Ganpati
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टके सेर भाजी टके सेर खाजा में निहित व्यंग्यार्थ है- NIOS Class 10 Hindi Chapter 15

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25%(क) सभी चीज़ें बहुत सस्ती हैं। ( 2 voters )
37.5%(ख) एक टके की एक सेर भाजी खाओ। ( 3 voters )
37.5%(ग) गुणों और मूल्यों की कदर नहीं है। ( 3 voters )
0%(घ) सभी नागरिकों को समान महत्त्व मिले।
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NIOS Class 10 Hindi Chapter 15

“टके सेर भाजी, टके सेर खाजा” भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक अंधेर नगरी का एक प्रसिद्ध वाक्य है, जो अव्यवस्थित शासन और तर्कहीन न्याय प्रणाली पर तीखा व्यंग्य करता है।

इस वाक्य में दिखाया गया है कि राजा के राज्य में हर वस्तु की कीमत समान है—चाहे वह सस्ती सब्जी हो या महंगा खाजा (मिठाई)। इसका व्यंग्यार्थ यह है कि ऐसी व्यवस्था में मूल्य और महत्व का कोई भेद नहीं होता, जो समाज को अराजकता और पतन की ओर ले जाता है। यह तर्कहीनता और नेतृत्व की अयोग्यता का प्रतीक है।

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  1. (ग) ‘टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ में निहित व्यंग्यार्थ है- गुणों और मूल्यों की कदर नहीं है।

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