उसका अंतिम समय आया तो दो दिन पहले ही उसने खाना पीना छोड़ दिया। एकदम शांत होकर अपने बिस्तर पर बैठ गया। दूसरे दिन दोपहर बाद उसने आँखे बंद की और फिर दुबारा नहीं खोली। उसकी विदाई से घर के सभी लोग दुखी थे। घर के पास की बगिया में नीम्बू के पेड़ के नीचे उसे दफनाया गया। बाद में भी नीम्बू के पेड़ और उसपर लगने वाले फल देखकर बरबस शेरू की याद आती है।