NIOS कक्षा 10 हिंदी अध्याय 2 दोहे
यह दोहा हमें विनम्रता और नश्वरता का बोध कराता है। कबीर जी कहते हैं कि जीवन अस्थायी है, और अहंकार करना व्यर्थ है। व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि जन्म और मृत्यु हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, इसलिए किसी प्रकार का गर्व या घमंड पालना व्यर्थ है। इस दोहे में कबीर दास का उद्देश्य है कि मनुष्य को अहंकार से दूर रहकर विनम्रता और सादगी का जीवन जीना चाहिए।
इस पंक्ति में कबीरदास जी मृत्यु की अनिश्चितता पर प्रकाश डाल रहे हैं। वे कहते हैं कि मृत्यु का देवता हमारे बालों को पकड़कर हमें अपने साथ ले जाता है, और हमें नहीं पता कि वह हमें कहाँ मारेगा, घर में या परदेस में। यह पंक्ति हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता का एहसास दिलाती है। यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता कि कब मृत्यु आ जाएगी।