Ganpati
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निम्नलिखित कविता को ध्यान से पढि़ए और इसके भावार्थ लिखिए- हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे! स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।

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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, कक्षा 10, हिंदी, अध्याय 7, आजादी

यह कविता स्वतंत्रता और उसके महत्व को दर्शाती है। कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह बताया है कि स्वर्ण-शृंखला जैसे आकर्षक बंधन भी बंधन ही होते हैं। पिंजरे में बंद पक्षी अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं और उड़ने की अपनी स्वाभाविक क्षमता व आनंद भूल जाते हैं। उनकी गति और उड़ान बाधित हो जाती है। यह मनुष्य के जीवन में भी लागू होता है, जहाँ बंधन चाहे भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त हों, वे स्वतंत्रता को छीन लेते हैं और सपनों तक सीमित कर देते हैं।

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  1. यह पंक्तियाँ जीवन के संघर्ष और स्वतंत्रता की महत्वता को दर्शाती हैं। इन पंक्तियों में कवि ने पक्षियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जब किसी प्राणी को स्वतंत्रता की जगह बंधन में बांध दिया जाता है, तो वह अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को पूरा नहीं कर सकता।
    “हम पंछी उन्मुक्त गगन के”: यहाँ कवि ने पक्षी का उदाहरण लिया है, जो खुले आकाश में उड़ता है और उसे कोई सीमा नहीं होती। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है।
    “पिंजरबद्ध न गा पाएँगे”: जब पक्षी पिंजरे में बंद होते हैं, तो वे अपने गाने की स्वाभाविक आदत को नहीं निभा सकते। यह बंधन में जकड़े जाने की स्थिति को दर्शाता है।
    “कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे!”: यहाँ कवि यह कह रहा है कि यदि पक्षी स्वर्ण (सोने) के तीलियों से घिरा हो, तो वह अपनी उड़ान को नहीं भर सकता और उसके पंख टूट सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि भौतिक सुख और समृद्धि भी स्वतंत्रता की कीमत पर सच्ची खुशी और सशक्तता नहीं ला सकते।
    “स्वर्ण- शृंखला के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भूले”: यह पंक्ति यह बताती है कि यदि किसी को भौतिक बंधनों (जैसे सोने की शृंखला) से जकड़ा जाता है, तो वह अपनी प्राकृतिक गति और उद्देश्य से भटक जाता है। वह अपने आत्म-निर्णय, उद्दीपन, और स्वतंत्रता को भूल जाता है।
    “बस सपने में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले”: जब पक्षी बंधन में होते हैं, तो वे बस सपने में अपने स्वाभाविक कर्मों, जैसे झूलने और उन्मुक्त रूप से उड़ने, को देख सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो लोग बंधन में रहते हैं, वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन नहीं कर सकते, वे सिर्फ उन सपनों का कल्पना ही कर सकते हैं।
    कुल मिलाकर, इन पंक्तियों में कवि यह संदेश दे रहे हैं कि स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है और बंधनों में रहते हुए हम अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों और सपनों को पूरा नहीं कर सकते।

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