NIOS Class 10 Social Science Chapter 1
प्राचीन भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था का आधार आयुर्वेद और योग पर था। आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा प्रणाली थी, जो प्राकृतिक उपचारों, औषधियों और जीवनशैली के सिद्धांतों पर आधारित थी। स्वास्थ्य देखभाल में निवारक उपायों को महत्व दिया जाता था, जैसे कि संतुलित आहार और नियमित व्यायाम। इसके अलावा, समाज में चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण थी, जो रोगों का उपचार करते थे। इस प्रकार, प्राचीन भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था समग्रता और संतुलन पर केंद्रित थी।
प्राचीन भारत के दो प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत थे।
चरक: इन्हें आयुर्वेद के प्रमुख आचार्यों में गिना जाता है। चरक ने “चरक संहिता” लिखी, जिसमें चिकित्सा, रोगों के निदान और औषधियों का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के लिए प्रसिद्ध है।
सुश्रुत: इन्हें शल्य चिकित्सा (Surgery) का जनक माना जाता है। उन्होंने “सुश्रुत संहिता” लिखी, जिसमें शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण, और प्लास्टिक सर्जरी का वर्णन है।
इन दोनों ने चिकित्सा क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया, जिससे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति का विकास हुआ।