राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 8, चंद्रगहना से लौटती बेर
इस कविता में कवि ने परिवार और प्रकृति के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं और व्यक्तिगत अस्तित्व के प्रश्न को दर्शाया है।
भावार्थ:
कवि एक छोटे से आंगन का वर्णन करते हुए कहता है कि उसकी माँ ने आंगन में तुलसी के दो पौधे लगाए हैं, जो पवित्रता, आस्था और घर की सुख-शांति का प्रतीक हैं। पिता ने आंगन में एक विशाल बरगद का पेड़ उगाया है, जो स्थायित्व, सुरक्षा और परिवार के संरक्षण का प्रतीक है।
अब कवि अपने “नन्हे गुलाब” को कहीं रोपने की जगह ढूँढ रहा है। यह “नन्हा गुलाब” कवि की अपनी पहचान, भावनाएँ और सपनों का प्रतीक है। कवि के लिए यह दुविधा है कि जहाँ परिवार की इतनी महत्त्वपूर्ण परंपराएँ और प्रतीक हैं, वहाँ वह अपनी जगह कैसे और कहाँ बनाए।
यह कविता व्यक्ति के अस्तित्व की खोज और अपनी पहचान स्थापित करने की चाह को दर्शाती है, जो हर व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा होती है। साथ ही, यह पारिवारिक मूल्यों और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच के संतुलन को भी उजागर करती है।