NIOS Class 10 Hindi Chapter 1
मधयवर्ग की एक सीमा यह होती है कि वह कुछ कार्य दिखाने के लिए करता है। उसे लगता है कि इससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। बहादुर को घर में नौकरी पर रखना इसका प्रमाण है। इस वर्ग के बहुत से लोग दूसरों के कहे या दबाव में आ जाते हैं। निर्मला और वाचक भी ऐसे ही पात्र हैं। निर्मला पड़ोस की स्त्राी के कहने पर बहादुर के लिए रोटियाँ बनाना छोड़ देती है और वाचक रिश्तेदार के कहने पर बहादुर पर चोरी का शक करता है, उसे मारता है।
‘बहादुर’ कहानी के आधार पर मध्यवर्गीय परिवार की कुछ प्रवृत्तियाँ:
1. सामाजिक प्रतिष्ठा की इच्छा:
कहानी में, वाचक और निर्मला एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने और समाज में उच्च दर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत चिंतित हैं। यह चिंता उन्हें नौकर रखने और दिखावे के लिए खर्च करने जैसी गलतियों के लिए प्रेरित करती है।
2. भौतिकवाद:
वाचक और निर्मला भौतिक चीजों को बहुत महत्व देते हैं। वे एक बड़ा घर, महंगे कपड़े और फर्नीचर चाहते हैं। यह भौतिकवाद उन्हें अपनी वास्तविक आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं से दूर ले जाता है।
3. सामाजिक दबाव के प्रति संवेदनशीलता:
वाचक और निर्मला समाज के दबाव और अपेक्षाओं से बहुत प्रभावित होते हैं। वे नौकर रखने और एक निश्चित जीवनशैली अपनाने जैसे निर्णय लेते हैं, भले ही वे उनके लिए सही न हों।
4. पारिवारिक मूल्यों का ह्रास:
कहानी में, पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों को कम महत्व दिया जाता है। वाचक और निर्मला अपने काम और सामाजिक जीवन में व्यस्त रहते हैं, जिसके कारण उनके बीच संवाद और समझ कम हो जाती है। वे अपने माता-पिता और बहादुर जैसी करीबी रिश्तों की उपेक्षा करते हैं।
5. स्त्री-पुरुष असमानता:
कहानी में, स्त्री-पुरुष भूमिकाओं को पारंपरिक रूप से दर्शाया गया है। निर्मला को घर के सभी काम करने और पति की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाती है। वाचक को बाहर काम करने और परिवार का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी दी जाती है। यह असमानता निर्मला पर बोझ डालती है और उसे कमजोर बनाती है।