NIOS Class 10 Hindi Chapter 19
मिर्जा सज्जाद अली और मीर रोशन अली के चरित्र में कई विशेषताएँ हैं:
मिर्जा सज्जाद अली:
आत्मकेंद्रित: मिर्जा अपने खेल में इतना लिप्त है कि वह अपनी पत्नी की बीमारी और घरेलू जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर देता है।
विलासी: वह भोग-विलास में डूबा हुआ है, जिससे उसकी सामाजिक चेतना कमजोर होती है।
मीर रोशन अली:
सामाजिक बेपरवाह: मीर भी मिर्जा की तरह अपने व्यक्तिगत सुख में मग्न है और समाज की समस्याओं से अनजान है।
प्रतिस्पर्धात्मक: वह खेल में जीतने की लालसा रखता है, जो कभी-कभी उसे मिर्जा के साथ विवाद में डाल देती है।
दोनों पात्र सामंती व्यवस्था के प्रतीक हैं, जो अपने व्यक्तिगत संघर्षों में उलझकर बड़े सामाजिक मुद्दों से मुंह मोड़ लेते हैं।
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में मिरजा और मीर के चरित्रों का विश्लेषण करने पर उनकी कई विशेषताएँ सामने आती हैं जो उनके व्यक्तित्व और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं। इन दोनों पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के उच्चवर्गीय समाज की मानसिकता और उसकी कमियों को उजागर किया है। आइए, उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण करें:
मिरजा का चरित्र
आलसी और निष्क्रिय:
मिरजा अपने समय को शतरंज के खेल में व्यतीत करते हैं, जिससे उनकी आलसी और निष्क्रिय प्रवृत्ति स्पष्ट होती है। वे अपने जीवन में किसी भी प्रकार की सक्रियता या उत्पादकता की कमी महसूस नहीं करते।
स्वार्थी और आत्ममुग्ध:
मिरजा की स्वार्थपरता और आत्ममुग्धता उनकी जीवनशैली में दिखाई देती है। वे अपने आनंद और संतुष्टि को प्राथमिकता देते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपने परिवार या सामाजिक दायित्वों की उपेक्षा करनी पड़े।
अवास्तविकता में जीने वाले:
मिरजा अपने जीवन की वास्तविकताओं से दूर, शतरंज की काल्पनिक दुनिया में जीते हैं। वे वास्तविक जीवन की समस्याओं और चुनौतियों से भागते हैं और एक सुरक्षित, किंतु अवास्तविक, संसार में रहना पसंद करते हैं।
जिम्मेदारियों से भागने वाले:
मिरजा अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं। वे अपनी पत्नी और परिवार की जरूरतों को अनदेखा करते हैं और शतरंज के खेल में लगे रहते हैं।
मीर का चरित्र
समान रूप से आलसी:
मीर भी मिरजा की तरह आलसी और निष्क्रिय हैं। वे भी अपना अधिकांश समय शतरंज के खेल में बिताते हैं और जीवन में किसी भी प्रकार की सक्रियता या परिश्रम से बचते हैं।
समर्पित दोस्त:
मीर और मिरजा के बीच की मित्रता गहरी और सच्ची है। मीर अपने दोस्त मिरजा के प्रति समर्पित हैं और उनके साथ समय बिताना पसंद करते हैं। उनकी मित्रता में आत्मीयता और सहयोग की भावना है।
निष्क्रियता का प्रतीक:
मीर की निष्क्रियता और उदासीनता भी उनकी विशेषता है। वे भी अपने जीवन की वास्तविकताओं से भागते हैं और शतरंज के खेल में अपना समय बिताते हैं।
परिवार के प्रति उदासीन:
मीर भी अपने परिवार के प्रति उदासीन रहते हैं। उनकी पत्नी भी उनकी इस लापरवाही से परेशान रहती हैं, लेकिन मीर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
दोनों के चरित्र की समानताएँ
शतरंज की धुन:
दोनों पात्र शतरंज के खेल के प्रति दीवाने हैं। यह खेल उनके जीवन का मुख्य हिस्सा बन गया है, जिससे उनकी अन्य जिम्मेदारियाँ और आवश्यकताएँ पीछे छूट गई हैं।
विलासी जीवन:
मीर और मिरजा दोनों उच्चवर्गीय समाज के सदस्य हैं और एक विलासी जीवन जीते हैं। उनकी जीवनशैली में आराम और आनंद को प्राथमिकता दी जाती है।
राजनीतिक असंवेदनशीलता:
दोनों की राजनीतिक असंवेदनशीलता भी समान है। जब लखनऊ पर अंग्रेजों का आक्रमण होता है, तब भी वे अपने शतरंज के खेल में व्यस्त रहते हैं। इससे उनकी उदासीनता और वास्तविकता से दूर रहने की प्रवृत्ति का पता चलता है।