NIOS Class 10 Hindi Chapter 16 अपना-पराया
टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। जब टीका शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एक प्रतिजन के रूप में कार्य करता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करता है। इससे शरीर में एंटीबॉडी का उत्पादन होता है, जो भविष्य में उसी रोगजनक से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। इस प्रक्रिया से व्यक्ति बिना बीमारी के प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है।
टीके (वैक्सीन) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करने के सिद्धांत पर कार्य करते हैं ताकि वह भविष्य में वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सके।
1. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्तेजना: टीकों में रोगजनक (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) के मृत या कमजोर रूप, या उनके हिस्से शामिल होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करने पर प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं।
2. स्मृति कोशिकाओं का निर्माण: टीका लगने पर प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी और स्मृति कोशिकाएं बनाती है, जो विशेष रूप से उस रोगजनक को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होती हैं।
3. भविष्य की सुरक्षा: यदि भविष्य में वास्तविक संक्रमण होता है, तो यह स्मृति कोशिकाएं जल्दी से सक्रिय हो जाती हैं और संक्रमण को प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करती हैं, जिससे बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है या उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है।
इस प्रकार, टीके हमें बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं और महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।