NIOS Class 10 Hindi Chapter 7
इन पंक्तियों में आजादी के महत्व और उसके प्रति हमारी जिम्मेदारियों को दर्शाया गया है। “पर जो कपड़े नहीं सिएगा” का अर्थ है कि जो व्यक्ति मेहनत नहीं करेगा, वह अपने सपनों को साकार नहीं कर सकेगा। यहाँ सुई की चमकीली नोंक पर टिकी आजादी का संकेत है कि आजादी प्राप्त करने के लिए मेहनत, धैर्य और समर्पण की आवश्यकता है। इस प्रकार, यह पंक्तियाँ यह स्पष्ट करती हैं कि आजादी केवल एक स्थिति नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्तिगत प्रयास और जिम्मेदारी का योगदान महत्वपूर्ण है।
कविता के इस तीसरे अंश में दर्जी यानी उस्ताद ने आजादी को कर्म से जोड़ा है। कपड़े सीने का उल्लेख करते हुए दर्जी ने कर्म की ओर संकेत किया है। कर्मठ व्यक्ति ही सपने देख सकता है। कहने का आशय यह है कि जो परिश्रम करेगा उसी के सपने पूरे होंगे। सुई की चमकदार नोंक पर आजादी टिकी हुई है अर्थात् कर्म करते रहने में ही आजादी है। कपड़े सिए जायेंगे, सुई चलती रहेगी यानी कर्म जारी रहेगा, तो आजादी बनी रहेगी। आजादी को बनाए रखने के लिए कर्म का सर्वाधिक महत्त्व है।