Ganpati
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढि़एः लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना रखा है। वे उसकी आड़ में स्वार्थ सिद्ध करते हैं। बात यह है कि लोग धर्म को छोड़कर संप्रदाय के जाल में फँसे हैं। संप्रदाय बाह्य कृत्यों पर ज़ोर देते हैं। वे चिह्नों को अपनाकर धर्म के सार-तत्त्व को मसल देते हैं। धर्म मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार कराता है, उसके हृदय के किवाड़ों को खोलता है, उसकी आत्मा को विशाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है। संप्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं। ये हमें जात-पाँत, रूप-रंग तथा ऊँच-नीच के भेद-भावों से ऊपर नहीं उठने देते। अब निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः (क) इस गद्यांश का मूल भाव क्या है ? सही उत्तर पर (√) तथा गलत पर (x) का निशान लगाइएः (i) धर्म की व्याख्या करना (ii) संप्रदाय की व्याख्या करना (iii) धर्म और संप्रदाय का अंतर स्पष्ट करना (iv) धर्म और संप्रदाय दोनों को एक बताना (v) धर्म से संप्रदाय को श्रेष्ठ सिद्ध करना (vi) संप्रदाय से धर्म को अच्छा बताना

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 11

धर्म को धोखे की दुकान मानते हुए, गद्यांश में कहा गया है कि लोग स्वार्थ सिद्ध करने के लिए धर्म का उपयोग कर रहे हैं। वे संप्रदायों में फंसकर बाहरी कृत्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे धर्म का सार खो जाता है। धर्म आत्म-साक्षात्कार और मानवता के विकास का मार्ग है, जबकि संप्रदाय संकीर्णता और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। इस प्रकार, गद्यांश में धर्म और संप्रदाय के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है।

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  1. (i) धर्म की व्याख्या करना (√)
    (ii) संप्रदाय की व्याख्या करना (√)
    (iii) धर्म और संप्रदाय का अंतर स्पष्ट करना (√)
    (iv) धर्म और संप्रदाय दोनों को एक बताना (x)
    (v) धर्म से संप्रदाय को श्रेष्ठ सिद्ध करना (x)
    (vi) संप्रदाय से धर्म को अच्छा बताना (√)

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