NIOS Class 10 Hindi Chapter 14
पानी के प्रदूषण के प्रमुख कारणों में औद्योगिक कचरे का जल स्रोतों में निष्कासन, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अति प्रयोग, घरेलू मलजल का अव्यवस्थित निपटान, और प्लास्टिक कचरे का बढ़ता उपयोग शामिल है। तेल रिसाव और खनन गतिविधियां भी जल प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं। नदियों और झीलों में धार्मिक व सांस्कृतिक कचरे का विसर्जन, साथ ही वनस्पतियों की कटाई और शहरीकरण से जल स्रोतों का क्षरण होता है। ये सभी कारण जल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।
पानी के प्रदूषण के प्रमुख कारणों और उनके निदान पर टिप्पणी इस प्रकार है:
प्रदूषण के प्रमुख कारण:
औद्योगिक कचरा: कारखानों से निकलने वाले रसायन, धातु, और अन्य अपशिष्ट जल में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं।
कृषि अपशिष्ट: कीटनाशकों और उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग पानी में रासायनिक प्रदूषण फैलाता है।
घरेलू सीवेज: घरों से निकलने वाला अनुपचारित सीवेज जलस्रोतों में मिलकर उन्हें दूषित करता है।
प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट: नदियों, तालाबों, और महासागरों में प्लास्टिक और अन्य ठोस कचरे का जमाव पानी को प्रदूषित करता है।
तेल रिसाव: समुद्रों में तेल टैंकरों से होने वाला रिसाव समुद्री जीवन और जल को नुकसान पहुँचाता है।
निदान के उपाय:
उपचारित अपशिष्ट जल: औद्योगिक और घरेलू कचरे को जल में छोड़ने से पहले उपचारित करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रभावी जल उपचार संयंत्रों की स्थापना और संचालन आवश्यक है।
जैविक खेती: कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह जैविक तरीकों का उपयोग बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे जल में रासायनिक प्रदूषण कम होगा।
कचरा प्रबंधन: ठोस और प्लास्टिक कचरे का सही निपटान और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) सुनिश्चित करना चाहिए। इसके लिए कचरा प्रबंधन नीतियाँ और सार्वजनिक जागरूकता महत्वपूर्ण हैं।
प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण: नदियों, तालाबों, और अन्य जलस्रोतों के आसपास वृक्षारोपण और संरक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए ताकि उनमें प्रदूषण न हो।
सख्त कानून और नियम: पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कानून और नियम बनाए जाने चाहिए और उनका पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
जन जागरूकता: पानी की स्वच्छता और उसके महत्व के बारे में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए ताकि लोग पानी को प्रदूषित करने वाले कारकों के बारे में समझ सकें और उन्हें रोकने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करके हम पानी के प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं और जल संसाधनों का संरक्षण कर सकते हैं।